क्या कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे चंद्रशेखर
प्रियंका गाँधी आज भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण से मिलने अस्पताल पहुँचीं। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या चंद्रशेखर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि चन्द्रशेखर ने कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ मज़बूत उम्मीदवार उतारेंगे और ऐसा न होने पर वह ख़ुद मैदान में उतरेंगे। तबीयत बिगड़ने पर चंद्रशेखर को मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
चंद्रशेखर से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा कि चंद्रशेखर युवाओं की आवाज़ उठा रहे हैं लेकिन सरकार उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी के साथ पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे सिर्फ़ 2 सीटें मिली थीं और इस बार भी वह एसपी-बीएसपी गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी। चंद्रशेखर के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस को दलित वोटों के उसके पास आने की उम्मीद है। इससे बीएसपी के दलित वोटों में सेंध लग सकती है। चंद्रशेखर 15 मार्च को दिल्ली में बहुजन हुंकार रैली करने जा रहे हैं। चंद्रशेखर की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में चंद्रशेखर के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
ग़ौरतलब है कि मंगलवार को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर अपने समर्थकों के साथ देवबंद इलाक़े में पदयात्रा कर रहे थे लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। प्रशासन का कहना था कि वह आचार संहिता लगने के बाद भी बिना अनुमति के जुलूस निकाल रहे थे, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया। जबकि चंद्रशेखर ने कहा था कि सरकार के इशारे पर उनकी पदयात्रा रोकी गई थी। चंद्रशेखर ने कहा था कि उनके पास पदयात्रा की अनुमति थी, लेकिन प्रशासन और सरकार इस बात को लेकर झूठ फैला रहे हैं।
2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष हुआ था। ख़बरों के मुताबिक़, इसके बाद हुई हिंसा में दलित समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए थे। चंद्रशेखर ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था और सरकार पर दलितों के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। रासुका लगने की वजह से चंद्रशेखर एक साल तक सहारनपुर की जेल में बंद रहे थे। रिहा होने के बाद उन्होंने बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने का एलान किया था।