संसद में हुए हंगामे के लिए देश से माफ़ी मांगे विपक्ष: केंद्र
राज्यसभा की महिला सांसदों के इस आरोप पर कि उनके साथ पुरूष मार्शलों ने बदसलूकी की, केंद्र सरकार ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर अपना पक्ष रखा है। कई विपक्षी दलों के नेताओं ने महिला सांसदों के साथ हुई बदसलूकी की घटना को लेकर सरकार पर हमला बोला है। यह घटना संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन बुधवार को हुई है।
यह घटना उस वक़्त हुई, जब जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधयेक, 2021 पास किया जा रहा था। उस दौरान विपक्षी दलों के सांसद नारेबाज़ी कर रहे थे और उन्होंने कुछ कागज़ों को भी फाड़ दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेन्स में मोदी सरकार के सात मंत्री- प्रेस कॉन्फ्रेन्स में अनुराग ठाकुर, प्रहलाद जोशी, मुख्तार अब्बास नक़वी, पीयूष गोयल, अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव, वी. मुरलीधरन मौजूद रहे।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा विपक्ष ने कामकाज में बाधा डाली। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, हमने विपक्ष से निवेदन किया कि वह कम से कम मोदी सरकार में शामिल नए मंत्रियों का परिचय होने दे लेकिन विपक्षी सांसद हंगामा करते रहे। उन्होंने कहा कि सरकार ने हर दिन विपक्षी सांसदों से बात करने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने।जोशी ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी लेकिन विपक्षी सांसद टेबल पर चढ़ गए। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने हमें धमकी दी कि अगर आप ओबीसी बिल के अलावा कोई अन्य बिल पास करने की कोशिश करेंगे तो और ज़्यादा हंगामा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों में अगर थोड़ी भी समझ है तो उन्हें देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दोनों सदनों विशेषकर राज्यसभा में विपक्ष का जो व्यवहार रहा है, वह बेहद दुखद है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के सांसदों ने भद्दे व्यवहार की सीमा को भी पार कर दिया।
'रूल बुक को फेंका गया'
गोयल ने कहा कि जिस तरह रूल बुक को आसन की ओर फेंका गया, अगर उस वक़्त तक कोई वहां बैठा होता, तो वह बुरी तरह घायल हो जाता। उन्होंने कहा कि माफ़ी मांगने के बजाय विपक्षी सांसद रौब दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की गई है।
गोयल ने कहा कि सुरक्षा स्टाफ़ के साथ भी बदसलूकी की गई और विपक्ष की मंशा थी कि सदन को चलने न दिया जाए।
‘लोकतंत्र पर हमला’
घटना को लेकर एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने एएनआई से कहा कि उन्होंने अपने 55 साल के संसदीय जीवन में राज्यसभा में कभी भी महिला सांसदों पर हमला होते नहीं देखा। पवार ने कहा कि 40 से ज़्यादा महिलाओं को बाहर से सदन के भीतर लाया गया। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है और लोकतंत्र पर हमला है।पवार ने पत्रकारों को बताया कि विपक्ष के प्रदर्शन को रोकने के लिए सदन में बड़ी संख्या में मार्शलों को तैनात कर दिया गया था। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि राज्यसभा में सांसदों से ज़्यादा सुरक्षा गार्ड थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राज्यसभा टीवी आप सबको यह नहीं दिखाएगा और संसद में मोदी-शाह का गुजरात मॉडल काम कर रहा है।
गुरूवार को संसद तक पैदल मार्च निकालने वाले विपक्षी दलों के सांसदों ने भी इस मामले को उठाया है। राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्यसभा में पहली बार सांसदों की पिटाई की गई, बाहर से लोगों को बुलाकर सांसदों के साथ मारपीट की गई है।
बता दें कि संसद का मानसून सत्र पूरी तरह हंगामेदार रहा और इस दौरान विपक्ष ने पेगासस जासूसी मामले, किसान आंदोलन सहित कुछ और अहम मुद्दों पर सरकार को पूरी तरह घेर लिया।