बंगाल रेप हत्याः सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाई, जानिए और क्या जुमले बोले
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए आरजी कर की घटना को "भयानक" कहा। अदालत ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और अपराध स्थल को नष्ट करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की भी आलोचना की। लेकिन अगर आप यह पूछेंगे की सुप्रीम कोर्ट की मंगलवार की इस सुनवाई से हासिल क्या हुआ तो वो है 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स जो डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सुझाव देगी। हालांकि अदालत ने और भी कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। उनको बताने से पहले टास्क फोर्स के बारे में जानिए।
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देश जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकता। यह सिर्फ एक मामला नहीं है बल्कि देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
सुप्रीम कोर्ट, 20 अगस्त 2024 सोर्सः लाइव लॉ
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा तय करने और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने का प्रस्ताव रखा। सीजेआई ने कहा कि अस्पताल पूरे दिन और रात खुले रहते हैं, डॉक्टर चौबीसों घंटे काम करते हैं और अक्सर मरीजों और उनके परिवारों से दुर्व्यवहार का सामना करते हैं और उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत भर के डॉक्टरों से स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट के कारण अपनी हड़ताल खत्म करने को कहा। अदालत ने कहा, "हम चाहते हैं कि वे हम पर भरोसा करें। उनकी सुरक्षा और सुरक्षा सर्वोच्च राष्ट्रीय चिंता का विषय है।"
टास्क फोर्स को दिशा निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) को दो मोर्चों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि एनटीएफ को मेडिकल प्रोफेशनलों के खिलाफ जेंडर आधारित हिंसा रोकने के साथ-साथ सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों के लिए एक योग्य राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने करने पर ध्यान देने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि महिला डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों की आवश्यकता है - अस्पताल में सुरक्षा का मापदंड, सुरक्षा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनी डॉक्टरों, रेजीडेंट डॉक्टरों और सीनियरों डॉक्टरों के लिए सुरक्षा का समाधान, संकट से निपटने के लिए नियमित कार्यशालाएँ।
अदालत ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स से डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों पर कार्य करने के सुझावों के साथ 3 सप्ताह में एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है। उन्हें 3 महीने के समय में एक अंतिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी है।
सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स में कौन-कौन
सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स में निम्नलिखित सदस्यों की घोषणा की: सर्जन वाइस एडमिरल आरके सरियन; डॉ. रेड्डी, प्रबंध निदेशक एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी; डॉ एम श्रीवास, निदेशक एम्स, दिल्ली; डॉ प्रथिमा मूर्ति, एनआईएमएचएएनएस, बैंगलोर; डॉ. पुरी, निदेशक, एम्स, जोधपुर; गंगाराम अस्पताल के प्रबंध सदस्य डॉ. रावत; पंडित बीडी शर्मा कॉलेज की वीसी प्रोफेसर अनीता सक्सेना; डॉ. पल्लवी और डॉ. पद्मा श्रीवास्तव। टास्कफोर्स में पदेन सदस्य भी शामिल होंगे - कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष।
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टास्क फोर्स पता करे कि महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए बनाए गए यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) का अस्पतालों, नर्सिंग होमों और प्राइवेट अस्पतालों में पालन किया जा रहा है या नहीं।
-सुप्रीम कोर्ट, 20 अगस्त 2024 सोर्सः लाइव लॉ
सीबीआई 21 अगस्त को रिपोर्ट पेश करे
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार 21 अगस्त को सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को 14 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में हुए भीड़ के हमले और हिंसा पर भी जानकारी देने के लिए भी कहा गया है। कोलकाता पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने वाली सीबीआई को आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट करने की अनुमति दे दी गई।
बंगाल सरकार को फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रही है। अदालत ने शव मिलने के तीन घंटे बाद एफआईआर दर्ज करने और सरकार से जुड़े अपराध स्थल पर गड़बड़ी के लिए भी सरकार की आलोचना की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना 7,000 लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुस सकती है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में कानून-व्यवस्था की पूरी विफलता से इनकार नहीं करना चाहिए।
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कार्य स्थल पर सुरक्षा की कमी महिलाओं को समानता से वंचित कर रही है। महिला डॉक्टरों के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की जरूरत है।
-सुप्रीम कोर्ट, 20 अगस्त 2024 सोर्सः लाइव लॉ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की आवश्यकता है ताकि कार्यस्थल सुरक्षित हों, खासकर उन महिला डॉक्टरों के लिए जो अक्सर 36 घंटे की शिफ्ट में काम करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और हत्या की शिकार पीड़िता का नाम मीडिया में प्रकाशित होने पर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा, “हम इस तथ्य से बेहद चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम पूरे मीडिया में है, तस्वीरें और वीडियो पूरे मीडिया में हैं, यह बेहद चिंताजनक है… क्या यह वह तरीका है जिससे हम युवा डॉक्टर को सम्मान दे रहे हैं।”
भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कोलकाता घटना से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ''प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज नहीं की गई; शव माता-पिता को देर से सौंपा गया; पुलिस क्या कर रही है? एक गंभीर अपराध हुआ है, अपराध स्थल अस्पताल में है... वे (सरकार) क्या कर रहे हैं? तोड़फोड़ करने वालों को अस्पताल में प्रवेश करने की अनुमति दे रहे हैं?'
राज्यों से डेटा मांगा
सीजेआई डिप्टी चंद्रचूड़ ने सभी राज्यों से हर अस्पताल में कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की संख्या पर डेटा एकत्र करने को कहा। साथ ही यह भी पता किया जाए कि अस्पताल में कुल रेस्ट रूम कितने हैं, क्या अस्पताल के अंदर के सभी क्षेत्र आम जनता के लिए सुलभ हैं। राज्यों को एक महीने में रिपोर्ट देनी है। सीबीआई को भी 22 अगस्त तक अंतरिम रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल राज्य को भी आरजी कर अस्पताल में हुई बर्बरता पर 22 अगस्त तक एक रिपोर्ट पेश करनी है।