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अयोध्या विवाद पर 29 जनवरी को होगी सुनवाई, बनेगी नई बेंच

अयोध्या विवाद पर 29 जनवरी को होगी सुनवाई, बनेगी नई बेंच

अयोध्या विवाद पर अब 29 जनवरी को सुनवाई होगी। जस्टिस यू. यू. ललित ने मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया है। अब नई बेंच मामले की सुनवाई करेगी।

राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर सुनवाई के लिए अब नया खंडपीठ बनेगा और इसकी सुनवाई 29 जनवरी को शुरू होगी। गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यू. यू. ललित एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के वकील रह चुके हैं, लिहाज़ा उनका खंडपीठ में बने रहना ठीक नहीं है। जस्टिस ललित ने इसके बाद ख़ुद को इस मामले की  सुनवाई से अलग कर लिया। 

खंडपीठ के प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने इसके बाद नए खंडपीठ के गठन और अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी। इन नए खंडपीठ में कौन होते हैं, यह अभी तय नही है। इसके बाद अदालत के बाहर कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ नारे लगाए। उन्होंने यह  सवाल भी उठाया कि ख़ुद रंजन गोगोई कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं। केशव चंद्र गोगोई कांग्रेस की ओर से 1982 में दो महीने के लिए मुख्यमंत्री बने थे। 

अदालत ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जल्द ही बताएँगे कि मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज़ के अनुवाद का काम कब तक पूरा हो जाएगा और कब तक सुनवाई शुरू करने की तैयारियाँ मुकम्मल हो जाएँगी। तक़रीबगन 8 हज़ार पेज का अनुवाद होना था। ये काग़ज़ात उर्दू, फ़ारसी, अरबी और दूसरी भाषाओं में लिखे गए हैं। उनका अनुवाद पहले से ही चल रहा है, पर यह भी देखना है कि उनका अनुवाद ठीक हुआ है या नहीं। साथ ही कुछ अनुवाद का काम बाकी भी है। 

पाँच जजों के खंडपीठ में रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस एसके बोबडे, जस्टिस एन. वी. रमन्ना, जस्टिस यू.यू. ललित और जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि राम मंदिर विवाद पर लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ जाएगा और मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो जाएगा। दूसरे तबक़े का मानना है कि यह मामला बहुत जटिल है, ऐसे में न तो लोकसभा चुनाव के पहले सुनवाई पूरी होगी और न ही मंदिर निर्माण का काम शुरू हो पाएगा। कुछ लोग तो यह भी शर्त लगाने को तैयार हैं कि यह मामला अभी बहुत लंबा खिंचेगा, हो सकता है कि इसमें सालों लग जाएँ। 

सरकार पर बनाया दबाव 

राम मंदिर के मसले पर पिछले कुछ महीनों से आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और बीजेपी की तरफ़ से ज़बरदस्त बयानबाज़ियाँ हुईं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी के दिन कहा कि हिंदुओं के सब्र की सीमा ख़त्म हो रही है और सरकार हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए जल्द से जल्द क़ानून बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू करे। 

इसी तरीके से रामलीला मैदान में आरएसएस के नंबर 2 नेता माने जाने वाले भैया जी जोशी ने कहा कि यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह लोगों की भावनाओं को समझे और राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। विश्व हिंदू परिषद ने तो सीधे तौर पर राम मंदिर निर्माण में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। 

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