महिला क्रिकेटरों की मैच फीस अब पुरुषों के बराबर; भेदभाव ख़त्म?
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने गुरुवार को महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। अनुबंधित महिला खिलाड़ियों की मैच फीस दोगुनी कर दी गई है और इस तरह अब पुरुष और महिला क्रिकेटरों- दोनों की मैच फीस समान होगी। बीसीसीआई के इस फ़ैसले को पुरुष क्रिकेट और महिला क्रिकेट में भेदभाव को ख़त्म करने के तौर पर देखा जा रहा है। पहले से आरोप लगते रहे हैं कि दोनों के बीच मैच फीस से लेकर तमाम सुविधाओं तक भेदभाव होता रहा है।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने इसकी पुष्टि की है कि अनुबंधित वरिष्ठ महिला क्रिकेटर अपने पुरुष समकक्षों के समान मैच फीस पा सकेंगी।
The @BCCIWomen cricketers will be paid the same match fee as their male counterparts. Test (INR 15 lakhs), ODI (INR 6 lakhs), T20I (INR 3 lakhs). Pay equity was my commitment to our women cricketers and I thank the Apex Council for their support. Jai Hind 🇮🇳
— Jay Shah (@JayShah) October 27, 2022
जय शाह ने ट्वीट किया है, 'मुझे भेदभाव से निपटने की दिशा में बीसीसीआई के पहले क़दम की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। हम अपने अनुबंधित बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों के लिए वेतन इक्विटी नीति लागू कर रहे हैं। पुरुष और महिला क्रिकेटरों दोनों के लिए मैच शुल्क समान होगा क्योंकि हम क्रिकेट में लैंगिक समानता के एक नए युग में क़दम रख रहे हैं। बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के समान मैच शुल्क का भुगतान किया जाएगा। टेस्ट (15 लाख रुपये), एकदिवसीय (6 लाख रुपये), टी-20 (3 लाख रुपये)।'
जय शाह ने आगे लिखा है कि वेतन इक्विटी हमारी महिला क्रिकेटरों के लिए मेरी प्रतिबद्धता थी और मैं एपेक्स काउंसिल को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूँ।
तो क्या मैच फीस समान मिलने भर से लैंगिक भेदभाव ख़त्म हो जाएगा? इस सवाल का जवाब खुद बीसीसीआई सचिव जय शाह ने ही दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि 'भेदभाव से निपटने में यह पहला क़दम है'। तो क्या इसका मतलब यह नहीं है कि महिला क्रिकेटरों से ऐसे कितने ही तरह के भेदभाव होते हैं। मसलन, क्या पुरुष खिलाड़ियों की तरह ही महिला खिलाड़ियों को दूसरी सुविधाएँ मिलती हैं?
क्या महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को ट्रेनिंग उस स्तर की मिलती है? क्या उन्हें प्रोत्साहन उस स्तर का मिलता है? या फिर क्या मैच जीतने पर उनका स्वागत पुरुष खिलाड़ियों की तरह किया जाता है? ऐसे ही न जाने कितने भेदभाव गिनाए जाते रहे हैं।
वैसे, इस तरह का भेदभाव सिर्फ़ भारत में नहीं होता आया है, बल्कि दुनिया भर के देशों में महिला और पुरुष क्रिकेट में भेदभाव को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। ऐसे ही आरोपों के बीच इसी साल कुछ महीने पहले न्यूज़ीलैंड में एक बड़ा फ़ैसला लिया गया था।
जैसा फ़ैसला बीसीसीआई ने अब लिया है वैसा ही फ़ैसला न्यूजीलैंड क्रिकेट ने लैंगिक समानता का इसी साल जुलाई में लिया था। उसने घोषणा की थी कि वह अपने महिला और पुरुष सभी क्रिकेटरों को न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करने और उच्च-श्रेणी के घरेलू मैचों में खेलने के लिए ‘समान पारिश्रमिक’ देगा। इसके लिए न्यूजीलैंड क्रिकेट, छह बड़े क्रिकेट संघों और न्यूजीलैंड क्रिकेटर संघ के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ था। यह करार पांच साल के लिए हुआ। इसके तहत न्यूजीलैंड के पेशेवर महिला और पुरुष क्रिकेटरों को एक ही दिन एक ही तरह का काम करने के लिए एक ही तरह का पारिश्रमिक दिया जाएगा। उसमें यह फ़ैसला लिया गया था कि राष्ट्रीय और घरेलू महिला खिलाड़ियों को सभी प्रारूपों और प्रतियोगिताओं में पुरुषों के समान मैच फीस दी जाएगी।
अब बीसीसीआई ने इस मामले में फ़ैसला लिया है। यह फ़ैसला बीसीसीआई एजीएम में यह तय होने के कुछ ही दिनों बाद आया है कि महिला आईपीएल का पहला सीजन 2023 में खेला जाएगा।
भारतीय महिला क्रिकेट में रुचि तब से बढ़ रही है जब से टीम 2017 आईसीसी महिला विश्व कप में उपविजेता रही। टीम 2020 में टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी और 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल भी जीता।