बंगाल में NIA छापे पर तनातनी बढ़ी, ममता बनर्जी का भाजपा पर तीखा हमला
पश्चिम बंगाल में पूर्वी मिदनापुर के एक गांव में दिसंबर 2022 में हुए बम विस्फोट मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार करने गई राष्ट्रीय जांच के अधिकारियों की एक टीम पर ग्रामीणों ने शनिवार को हमला कर दिया। एनआईए की टीम ने बलाइचरण मैती और मनोब्रत जाना को सुबह उठाया था, जिन पर एजेंसी ने "क्रूड बम बनाने की साजिश में सक्रिय रूप से भाग लेने और उसी के लिए समर्थन देने" का आरोप लगाया था।
हालांकि, केंद्रीय एजेंसी ने गिरफ्तार किए गए लोगों की कोई राजनीतिक पहचान उजागर नहीं की, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि दोनों उनकी पार्टी के एजेंट थे और नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल किया कि वह केंद्रीय जांच एजेंसियों की सहायता से चुनाव क्यों लड़ रही है। मैती तृणमूल के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि जना स्थानीय नेता हैं। दोनों ने दो बार एनआईए के समन को नजरअंदाज किया था।
भूपतिनगर की घटना ठीक चार महीने बाद हुई है जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम 5 जनवरी को उत्तर 24-परगना संदेशखली में पूर्व तृणमूल नेता शेख शाहजहां और शंकर अद्य्या के परिसरों पर छापा मारने गई थी और उस पर हमला हुआ था। दिसंबर 2022 में, पूर्वी मिदनापुर के भूपतिनगर के नरूआबिल्ला गांव में राजकुमार मन्ना नामक व्यक्ति के घर पर एक विस्फोट हुआ। मन्ना और दो अन्य विश्वजीत गायेन और बुद्धदेब मन्ना गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। राज्य पुलिस ने 3 दिसंबर, 2022 को मामला दर्ज किया था। कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बाद, एनआईए ने 4 जून, 2023 को जांच शुरू की थी।
एनआईए ने दिल्ली में एक बयान में कहा कि जांच में दो गिरफ्तार किए गए नरूबिला के जाना और निनारुया अनलबेरिया के मैती सहित कई लोगों की संलिप्तता का पता चला है, जिन्हें "प्रमुख साजिशकर्ता" के रूप में नामित किया गया है। एनआईए ने कहा कि जब अधिकारी गिरफ्तारी करने गए तो टीम को ग्रामीणों के "कड़े प्रतिरोध" का सामना करना पड़ा।टीम ने जना के आवास समेत पांच अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की थी। जब टीम गिरफ्तार दोनों को लेकर गांव से निकल रही थी, तो महिलाओं समेत ग्रामीणों ने वाहन को घेर लिया और उस पर पथराव किया। एनआईए ने अपने बयान में कहा, टीम के एक सदस्य को मामूली चोट आई जबकि गाड़ी में तोड़फोड़ की गई।
ममता का हमला
इस घटना के कुछ घंटों बाद तपन में बालुरघाट लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार को संबोधित करते हुए ममता ने एनआईए छापे पर सवाल उठाया। ममता ने पूछा- “क्या चुनाव चुनाव आयोग चुनाव करा रहा है या एनआईए या सीबीआई या ईडी?” ममता ने पूछा- “अगर भाजपा 400 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में वापस आने को लेकर इतनी आश्वस्त है, तो हमारे एजेंटों को क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है?” ममता ने दिसंबर 2022 में हुए उस विस्फोट को खारिज कर दिया, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी और इसे "चॉकलेट बम" बताया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा- “चुनाव से ठीक पहले हमारे एजेंटों को चॉकलेट बम के सिलसिले में गिरफ्तार किया जा रहा है। सभी केंद्रीय एजेंसियों को हमारे खिलाफ तैनात किया गया है। ” ममता ने कहा- "एनआईए और सीबीआई बीजेपी के भाई-बहन हैं, जबकि ईडी और आईटी फंडिंग बॉक्स हैं।" ममता ने अपने प्रचार भाषण के दौरान ग्रामीणों की कार्रवाई का बचाव किया। टीएमसी प्रमुख ने कहा- “हमला भूपतिनगर की महिलाओं द्वारा नहीं किया गया था। यह राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खुद पर किया था। अगर महिलाओं पर हमला हुआ तो क्या महिलाएं शांत बैठेंगी?"
टीएमसी कार्यकर्ताओं को निर्देशः मंच से ममता ने पार्टी कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई के कारण सत्तारूढ़ तृणमूल की चुनाव मशीनरी को नुकसान न हो। उन्होंने कहा-
“वैकल्पिक व्यवस्था करें। दूसरे और तीसरे स्तर के (राजनीतिक कार्यकर्ताओं के) तैयार रखें। यदि आवश्यक हुआ तो महिलाएं (मतदान के दिन) बूथों पर बैठेंगी।'' नंदीग्राम में 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी हार का जिक्र करते हुए, ममता ने कहा कि भूपतिनगर में “साजिश” ने संकेत दिया कि भाजपा फिर से वही रणनीति अपना रही है। ममता ने कहा- “उन्होंने नंदीग्राम में भारी तबाही मचाई, मुझे हराने के लिए अधिकारियों को बदल दिया गया। मामला कोर्ट में चल रहा है। उन्हें याद रखना चाहिए, एक ही रणनीति हर बार काम नहीं करती है।”
बंगाल में संदेशखाली की घटना को ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। संदेशखाली में भी ईडी की गाड़ी पर कथित तौर पर हमला किया गया था। इसके बाद भाजपा ने इस मुद्दे पर पूरा माहौल बना दिया। अब चुनाव के बीच पूर्वी मिदनापुर की घटना सामने आ गई है। ममता ने शनिवार को जिस तरह दूसरी घटना पर तेवर दिखाया है, उससे लगता है कि यह मामला तूल पकड़ेगा। संदेशखाली में तो महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप था। लेकिन पूर्वी मिदनापुर की घटना में ममता ने इशारा कर दिया है कि अगर महिलाओं के साथ कुछ हुआ तो क्या वो चुप बैठेंगी। कुल मिलाकर तस्वीर यह बन रही है कि टीएमसी और भाजपा दोनों ही चुनाव में वोट की फसल काटने के लिए अपने अनुकूल माहौल बनाना चाहते हैं। क्योंकि हर ऐसी घटना के बाद भाजपा नेता सोशल मीडिया पर फौरन सक्रिय हो जाते हैं।