अयोध्या विवाद : हिन्दू पक्षकार माँगेगे पूरी 67 एकड़ ज़मीन
राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार मामले से जुड़े लोगों को ही नहीं, पूरे देश को है। लेकिन इस मामले के हिन्दू पक्षकारों में से एक राम लला विराजमान के सखा पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडे ने कहा है कि यदि फ़ैसला उनके पक्ष में आया तो वह पूरे 67 एकड़ ज़मीन की माँग करेंगे।
पांडे का तर्क है कि 2.77 एकड़ नहीं, सिर्फ़ 0.33 एकड़ ज़मीन ही विवादित है। इस पर मालिकाना हक़ का केस सुप्रीम कोर्ट से तय होना है। उन्होंने सत्य हिन्दी से बात करते हुए कहा, ' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे तीन पक्षकारों में बाँट दिया था, जबकि यह केस बँटवारे का था ही नहीं। अब फ़ैसला राम लला विराजमान व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच होना चाहिए क्योंकि तीसरे पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने केवल पूजा व व्यवस्था के हक़ के लिए केस दायर किया था।'
पांडे ने कहा कि रामलीला विराजमान के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ हो जाएगा।
इसके साथ ही 1992 के पहले का स्टेटस एक बार फिर कायम हो जाएगा। इसमें राम जन्म भूमि न्यास के पास की विश्व हिन्दू परिषद की 45 एकड़ ज़मीन के साथ ही पूरी अधिग्रहीत ज़मीन की माँग सरकार से की जाएगी।
पांडे के मुताबिक़, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने विवादित क्षेत्र से सटे 42 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर राम जन्म भूमि न्यास को पर्यटन के विकास के लिए राम कथा कुंज परियोजना के लिए दिया था। विहिप ने इससे ही जुड़ी 3 एकड़ ज़मीन ख़ुद ख़रीद रखी थी, जिस पर न्यास की करोड़ों की निर्माण सामग्री भी पड़ी है।
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ढाँचा विध्वंस के बाद केंद्र सरकार ने विवादित स्थल के इलाक़े की 67 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया था। इसमें 45 एकड़ विहिप के कब्जे वाली ज़मीन भी है। इसके मुवावजे की रकम राम जन्म भूमि न्यास ने लेने से इनकार कर दिया था। उसने इसके साथ ही 45 एकड़ ज़मीन को न्यास को वापस करने की माँग भी की थी।
त्रिलोकीनाथ पांडे, राम लला विराजमान के सखा पक्षकार
अब फ़ैसला पक्ष में आने पर विहिप मंदिर निर्माण के लिए पूरी 67 एकड़ अधिग्रहीत ज़मीन के साथ अतिरिक्त ज़मीन की भी माँग करेगी।
अयोध्या एक्ट में है वापसी का जिक्र
बताया गया कि प्रधानमंत्री नरसिंहराव के कार्यकाल में जब विवादित क्षेत्र से सटी 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था, अयोध्या एक्ट भी बना था। इसमें कहा गया है कि जिसके पक्ष में फ़ैसला आएगा उसको अधिग्रहीत ज़मीन ज़रूरत के हिसाब से वापस कर दी जाएगी। कम पड़ने पर अतिरिक्त ज़मीन भी उपलब्ध करवाई जाएगी। जितनी अधिग्रहण की गई ज़मीन बचेगी, उसे उसके मालिकों को मुआवजे की राशि वापस करने के बाद लौटाई जाएगी।
विहिप मंदिर के पक्ष में फ़ैसले की उम्मीद में अधिग्रहीत ज़मीन की वापसी की माँग उठा रहा है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ का पूरा फ़ोकस अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर की धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने पर है, ऐसे में भव्य व विशाल राम मंदिर के निर्माण में ज़मीन की कमी बाधा नहीं बनेगी।
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना हैं कि मंदिर के पक्ष में फैसला आने की पूरी संभावना है। ऐसे में विवादित जमीन के अलावा मंदिर निर्माण के लिए विशाल क्षेत्र चाहिए।