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भारतीय न्याय संहिता बिल क्या हैः महिला विरोधी अपराध पर कई सजाएं बढ़ीं

भारतीय न्याय संहिता बिल क्या हैः महिला विरोधी अपराध पर कई सजाएं बढ़ीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता बिल 2023 पेश किया है। इस बिल की काफी चर्चा है। आखिर इस बिल में क्या है, महिला विरोधी अपराध के खिलाफ क्या सीआरपीसी की धाराएं कड़ी करके सजा बढ़ा दी गई है। अमेरिका, ब्रिटेन की तरह कम्युनिटी सर्विस पर क्यों जोर दिया गया है। 

महिला विरोधी अपराधों के खिलाफ पेश किए गए इस बिल को हालांकि लव जिहाद के खिलाफ ठोस प्रावधान का उपाय भी बताया जा रहा है। अभी ये जानिए कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्या जानकारी दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 1860 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक पेश किया और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है। पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने, शादी का झांसा देने, रोजगार के झूठे वादे के तहत यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। 

उन्होंने कहा, "इस विधेयक में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है। पहली बार, शादी, रोजगार, पदोन्नति और झूठी पहचान के झूठे वादे के तहत महिलाओं के साथ संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में आएगा।"

अदालतें शादी के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप का दावा करने वाली महिलाओं के मामलों से निपटती हैं, आईपीसी में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

इस विधेयक की अब एक स्थायी समिति द्वारा जांच की जाएगी। इस विधेयक के कानून बनने के बाद रेप के अपराध के लिए अब दस साल तक की कैद की सज़ा मिलेगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।'' बिल में कहा गया है कि "कपटपूर्ण तरीकों" में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, लालच या "पहचान छिपाकर शादी करना" शामिल है।

आखिर इस बिल से टारगेट पर कौन हैः पीटीआई ने वरिष्ठ क्रिमिनल वकील शिल्पी जैन से बात की। पीटीआई ने लिखा है कि कुछ लोगों का मानना ​​है कि "पहचान छिपाकर शादी करने" के विशिष्ट प्रावधान को झूठे नाम के तहत अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में टारगेट किया जा रहा है। शिल्पी जैन ने कहा कि इसकी इस तरह व्याख्या की जा सकती है। लेकिन यहां मुख्य बात यह है कि झूठे बहाने से ली गई पीड़िता की सहमति को स्वैच्छिक नहीं कहा जा सकता। शिल्पी जैन ने कहा कि यह प्रावधान लंबे समय से लंबित था और इस तरह के प्रावधान नहीं होने के कारण, मामलों को अपराध नहीं माना जाता था और दोनों पक्षों की ओर से बहुत सारी व्याख्या की जाती थी।

क्रिमिनल मामलों की वरिष्ठ वकील शिल्पी जैन ने पीटीआई से कहा - हमारे देश में पुरुषों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है जो उनसे शादी का वादा करने के बाद उनके साथ यौन संबंध बनाते हैं और अगर वादा करते समय पुरुषों का शादी करने का कोई इरादा नहीं था तो यह एक अपराध है।" हालाँकि, शिल्पी जैन ने यह भी कहा कि इस प्रावधान में शादी के झूठे वादे को रोजगार या पदोन्नति के वादे के साथ जोड़ना आगे बढ़ने का सही तरीका नहीं हो सकता है।  

उन्होंने कहा- "शादी के वादे को रोजगार/पदोन्नति के वादे के साथ नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि शादी का वादा प्यार, विश्वास पर आधारित है, जबकि रोजगार/पदोन्नति का वादा लाभ है जिसे महिलाएं सेक्स के बदले में स्वीकार कर रही हैं। यह पारस्परिक लाभ का रिश्ता है।" वो कहती हैं कि "जब एक महिला जानती है कि वह क्या कर रही है (रोजगार या प्रमोशन के लिए सेक्स) तो यह धोखेबाज या झूठे वादे के तहत नहीं आता है।"

बहरहाल, विधेयक में कहा गया है कि हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी, बलात्कार के अपराध के लिए कम से कम 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा होगी और सामूहिक बलात्कार के लिए कम से कम 20 साल की कैद या शेष अवधि के लिए कारावास की सजा होगी। बिल के अनुसार, यदि किसी महिला की रेप के बाद मौत हो जाती है या इसके कारण महिला लगातार बेहोश रहती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे बढ़ाया जा सकता है। आजीवन कारावास, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास, या मृत्युदंड होगा। अगर कोई कोई 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ रेप करेगा, उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

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