सोमवार तक ईडी की हिरासत में रहेंगे पार्थ चटर्जी
पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी को सोमवार तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है। 23 घंटे तक पूछताछ के बाद चटर्जी को शनिवार सुबह उनके कोलकाता स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। ईडी के वकील ने कहा कि चटर्जी के 14 ठिकानों पर छापेमारी की गई है। उन्होंने कहा कि चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि दोनों के बीच पैसे का लेन-देन हुआ है। हालांकि, चटर्जी के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल के आवास से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ है।
ईडी के अधिकारियों की एक टीम ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के तहत शुक्रवार को बंगाल के दो मंत्रियों- पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी के आवासों पर छापा मारा था।
20 करोड़ से ज़्यादा कैश
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में ईडी ने पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ रुपये से ज़्यादा कैश बरामद किया है। ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापा मारा था। अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके घर से मिली रकम को रखने के लिए आरबीआई की ओर से लोहे के कई बक्से भेजे गए।
क्या है आरोप?
उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी पर स्कूल सेवा आयोग यानी एसएससी की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से की गई नियुक्तियों में धांधली का आरोप है। जब भर्तियाँ की गई थीं तब चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। इससे पहले उनसे सीबीआई भी इसी मामले में पूछताछ कर चुकी है।
ईडी के अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के आवास पर भी छापेमारी की थी।
कोलकाता हाई कोर्ट ने इस बात को कहा था कि पार्थ चटर्जी की ओर से बनाई गई एक सुपरवाइजरी कमेटी इस पूरे कथित घोटाले की जड़ है। हाई कोर्ट की बेंच ने इस मामले में हुई भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। ईडी इस मामले में सरकारी सहायता से चलने वाले स्कूलों में शिक्षकों व नॉन टीचिंग स्टाफ कर्मचारियों की भर्ती में कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है।
बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय ने कहा है कि पार्थ चटर्जी अपनी मर्जी से घोटाला नहीं कर रहे थे।
Not too long ago, Mamata Banerjee, from an open platform, praised Partha Chaterjee’s close aide, from whose residential premise, ED seized a small sum of 20 crore. Mamata knew of her and the “good work” she was doing. Make no mistake, Partha wasn’t scamming on his own accord... pic.twitter.com/JP0jmDaXoW
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 23, 2022
विपक्षी नेताओं पर शिकंजा
पश्चिम बंगाल में यह टीएमसी नेताओं पर तब छापेमारी की गई है जब दूसरे कई राज्यों में विपक्षी दलों पर केंद्रीय एजेंसियों ने शिकंजा कसा है। दिल्ली के एलजी ने अरविंद केजरीवाल सरकार में नंबर दो और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ सीबीआई जाँच की सिफारिश की है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से केंद्रीय एजेंसियाँ पूछताछ कर रही हैं। शिवसेना नेता संजय राउत भी निशाने पर हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ भी कुछ हलचल है। वैसे, देश के दूसरे हिस्से और दूसरी पार्टियों को छोड़ दें तो भी टीएमसी में ही कई नेता केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर हैं।
- टीएमसी में नंबर दो और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी से सीबीआई ने पूछताछ की थी। बाद में ईडी ने भी रुजिरा से पूछताछ की।
- इससे पहले 2019 में टीएमसी सांसद मुकुल रॉय से सीबीआई ने पूछताछ की थी। मुकुल रॉय का मामला नारदा केस से जुड़ा था।
- 2021 में नारदा स्टिंग मामले में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। सीबीआई ने पूछताछ के बाद इन चारों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था।
नारदा न्यूज़ पोर्टल के संपादक और प्रबंध निदेशक सैमुएल ने 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक स्टिंग वीडियो प्रसारित किया था। वीडियो में टीएमसी के सांसदों और मंत्रियों सहित टीएमसी के कई नेताओं को कथित तौर पर रुपये लेते देखा गया था।
नारदा केस में सीबीआई ने अप्रैल 2017 में कोर्ट के आदेश के बाद एक एफ़आईआर दर्ज की थी। इसमें टीएमसी के क़रीब 13 नेताओं के नाम थे और उनमें से कई से पूछताछ की गई थी। इसमें मुकुल रॉय भी शामिल थे।
हालाँकि बाद में मुकुल रॉय बीजेपी में शामिल हो गए थे और इसके बाद आरोप लगाया जाता है कि मुकुल रॉय के ख़िलाफ़ आरोपों और जाँच को दबा दिया गया। कुछ साल बीजेपी में रहने के बाद मुकुल रॉय अब फिर से टीएमसी में वापस लौट चुके हैं।
बहरहाल, फिर से टीएमसी के मंत्रियों के घर छापे मारे गए हैं। एसएससी घोटाले के वक़्त मौजूदा उद्योग और वाणिज्य मंत्री चटर्जी के पास तब शिक्षा विभाग था और कथित घोटाले के बाद उन्हें हटा दिया गया था। सीबीआई ने उनसे दो बार पूछताछ की है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चन्द्र अधिकारी की बेटी की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति को रद्द कर दिया था और उनसे 41 महीने की नौकरी के दौरान प्राप्त सारा वेतन लौटाने का निर्देश दिया था।
डराने-धमकाने की कोशिश: टीएमसी
इस बीच, टीएमसी ने केंद्र में बीजेपी सरकार द्वारा राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए छापेमारी को एक चाल बताया है। टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, 'ईडी की यह छापेमारी शानदार शहीद दिवस रैली के एक दिन बाद हुई है, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। यह टीएमसी के नेताओं को परेशान करने और डराने-धमकाने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। सीबीआई पहले ही उनसे पूछताछ कर चुकी है। अदालत के निर्देश के तहत वे सहयोग कर रहे हैं। अब, केवल उन्हें बदनाम करने के लिए ईडी को लगाया जा रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग के मुद्दे का आविष्कार बीजेपी द्वारा किया जा रहा है।'
हालाँकि, बीजेपी ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद से प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में टीएमसी ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों को होने दिया।