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बाटला हाउस मुठभेड़ : आरिज़ ख़ान को मौत की सज़ा

बाटला हाउस मुठभेड़ : आरिज़ ख़ान को मौत की सज़ा

बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दिल्ली की साकेत स्थित न्यायालय ने आरिज़ ख़ान को मौत की सज़ा सुनाई है। आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य आरिज़ ख़ान को दिल्ली पुलिस की विशेष सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी पाया गया है। 

बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दिल्ली की साकेत स्थित न्यायालय ने आरिज़ ख़ान को मौत की सज़ा सुनाई है। आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य आरिज़ ख़ान को दिल्ली पुलिस की विशेष सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी पाया गया है। 

आरिज़ ने पुलिसकर्मी बलवंत सिंह-राजवीर को भी जान से मारने की कोशि की थी।

अदालत ने आरिज खान को आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307 के तहत दोषी पाया है। दक्षिण दिल्ली के बाटला हाउस में साल 2008 में हुई मुठभेड़ के बाद आरिज फरार हो गया था, लेकिन 2018 में नेपाल से उसे गिरफ़्तार कर भारत लाया गया था। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने आरिज़ ख़ान को मौत की सज़ा सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया है कि ख़ान समाज के लिए ख़तरा है और वह वैसा ही रहेगा, शांतपूर्ण सहअस्तित्व को उससे ख़तरा बना रहेगा। 

अतिरिक्त सरकारी वकील ए. टी. अंसारी ने अदालत से कहा था कि अपनी ड्यूटी निभा रहे और न्याय की रक्षा में लगे एक अफसर की नृशंस हत्या की गई। 

क्या कहा अभियोजन पक्ष ने?

अंसारी ने अदालत में कहा, "यदि पुलिस अफ़सर इस तरह मारे जाते रहे और क़ानून कठोरतम सज़ा नहीं देगा तो न्याय की रक्षा में लगे लोगों के साथ न्याय नहीं होगा। यह सामाजिक न्याय का वह पहलू है, जिसमें मृत्यु दंड की ज़रूरत है।" 

सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया था कि 'दोषी ने खतरनाक हथियार रखे हुए थे और इन्‍ही हथियारों से उसने, ड्यूटी निभाते हुए पुलिस वालों पर गोली चलाई, इसकी वजह से इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की मौत हो गई थी।

क्या है मामला?

दक्षिण दिल्ली के बाटला हाउस में 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली पुलिस की विशेष सेल और इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में इंस्पेक्टर शर्मा और दो कथित आतंकवादी मारे गए थे। इस मुठभेड़ के छह दिन पहले दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 26 लोग मारे गए थे। उस समय मनमोहन सिंह की सरकार थी। 

आरिज़ मौके से भाग निकला था। उसे 2018 में नेपाल से गिरफ़्तार कर लाया गया था।

इस मामले में एक दूसरी अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के शहज़ाद अहमद को आजीवन कारावास की सज़ा 2013 में सुनाई थी। उसने इसके ख़िलाफ़ अपील कर रखी है। अपील का वह मामला अभी चल ही रहा है। 

सिलसिलेवार धमाके

बता दें कि साल 2008 में दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश की अदालतों में हुए धमाकों के मुख्य साजिशकर्ताओं में आरिज का नाम आया था। इन सभी धमाकों में कुल 165 लोगों की मौत हुई थी, 535 लोग ज़ख़्मी हुए थे। 

आरिज़ ख़ान पर पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। उसके ख़िलाफ़ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस निकला हुआ था। अंत में आरिज़ खान को स्पेशल सेल की टीम ने फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया था। 

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को पता चला था कि प्रतिबंधित संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन के लोग नेपाल से युवाओं को देश में अवैध गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे हैं। सिमी से जुड़े अब्दुल सुहान उर्फ तौकीर को जनवरी 2018 में गिरफ़्तार किया गया। उससे मिली जानकारियों के आधार पर ही आरिज़ को गिरफ़्तार किया गया था। 

आरिज़ ने मुजफ्फ़रनगर के एसडी कॉलेज से बी. टेक की पढ़ाई की है, पर वह बम बनाने में माहिर था। 

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