कोविशील्ड के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी मंजूरी
शुक्रवार को कोविशील्ड को मंजूरी मिलने के बाद शनिवार को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी सरकार की ओर से गठित पैनल ने मंजूरी दे दी है। हालांकि इन दोनों वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को लेकर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया की मंजूरी जरूरी होगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने दी सफाई
कोरोना की वैक्सीन को देश भर के लोगों के लिए मुफ़्त बताने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसे लेकर सफाई दी है। डॉ. हर्षवर्धन ने पहले कहा था कि कोरोना की वैक्सीन देश भर में सभी लोगों के लिए मुफ़्त होगी। लेकिन बाद में उन्होंने ट्वीट कर रहा कि टीकाकरण के पहले दौर में कोरोना की मुफ़्त वैक्सीन देश भर में 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को मिलेगी। इसके अलावा बचे 27 करोड़ लोग कौन लोग होंगे, जिनका टीकाकरण होना है, इस बारे में जुलाई तक फ़ैसला कर लिया जाएगा।
ड्राई रन किया गया
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने शनिवार को ड्राई रन किया। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह ड्राई रन किया गया। केंद्र सरकार की ओर से सभी से कहा गया था कि वे अपनी राजधानी में कम से कम तीन जगहों पर प्रक्रिया को करें। कुछ राज्यों ने राजधानी से बाहर के जिलों में भी इस प्रक्रिया को किया।ड्राई रन से मतलब है टीकाकरण अभियान से पहले की तैयारी। साफ़ कहें तो यह एक पूर्वाभ्यास है। यह देखने के लिए कि टीकाकरण अभियान के लिए वैक्सीन को स्टोर करने, एक जगह से दूसरी जगह ढोने, सुरक्षित रखने जैसी व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं।
कोविशील्ड को मंजूरी
इससे पहले शुक्रवार शाम को कोविशील्ड को मंजूरी दे दी गई थी। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की इस वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने आपात मंजूरी मांगी थी। एक्सपर्ट पैनल ने रिपोर्टों की समीक्षा के बाद इसे सुरक्षित और प्रभावी माना।
ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिलने की शायद सकारात्मक संकेतों को देखकर ही सीरम इंस्टीट्यूट ने पहले से ही बड़ी संख्या में वैक्सीन बनानी शुरू कर दी थी। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका शॉट की लगभग 5 करोड़ खुराक पहले ही तैयार कर ली गई है और अगले साल मार्च तक इसे 10 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है।
मंजूरी के लिए जिन तीन वैक्सीन के लिए और आँकड़े माँगे गए थे उनमें से एक वैक्सीन को मंजूरी मिलने की संभावनाएँ तब बढ़ गई थीं जब ब्रिटेन में ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को मंजूरी मिल गई।
ब्रिटेन में ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन को मंजूरी मिलने की इस ख़बर के बाद एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि गिने-चुने दिनों में ही इस वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल सकती है।
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि कोरोना के ख़िलाफ़ टीकाकरण कार्यक्रम के लिए तैयारी अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा था कि लोगों को भारत में निर्मित वैक्सीन मिलेगी। मोदी ने कहा था, "मैं कहता था कि 'जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं'। लेकिन अब 2021 के लिए हमारा मंत्र होना चाहिए: दवाई भी, कड़ाई भी।"
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में जिन तीन कंपनियों ने वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था उन्होंने वैक्सीन से जुड़ी पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई थी। इसीलिए किसी को भी तब मंजूरी नहीं मिली। उन कंपनियों से कहा गया था कि वे वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े पूरे आँकड़े लेकर फिर से आएँ और तब इस पर विचार किया जाएगा।
वीडियो चर्चा में देखिए, क्या है कोरोना का नया ख़तरा?
फ़ाइजर एस्ट्रेज़ेनेका और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन को भी दुनिया के कई देशों में मंजूरी मिल गई है और जल्द ही इनके भारत में भी मंजूरी मिल सकती है। फ़ाइजर की वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटेन ने इसको मंजूरी दी थी। इसके बाद एक के बाद एक कई देशों में इसको मंजूरी दी गई। अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने भी कह दिया है कि फ़ाइजर वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है। इसने कहा है कि वैक्सीन के मानक पर फाइजर की वैक्सीन पूरी तरह खरा उतरती है।
वैसे, इस वैक्सीन से भारत की काफ़ी ज़्यादा उम्मीदें हैं। यह इसलिए कि ऑक्सफ़ोर्ड की इस वैक्सीन को स्टोर करना और देश के दूर-दराज के इलाकों में ले जाना आसान है। जहाँ फाइज़र जैसी वैक्सीन के लिए -70 डिग्री सेल्सियस यानी ज़ीरो से भी इतने नीचे के तापमान पर रखना होगा वहीं ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के लिए सामान्य रेफ़्रिजरेटर का तापमान पर्याप्त है। इसीलिए कहा जा रहा है कि भारत के लिए ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन ज़्यादा सही और दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुँचाने के लिए आसान होगी।
2020 कोरोना वायरस का साल रहा। 2021 के कोरोना वैक्सीन के साल रहने की उम्मीद है।