भारत जोड़ो न्याय यात्रा का बदले माहौल और हालात में आज बिहार प्रवेश
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा सोमवार को पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर से शुरू हो चुकी है। लेकिन इसकी असली मंजिल बिहार है। इसके सोमवार दोपहर को किशनगंज जिले के रास्ते बिहार में प्रवेश करने की संभावना है। राहुल की यात्रा तीन दिनों में बिहार के चार जिलों को कवर करने की उम्मीद है, जिसमें सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज, अररिया और पूर्णिया शामिल हैं। यह आरजेडी के प्रभाव वाला इलाका है। प्रदेश कांग्रेस ने बिहार आगमन पर राहुल के लिए बड़ी तैयारी की हुई है।
यह यात्रा ऐसे समय बिहार पहुंच रही है, जब मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ चुके हैं और फिर से भाजपा से हाथ मिला चुके हैं। नीतीश ने नौवीं बार सीएम के रूप में शपथ ले ली है और अब वो इंडिया के बजाय एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। बिहार के महागठबंधन में अब लालू यादव की आरजेडी और कांग्रेस रह गए हैं।
राहुल की यात्रा बिहार में आने के मौके पर कांग्रेस ने 30 जनवरी को पूर्णिया में एक बड़ी रैली की योजना बनाई है, जिसमें आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को आमंत्रित किया गया है। पहले पूर्व सहयोगी नीतीश भी आमंत्रित थे। लेकिन अब बदले हुए हालात में नीतीश शायद ही राहुल के मंच पर जाना चाहें।
नीतीश के नहीं आने से इस यात्रा पर पहले भी फर्क नहीं पड़ने जा रहा था। क्योंकि बिहार में जिस भी दल की रैली या कार्यक्रम होता है, उसमें उसी के समर्थक और कार्यकर्ता पहुंचते हैं। इसलिए राहुल की रैली में कांग्रेस कार्यकर्ता ही होंगे। स्थिति तब बदल सकती है जब लालू या तेजस्वी सोमवार को यह ऐलान कर दें कि वो मंगलवार को पूर्णिया में राहुल के मंच पर होंगे। हो सकता है कि शाम तक इस तरह का ऐलान सामने आए।
महागठबंधन से बाहर निकलकर, नीतीश ने आगामी लोकसभा चुनावों में विपक्षी इंडिया गठबंधन की संभावनाओं को गंभीर झटका दिया है। वह विपक्षी गठबंधन के प्रमुख शिल्पियों में से थे, जिसकी पहली बैठक उन्होंने पिछले जून में पटना में बुलाई थी। पिछले कुछ हफ्तों में आरजेडी के साथ तनाव और बढ़ती दरार की खबरों के बीच जेडीयू की भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में वापसी हो चुकी है। इसका असर अब बिहार में सीट-बंटवारे पर पड़ेगा। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस अब मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
इंडिया गठबंधन के लिए नीतीश का जाना किसी सदमे से कम नहीं है। क्योंकि चुनाव में अब विपक्ष को प्रशासनिक दिक्कतें आएंगी, नीतीश के साथ भाजपा के आने की वजह से जेडीयू का चुनाव मैनेजमेंट भी भाजपा ही संभालेगी। सरकारी मशीनरी भी अब भाजपा नेताओं की सुनेगी। ऐसे में कांग्रेस और आरजेडी के लिए काफी परेशानी रहेगी। हालांकि तेजस्वी के तेवर आक्रामक हैं। उन्हें जनता और अपने प्रभाव वाले मतदाताओं पर पूरा भरोसा बना हुआ है।