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कलर टीवी या बाइक वाले परिवारों को राशन नहीं मिलेगा?

कलर टीवी या बाइक वाले परिवारों को राशन नहीं मिलेगा?

क्या अब मुफ्त राशन या फिर रियायती दरों पर राशन पाने वाले परिवारों की बड़े पैमाने पर कटौती की जाएगी? क्या अब राशन के लिए नयी पात्रता योग्यता तय की गई है?

क्या आपके घर में कलर टीवी है? यदि हाँ, तो आप सरकारी राशन के लिए पात्र नहीं हैं! क्या आपके घर में मोटरसाइकिल है? तो भी आप राशन के लिए पात्र नहीं हैं! पक्का मकान, कृषि योग्य भूमि, कोई निश्चित व्यवसाय आदि है तो आप पात्र नहीं होंगे! और यदि आप इन नियमों के अनुसार पात्र नहीं होते हुए भी अपना राशन कार्ड अधिकारियों को समर्पित नहीं करते हैं तो गेहूँ, चावल, चीनी जैसे राशन के बाज़ार भाव से वसूली की जाएगी। यह आदेश बांदा जिलाधिकारी ने निकाला है।

जिलाधिकारी के आदेश में कहा गया है, 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जनपद में प्रचलित अन्त्योदय के राशन कार्ड लाभार्थी के ऐसे सभी परिवार जिनके पास मोटर साइकिल, पक्का मकान, कृषि योग्य भूमि, रंगीन टीवी, कोई निश्चित व्यवसाय आदि है, वह अपात्र है।' 

उस आदेश में यह भी चेतावनी दी गई है कि ऐसे परिवार 7 दिन में अपना राशन कार्ड सरेंडर यानी समर्पित कर दें। ऐसा नहीं करने पर और सत्यापन के दौरान अपात्र पाए जाने पर गेहूँ 24 रुपये प्रति किलो, चावल 32 रुपये प्रति किलो और चीनी, खाद्य तेल, चना व नमक की वसूली बाजार दर पर की जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि इसके साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी।

यह आदेश भले ही अब तक बांदा जिले में सामने आया है लेकिन माना जा रहा है कि अन्य जिलों में भी ऐसे ही आदेश निकाले जा सकते हैं। कई जगहों से ऐसे ही आदेश को लागू करने के लिए मुनादी भी की जा रही है। ट्विटर पर सपा नेता अखिलेश यादव द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में ऐसे ही आदेश की मुनादी करते सुना जा सकता है। 

उस वीडियो में मुनादी करते सुना जा सकता है, 'जिन कार्डधारकों के पास चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर, पाँच एकड़ ज़मीन, सरकारी कर्मचारी, शस्त्र लाइसेंस,... पाँच केवी जनरेटर, एसी, 100 वर्ग मीटर मकान या फ्लैट हो, वो अपना राशन कार्ड सरेंडर कर दे....।'

बता दें कि अब तक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की सरकार दावा करती रही है। हाल ही में राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले ही सरकार ने मुफ़्त राशन योजना को छह महीने के लिए यह कहते हुए बढ़ा दिया था कि कोरोना काल के असर से लोग बेहद प्रभावित हैं और इससे उनको थोड़ी सहूलियत होगी। लेकिन लगता है अब जो नियम होंगे उससे बड़ी संख्या में लोग सरकारी राशन पाने के पात्र नहीं रहेंगे। विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव जीतने के लिए राशन योजना की अवधि बढ़ाई गई थी और अब इसको ख़त्म किये जाने की आशंका है।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने दावा किया है कि आम तौर पर माना जाता है कि एक परिवार में 4 सदस्य हैं और इस हिसाब से 80 करोड़ लोगों को राशन दिया जाता है। वह कहते हैं कि देश में 20 करोड़ से ज़्यादा घरों में तो टीवी है। उन्होंने दावा किया कि शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसके घर में रंगीन टीवी नहीं हो।

तो सवाल है कि बांदा जिले में जो ताजा आदेश आया है उससे कितने परिवार होंगे जो सरकारी राशन के पात्र बचेंगे? यदि पूरे देश के लिए कुछ ऐसा ही आदेश आया तो फिर क्या राशन पाने वालों की संख्या बेहद कम नहीं हो जाएगी?

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