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अयोध्या: कोर्ट के फ़ैसले से पहले शहर क्यों छोड़ रहे हैं कुछ लोग?

अयोध्या: कोर्ट के फ़ैसले से पहले शहर क्यों छोड़ रहे हैं कुछ लोग?

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले भले ही सबकुछ सामान्य दिख रहा है, लेकिन अयोध्या में लोगों के दिलों में डर भी है। तरह-तरह की आशंकाएँ क्यों हैं?

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले भले ही सबकुछ सामान्य दिख रहा हो, लेकिन अयोध्या में लोगों के दिलों में डर भी है। तरह-तरह की आशंकाएँ हैं। अनहोनी की चिंताएँ भी। इस बेहद अहम फ़ैसले को देखते हुए वे अपनी तरफ़ से तैयारी भी कर रहे हैं। रिपोर्टें हैं कि कुछ लोग परिजनों, ख़ासकर महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित जगह भेज रहे हैं तो कुछ लोग राशन जमा कर रहे हैं। कुछ शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रम भी या तो रद्द कर रहे हैं या फिर दूसरी जगह शिफ़्ट।

ये आशंकाएँ और चिंताएँ सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले के मद्देनज़र है जिस पर अदालत की पाँच जजों की बेंच हर रोज़ सुनवाई कर रही थी। 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो गई है। 17 नवंबर के पहले फ़ैसले की उम्मीद है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत होने वाले हैं। माना जा रहा है कि सेवानिवृत्त होने से पहले वह फ़ैसला सुना सकते हैं। 

फ़ैसले को लेकर हिन्दू व मुसलिम दोनों पक्षों और सभी धार्मिक संगठन से लेकर नागरिक समाज, सभी संयम बरतने की बात कह रहे हैं और इसकी अपील भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार भी उसी तरह की तैयारी कर रही है जैसी 1989 और 1992 में की गयी थी। प्रदेश सरकार के निर्देश पर अयोध्या के पड़ोसी ज़िले आंबेडकरनगर में आठ सरकारी स्कूलों को अस्थाई जेल बनाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अयोध्या की ओर जाने वाले हर रास्ते पर बैरिकैड लगाने का काम शुरू हो गया है और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जा चुकी है।

अयोध्या ज़िले के सभी होटलों को वहाँ ठहरने वाले आगंतुकों की सूचना ज़िला प्रशासन को देने को कहा गया है। लंबे समय के बाद अयोध्या के आस पड़ोस के ज़िलों में नागरिकों की शांति कमेटियों को पुनर्जीवित करते हुए उनकी बैठकें आयोजित की जा रही हैं। अयोध्या में सुरक्षा को बढ़ाते हुए अब तक 35 कंपनी पीएसी, 14 कंपनी अर्ध सैनिक बलों की तैनाती की जा चुकी है। अगले दो दिनों में 35 से 40 और भी कंपनियाँ पीएसी व अर्धसैनिक बलों की तैनात की जाएँगी।

इन्हीं घटनाक्रमों के बीच अयोध्या में लोगों ने अपने स्तर पर तैयारियाँ भी शुरू कर दी हैं। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या के सैयदवाड़ा में एक दर्जी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'स्थानीय लोग आपस में चर्चा करते सुने जाते हैं कि इस बार सैयदवाड़ा को निशाना बनाया जाएगा। चिंता होती है।' वह कहते हैं, 'यदि राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला नहीं आता है तो मुश्किल होगी। ऐसे हालात में हम परिवार को कहीं दूर नहीं भेजें तो और क्या करें' 

रिपोर्ट के अनुसार, हनुमान गढ़ी मंदिर के बाहर तीन पीढ़ियों से लड्डू बेचने वाले परिवार के घनश्याम गुप्ता कहते हैं, 'हमने पहले से व्यवस्था पूरी कर ली है। चावल और दाल का स्टॉक घर में कर लिया है।' 

रिपोर्टें हैं कि शादियों को भी टाल दिया गया है। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के अनुसार, बिड़ला धर्मशाला के मैनेजर पवन सिंह ने कहा, 'लोगों ने वेन्यू और कमरों की बुकिंग कैंसिल कर दी है। उन्होंने सिर्फ़ नवंबर, दिसंबर के लिए ही नहीं, बल्कि अगले साल फ़रवरी तक की बुकिंग कैंसिल कर दी है। जो कोई भी कह रहा है कि अयोध्या में सामान्य जीवन प्रभावित नहीं हुआ है वह सच नहीं बोल रहा है।'

लोगों के बीच आशंकाएँ इसलिए भी हैं क्योंकि 1989-90 और 1992 में भी ऐसी स्थिति रही थी। तब बाबरी मसजिद ढहाए जाने के दौरान काफ़ी स्थिति नाजुक थी और लोगों में ख़ौफ़ का माहौल रहा था। उस घटनाक्रम के ‘घाव’ को लोग शायद अभी भूल नहीं पाए हैं।

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