कोरोना की आड़ में राजनीति का घटिया खेल चल रहा है पश्चिम बंगाल में
कोरोना संक्रमण पश्चिम बंगाल का नया राजनीतिक हथियार है, जिसका प्रयोग राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी अपने-अपने ढंग से कर रही हैं। यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच की लड़ाई का हथियार तो है ही, मुख्यमंत्री और राज्यपाल की निजी लड़ाई का भी हथियार बन गया है या बना दिया गया है ।
केंद्र बनाम राज्य
केंद्र सरकार यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रही है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोरोना संक्रमण को रोकने में पूरी तरह नाकाम हैं और उनकी इस नाकामी का ख़ामियाजा राज्य की जनता भुगतेगी।
राज्य सरकार यह साबित करने की कोशिश में है कि संकट की इस घड़ी में केंद्र उसकी मदद तो नहीं ही कर रहा है, उसे ठीक से काम भी नहीं करने दे रहा है, उसके काम में बेवज़ह हस्तक्षेप कर रहा है।
इस लड़ाई में राज्यपाल जगदीप धनकड़ भी शामिल हैं, जो अपने कर्तव्य का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पर नियमित हमले कर रहे हैं और जिन्हें राज्य सरकार सत्ता हथियाने का केंद्र का औजार मानती है।
राज्यपाल का हमला
अपने ताज़ा हमले में राज्यपाल ने शनिवार को मुख्यमंत्री को लिखी एक कड़ी चिट्ठी में कहा कि स्वास्थ्य सेवा और जन वितरण प्रणाली की स्थिति 'नाज़ुक' है। उन्होंने बग़ैर किसी लाग लपेट के कह दिया कि 'राशन वितरण में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए, राजनीति नहीं की जानी चाहिए और यह ज़रूरतमंद ग़रीबों तक पहुँचना चाहिए, कालाबाज़ारी करने वालों को नहीं।'लेकिन वह यहीं नहीं रुके। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह अपने उस बयान के लिए माफ़ी माँगें जिसमें उन्होंने कहा था कि 'राजनीतिक दल उन गिद्धों की तरह हैं जो लाशों का इंतजार करते रहते हैं।'
मौत पर राजनीति!
इसके एक दिन पहले यानी शुक्रवार 1 मई को राज्यपाल ने कोरोना से जुड़ी जानकारियाँ और आँकड़े छुपाने और मामला दबाने का आरोप मुख्यमंत्री पर खुल्लमखुल्ला लगा दिया। उन्होंने ट्वीट किया, 'कोविड-19 आँकड़ा छुपाने का ऑपरेशन अब बंद कर दीजिए ममता बनर्जी और पारदर्शिता अपनाइए।'Give up ‘ Covid-19 data cover up operation’ @MamataOfficial and share it transparently.
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 2, 2020
Health bulletin 30/4 No of Active Covid cases 572. No health bulletin on May 1 !!
Information to central Government No of cases 931. (1/2) pic.twitter.com/LOUIggYqYa
राज्यपाल ने इसी ट्वीट में कहा कि '30 अप्रैल के स्वास्थ्य बुलेटिन में सक्रिय कोविड मामलों की संख्या 572 बताई गई थी, पर 1 मई को कोई बुलेटिन जारी ही नहीं किया गया।
अपनी तीखी ज़ुबान और बेलाग व बेलौस बोल के लिए मशहूर ममता बनर्जी ने इस पर ज़ोरदार पलटवार किया। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा, 'राज भवन को बीजेपी पार्टी कार्यालय में तब्दील कर दिया गया है।'
राज्यपाल पर हमला
तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, 'राज्यपाल जानबूझ कर संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। उनका अपना एजेंडा है। ममता बनर्जी बहुत ही लोकप्रिय हैं और वह उनसे ईर्ष्या करते हैं। वह योजनाबद्ध तरीके से गंदा खेल खेल रहे हैं।'बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा, 'राज्यपाल के पास कोई तथ्य नहीं है, आँकड़ा नहीं है। वह बीजेपी के दावों के आधार पर बोल रहे हैं।'बीजेपी राज्यपाल के समर्थन में कूद पड़ी। राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा,
“
'राज्यपाल अपना काम कर रहे हैं। हज़ारों लोग मर रहे हैं। राज्य और केंद्र के आँकड़े बिल्कुल अलग-अलग हैं। ममता बनर्जी इस पर सिर्फ राजनीति कर रही हैं।'
दिलीप घोष, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बीजेपी
बीजेपी का वार
कोरोना से होने वाली मौतों पर राज्यपाल और बीजेपी का हमला यूं ही नहीं है। पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि कोरोना से पीड़ित 105 लोगों की मौत हुई है। लेकिन इसके साथ ही वह यह भी कहती है कि इसमें 72 लोगों में दूसरे रोग भी थे, इसलिए उन मौतों को कोरोना से होने वाली मृत्यु नहीं कहा जा सकता है। राज्य सरकार का कहना है कि सिर्फ़ 33 लोगों की मौत कोरोना से हुई है।लेकिन इस संख्या पर लोगों को संदेह है, ख़ुद डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों को भी यह संख्या स्वीकार नहीं है।
मौत पर विवाद
पश्चिम बंगाल सरकार ने एक कमेटी का गठन कर रखा है, जो हर कोरोना मृत्यु का डेथ सर्टिफिकेट देती है। डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों की संस्था 'बंगाली फीजिशियन्स' ने इस पर सवाल खड़े करते हुए मुख्यमंत्री को कड़ी चिट्ठी लिखी।केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई टीम ने भी इस कमेटी पर सवाल उठाया। उसने पूछा कि क्या दूसरे रोगों से होने वाली मृत्यु के मामलों में भी इस तरह की कोई कमेटी है। इसी तरह इस टीम ने यह सवाल किया है कि क्या इस कमेटी को इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च से मान्यता मिली हुई है।
ख़ुद को ‘बंगाली फ़ीजिशियन्स’ कहने वाले समूह ने ममता बनर्जी को लिखी चिट्ठी में इस बात पर चिंता जताई है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना की जाँच बहुत ही कम हो रही है और यह स्थिति बेहद परेशान करने वाली है।
इस समूह में डॉक्टरों के अलावा वैज्ञानिक, स्वास्थ्य कर्मी और दूसरे लोग भी हैं।
कोरोना जाँच पर राजनीति
इस चिट्ठी में कहा गया है कि दस लाख लोगों पर 33.7 लोगों की कोरोना जाँच राज्य में की गई है, जबकि राष्ट्रीय औसत 156.9 लोगों के जाँच की है। पश्चिम बंगाल में जितनी सुविधाएं हैं, उससे प्रति दस लाख पर 1,000 लोगों की कोरोना जाँच की जा सकती है।डॉक्टरों ने कहा है, ‘वास्तव में कितने लोग प्रभावित हुए हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि कितने लोगों की जाँच की जाती है, वे जाँच कितने सही हैं, और जिन लोगों में पहले से ही लक्षण नहीं पाए गए वैसे कितने लोगों की जाँच की जाती है।’
रेड ज़ोन पर विवाद
केंद्र सरकार के वर्गीकरण के आधार पर पश्चिम बंगाल में 10 रेड जो़न, 5 ऑरेंज और 8 ग्रीन ज़ोन हैं। पर ममता सरकार इस वर्गीकरण के आधार को ही नहीं मानती है। ज़ाहिर है, वह इन ज़िलों को रेड ज़ोन और ऑरेंज ज़ोन में होने से ही इनकार करती है। इस पर गहरा विवाद है।राज्य सरकार का दावा है कि राज्य में सिर्फ़ चार ज़िले- कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर ही रेड ज़ोन में हैं। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव विवेक कुमार ने चिट्ठी लिख कर केंद्र से कहा है कि उसका यह दावा त्रुटिपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल में 10 रेड ज़ोन हैं।
इस चिट्ठी में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के उस आधार को ही खारिज कर दिया है, जिसके आधार पर पूरे देश को रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में बाँटा गया है। सरकार ने वर्गीकरण का अपना फ़ॉर्मूला सुझाया है।
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि दरअसल कोरोना के बहाने बीजेपी और तृणमूल भविष्य की तैयारियों में लगी हुई हैं। दोनों का ही मक़सद कोरोना के सहारे विरोधी पर हमला करना और चुनाव में घेरने के लिए पृष्ठभूमि बनाना है। कोरोना से लड़ने के बजाय केंद्र और राज्य सरकार राजनीति का घटिया खेल रही हैं। इसमें सब शामिल हैं, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, तृणमूल और बीजेपी।
इस राजनीति में कौन कितना सही साबित होगा, यह भविष्य पर निर्भर है। पर यह तो साफ़ है कि राज्यपाल के बहाने दोनों दलों के बीच की लड़ाई आने वाले दिनों में और तेज़ होगी।