अयोध्या: फ़ैसले से पहले प्रशासन की सांस अटकी, ज़बरदस्त सुरक्षा इंतजाम
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फ़ैसला सुनाएगा। फ़ैसले से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा तो पुख्ता की ही है, हर पक्ष से संयम बरतने की अपील भी की है। फ़ैसले को लेकर हिन्दू व मुसलिम दोनों पक्षों और सभी धार्मिक संगठनों से लेकर नागरिक समाज तक, सभी संयम बरतने की बात कह रहे हैं। विवाद के केंद्र बिंदु अयोध्या से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में सब कुछ सामान्य नज़र आ रहा है।
हालाँकि इन सबके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार एक बार फिर से उसी तरह की तैयारी कर रही है जैसी 1989 और 1992 में की गयी थी। अयोध्या ज़िले के सभी होटलों को वहाँ ठहरने वाले आगंतुकों की सूचना ज़िला प्रशासन को देने को कहा गया है। लंबे समय के बाद अयोध्या के आस पड़ोस के ज़िलों में नागरिकों की शांति कमेटियों को पुनर्जीवित करते हुए उनकी बैठकें आयोजित की गई हैं। अयोध्या में सुरक्षा को बढ़ाते हुए अब तक 35 कंपनी पीएसी, 14 कंपनी अर्ध सैनिक बलों की तैनाती की जा चुकी है।
चौदहकोसी परिक्रमा में भीड़, अतिरिक्त सतर्कता
अयोध्या में इन दिनों चल रही चौदहकोसी परिक्रमा में इस बार पहले के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा भीड़ उमड़ी है। सामान्य रूप से इस परिक्रमा में 15 से 20 लाख श्रद्धालु आते रहे हैं पर इस बार यह तादाद 30 लाख के पार जा पहुँची है। कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को है। उस दिन सरयू तट पर बड़ा मेला लगता है। उस दिन भीड़ 50 लाख तक पहुँचने का अनुमान प्रशासन लगा रहा है। हालाँकि इतनी भीड़ के बाद भी कहीं कोई अफ़वाह, सनसनी या उन्माद का नज़ारा देखने को नहीं मिल रहा है। चौदहकोसी परिक्रमा मेले के दौरान हनुमान गढ़ी पर तो भीड़ अच्छी-ख़ासी दिख रही है पर रामजन्म भूमि पर सामान्य दिनों जितने लोग ही पहुँच रहे हैं। अयोध्या में कारसेवकपुरम में ज़रूर पहले के मुक़ाबले इस बार ज़्यादा लोग राम मंदिर बनाने की तैयारियों का जायजा लेने पहुँच रहे हैं। हालाँकि कारसेवकपुरम में भी मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम पहले से भी धीमी गति से चल रहा है। प्रदेश सरकार का कहना है कि चूँकि अदालत का फ़ैसला आने की संभावित तारीख़ परिक्रमा और कार्तिक पूर्णिमा मेले के बीच ही है इसलिए सतर्कता के ज़्यादा इंतज़ाम किए गए हैं।
सोशल मीडिया पर नज़र, 72 को जेल
सोशल मीडिया पर अफ़वाहों के ज़रिए माहौल ख़राब करने वालों को लेकर इस बार सबसे ज़्यादा सजगता बरती जा रही है। प्रदेश सरकार सोशल मीडिया पर ऐसे तत्वों की पहचान कर उनको हिरासत में लेने से लेकर चेतावनी तक दे रही है। बीते 20 दिनों से सोशल मीडिया पर उन्माद फैलाने के आरोप में 72 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। इन दिनों चल रहे घटनाक्रम से इतर भी काफ़ी पहले से भी सोशल मीडिया पर उन्मादी व विवादित बातें लिखने वालों को चेतावनी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने हर ज़िले में इसके लिए महकमे से ही डिजिटल वालंटियर की तैनाती की है।
अयोध्या और उसके आसपास के सभी संवेदनशील कस्बों में पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगाया गया है। इसके ज़रिए किसी भी समय आम जनता को चेतावनी, नोटिस या कोई भी सूचना दी जा सकेगी। ज़रूरत पड़ने पर इस सिस्टम को थाने के वायरलेस सिस्टम से जोड़कर सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाई जाएँगी।
आंबेडकरनगर में आठ अस्थाई जेल
किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए अयोध्या के सीमावर्ती ज़िले आंबेडकरनगर में आठ अस्थाई जेल बनाने का आदेश जारी कर दिया गया है। ये जेलें सरकारी स्कूलों में बनायी गयी हैं। ठीक इसी तरह से 1989 में व 1992 में भी अस्थाई जेलें बनाई गयी थीं। आंबेडकरनगर में अकबरपुर में तीन, जलालपुर में एक, भौटी में एक व जैतपुर और टांडा में एक-एक सरकारी स्कूल को अस्थाई जेल बनाया गया है। गृह विभाग का कहना है कि ज़रूरत पड़ने पर गोंडा, बाराबंकी और सुल्तानपुर में भी इस तरह की अस्थाई जेल बनायी जा सकती है।