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अयोध्याः पुलिस ने कहा- मास्टरमाइंड ने बना रखा था हिन्दू योद्धा संगठन

अयोध्याः पुलिस ने कहा- मास्टरमाइंड ने बना रखा था हिन्दू योद्धा संगठन

अयोध्या में हिन्दू-मुस्लिम दंगा कराने की साजिश में पकड़े गए लोगों के गैंग का सरगना ने हिन्दू योद्धा नाम से संगठन बना रखा था। वो बेरोजगार है। पिता आयकर विभाग में थे। यह सारी जानकारी पुलिस ने दी है। पुलिस ने बाकी आरोपियों के प्रोफाइल के बारे में भी जानकारी दी है।

अयोध्या में दंगे की बहुत बड़ी साजिश नाकाम तो हो गई है लेकिन इसके आरोप में जो लोग पकड़े गए हैं, उनका जीवन परिचय बहुत दिलचस्प है। हालांकि इस गैंग के चार लोग अभी भी फरार हैं। जब तक वो पकड़े नहीं जाते, तब तक बहुत सारी सच्चाई से पर्दा नहीं उठ पाएगा। पुलिस का कहना है कि बुधवार की घटना में कुल 11 लोग शामिल थे। जिन्हें पकड़ा गया है, उनमें बजरंग दल का पूर्व कार्यकर्ता, फ्रीलांस जर्नलिस्ट और एक अन्य शख्स। जो कोविड लॉकडाउन के दौरान अयोध्या लौटा था। अयोध्या पुलिस ने उस समय इन लोगों को गिरफ्तार किया जब ये लोग मस्जिद, दरगाह और मंदिर पर मांस और कुरान के पन्ने फेंक रहे थे। पुलिस की चौकसी की वजह से इनके पकड़े जाने पर एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो गया लेकिन यह साफ नहीं है कि आखिर इनको पैसा और अन्य सामान किन लोगों ने मुहैया कराए।

सात आरोपियों की प्रोफाइल इस तरह हैः

महेश मिश्रा (37)

पुलिस का कहना है कि यह शख्स "मास्टरमाइंड" है और बजरंग दल का पूर्व कार्यकर्ता है। अभी बेरोजगार है। महेश मिश्रा पर पहले चार मामलों में केस दर्ज हुआ था। जिसमें 2016 में दर्ज केस महत्वपूर्ण है। आरोप है कि महेश मिश्रा ने अयोध्या में खिलौना पिस्तौल के जरिए युवाओं को हथियार चलाने का ट्रेनिंग शिविर लगाया था। पुलिस के मुताबिक मिश्रा ने स्थानीय युवाओं के साथ आतंकवादियों और सैनिकों के रूप में काम करने के साथ एक मॉक ड्रिल की थी। उस पर आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के अनुसार, मिश्रा के पिता कुछ साल पहले रिटायर होने से पहले आयकर विभाग में काम करते थे। उनके भाई शिक्षक के रूप में काम करते हैं। 2015 में बजरंग दल से उसे "चरमपंथी विचारों" के लिए निकाल दिया गया। तब महेश मिश्रा ने हिंदू योद्धा संगठन बनाया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह समूह कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं है। वह खुद को संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताता है। अयोध्या में विहिप के नेता शरद शर्मा ने इस बात की पुष्टि की है कि मिश्रा पहले बजरंग दल से जुड़े थे। लेकिन क्यों बाहर निकाला गया, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। पुलिस के मुताबिक, मिश्रा शादीशुदा है और वह सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ पोस्ट करता रहता है। एक अधिकारी ने कहा, उन्होंने भड़काऊ पोस्ट अपलोड किए। मिश्रा ने ही बाकी आरोपियों को उकसाया था..वे पिछले 10 दिनों से इस घटना की योजना बना रहे थे और अक्सर मिलते थे..उन्होंने अन्य आरोपियों को सोशल मीडिया के जरिए बुलाया। इन लोगों ने उनकी पोस्ट पर टिप्पणी करने के बाद उनका चुनाव किया था।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दूसरा आरोपी प्रत्युष श्रीवास्तव है। वो भी अयोध्या का एक बेरोजगार युवक है और महेश मिश्रा के पदों से प्रभावित था। वह मिश्रा के साथ समय बिताता था और जब मिश्रा ने उकसाया तो बुधवार को इस गतिविधि को करने के लिए तैयार हो गया।

नितिन कुमार (30)

नितिन कुमार 2020 में बेंगलुरु में जॉब कर रहे थे। लॉकडाउन लगा तो अयोध्या आ गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अयोध्या आने के बाद, नितिन ने शहर में एक निजी फर्म के लिए 20,000 रुपये सैलरी पर काम करना शुरू कर दिया। अयोध्या से ग्रैजुएट नितिन शादीशुदा हैं और उसका एक बच्चा भी है।

दीपक कुमार गौर उर्फ गुंजन (33)

गौर अयोध्या में एक गेहूं मिल में मजदूर के रूप में काम करता थे। पुलिस ने कहा कि उन्होंने घटना की योजना बनाने के लिए पिछले 6-7 दिनों में मिश्रा के साथ काफी समय बिताया। वह एक या दो साल से मिश्रा के संपर्क में थे। वो सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नियमित रूप से उससे जुड़े थे। उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है।

बृजेश पांडे (35)

पुलिस का कहना है कि पांडे एक झोला छाप डॉक्टर है, लेकिन आसपास वो "डॉक्टर साहब" के रूप में जाना जाता है। वह रोजाना सरकारी दफ्तरों में जाते थे, अधिकारियों से दोस्ती करने की कोशिश करते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बृजेश पांडे महेश मिश्रा के करीबी हैं और उन्हें वर्षों से जानते हैं। जैसे ही उसे पता लगा कि पुलिस को सूचना मिल गई है, वो मिश्रा के साथ भाग गया, लेकिन उसे पकड़ लिया गया।

शत्रुघ्न प्रजापति (50)

प्रजापति एक दिहाड़ी मजदूर थे। वह आपत्तिजनक वस्तुओं को फेंकने वालों में नहीं थे, लेकिन वह योजना के बारे में जानते थे और अन्य आरोपियों को भोजन और अन्य संसाधन मुहैया कराते थे। वह बुधवार की रात अन्य लोगों के साथ जाना चाहते थे, लेकिन वो लोग उसे साथ नहीं ले गए।

विमल पांडे (28)

विमल पांडे (28) पुलिस के मुताबिक विमल पांडे स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करते हैं। वह पुलिस अधिकारियों के करीब रहने की कोशिश करते हैं और उनके साथ तस्वीरें क्लिक करवाते हैं। वह सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं। बुधवार की घटना में वो शामिल थे। उनकी भूमिका जांच के बारे में अन्य आरोपियों को जानकारी देने की थी। किसी को उन पर शक नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने खुद को पत्रकार होने का दावा किया था।

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