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दिल्ली: किसान रैली में जुटे हजारों लोग, सरकार के सामने रखी मांगें

दिल्ली: किसान रैली में जुटे हजारों लोग, सरकार के सामने रखी मांगें

भारतीय किसान संघ ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों से डर गई है और उसने किसान दिल्ली न पहुंच पाएं इसके लिए 300 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। भारतीय किसान संघ की मुख्य मांगें क्या हैं?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ के आह्वान पर नई दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को हजारों किसान जुटे हैं। किसानों की ओर से इस प्रदर्शन को किसान गर्जना रैली का नाम दिया गया है। भारतीय किसान संघ ने किसानों की दशा सुधारने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठाने की मांग की है।

भारतीय किसान संघ ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों से डर गई है और उसने किसान दिल्ली न पहुंच पाएं इसके लिए 300 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। बड़ी संख्या में किसानों के रामलीला मैदान पहुंचने को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है और कई जगहों पर डायवर्जन किया है। 

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किसान संघ का कहना है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी किसान आज इस इंतजार में है कि उनको कब न्याय मिलेगा। कम से कम ‘‘लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य’’ तो किसान को मिले। वह तो नहीं मिलता है, सभी आदानों के ऊपर जी.एस.टी. की मार अलग से है। संघ का कहना है कि जी.एस.टी. कानून के अंतर्गत सभी उत्पादकों को इनपुट क्रेडिट मिलता है सिवाय किसानों को छोड़कर। 

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ये हैं मुख्य मांगें- 

  1. लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य किसानों को मिले।
  2. किसान सम्मान निधि में आदानों की दर वृद्वि के अनुपात में वृद्वि हो।
  3. कृषि आदानों को जी.एस.टी. से मुक्त करें। 
  4. जी.एम. फसलों की अनुमति को तुरंत वापिस लें।

भारतीय किसान संघ ने कहा है कि सरकार किसान के हित में सोचकर खाद में सब्सिडी तो देती है लेकिन ये अधिकतर किसान के हित में न होकर कम्पनियों के हित में है। हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने जी.एम. सरसों को अनुमति दे दी है। प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती की बात करते हैं, जैव विविधता की बात करते हैं, मधुमक्खी पालन की बात करते हैं, पंचमहाभूत के संरक्षण की बात करते हैं, उधर पर्यावरण मंत्रालय इन सभी के एकदम विपरीत जी.एम. फसलों की तरफदारी कर रहा है।

ऐसे ही हर क्षेत्र को पानी देने के लिए नदी जोड़ने की घोषणा तो हुई है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ दिख नहीं रहा है।

याद दिला दें कि 26 नवंबर, 2020 को किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाल दिया था। किसानों ने एक साल तक तमाम जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया था। कई बार ट्रेनें रोकी गई थीं। किसानों की मांगों के आगे झुकते हुए नवंबर, 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। 

पिछले महीने किसान संगठनों ने देशभर में राजभवनों की ओर कूच किया था और उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड आदि राज्यों में अपनी ताकत दिखाई थी। 

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