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अयोध्या विवाद: मुसलिम पक्ष के वकील को जान से मारने की धमकी 

अयोध्या विवाद: मुसलिम पक्ष के वकील को जान से मारने की धमकी 

अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 17वें दिन की सुनवाई से पहले मुसलिम पक्ष के वकील को जान से मारने की धमकी मिली है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने धमकी मिलने की सूचना कोर्ट को दी।

अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 17वें दिन की सुनवाई से पहले मुसलिम पक्ष के वकील को जान से मारने की धमकी मिली है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने धमकी मिलने की सूचना कोर्ट को दी। जब सुनवाई शुरू हुई तब भी धवन को धमकी मिलने का ज़िक्र किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने धमकी मिलने के मामले की सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय कर दिया। इसके बाद अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई जारी रही। आज से मुसलिम पक्षकारों की सुनवाई शुरू हुई है। इससे पहले 16 दिन तक हिंदू पक्षकारों की दलीलें सुनी गईं। माना जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड क़रीब तीन हफ़्ते तक सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखेगा। इनके वकील राजीव धवन ने पहले ही कहा था कि वह अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेंगे। इनकी दलीलें रखे जाने के बाद क़रीब एक महीने में फ़ैसला आने की उम्मीद है।

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोज़ाना सुनवाई हो रही है। जैसे ही 17वें दिन सुनवाई शुरू हुई कपिल सिब्बल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को मिले धमकी वाले पत्र का ज़िक्र किया। मुसलिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। इसके माध्यम से राजीव धवन की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि 88 साल के एक प्रोफ़ेसर ने उनसे मुसलिम पक्षकारों की पैरवी नहीं करने को कहा है, और ऐसा करने पर जान से मारने की धमकी दी है।

जब धमकी मिलने के मामले की सुनवाई तुरंत करने की माँग की गई तब मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मामले को मंगलवार को सुनेंगे। बता दें कि धमकी मिलने के बारे में वकील की ओर से शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई गई थी।

बता दें कि अयोध्या मामले की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इससे पहले मध्यस्थता की भी कोशिश की गई थी लेकिन वह प्रयास भी विफल हो गया था।

बाबरी विध्वंस: जज ने माँगी थी सुरक्षा

बाबरी मसजिद विध्वंस मामले की ट्रायल कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज एस.के. यादव को भी पिछले महीने धमकी मिली थी। इसी कारण उन्होंने सुरक्षा बढ़ाने की माँग की थी। जस्टिस एस.के. यादव ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी और पुलिस सुरक्षा की माँग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब माँगा था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से उस आदेश को जारी करने के लिए भी कहा था जिसमें जज के कार्यकाल को तब तक के लिए बढ़ाया गया जब तक मामले का ट्रायल पूरा नहीं होता।

बता दें कि यह मामला बाबरी मसजिद के विध्वंस से जुड़ा है। यह मामला ट्रायल कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में जो चार्जशीट दाखिल हुई थी उसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 अन्य के नाम शामिल हैं। चार्जशीट में लालकृष्ण आडवाणी के अलावा उमा भारती, कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा जैसे बड़े नाम शामिल हैं। 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मसजिद के ढाँचे को ढहा दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलों की हो रही है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट उन केसों की सुनवाई कर रहा है जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। लेकिन हाई कोर्ट का यह फ़ैसला कई लोगों को पसंद नहीं आया। यही कारण है कि इस मामले के ख़िलाफ़ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मई 2011 में हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसी मामले में यह रोज़ाना सुनवाई चल रही है।

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