क्या बीजेपी में मुसलिमों के पक्ष में आवाज़ उठाना ग़ुनाह है?
क्या किसी मुसलिम युवक के साथ हुई बेवजह मारपीट का विरोध करना कोई ग़ुनाह है आप कहेंगे नहीं, मुसलिम क्या किसी के भी साथ धर्म, जाति, भाषा क्षेत्र के आधार पर भेदभाव क़तई नहीं होना चाहिए और मारपीट को तो बर्दाश्त किया ही नहीं जा सकता।
लेकिन बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को एक मुसलिम युवक के साथ मारपीट का विरोध करने पर अपनी ही पार्टी के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। बीजेपी की विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों ने भी गंभीर का विरोध किया। पहले बताते हैं कि यह मामला क्या है।
गुरुग्राम के जैकबपुरा इलाक़े के सदर बाज़ार में एक मुसलिम युवक मोहम्मद बरकत के साथ 26 मई की रात को कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। बरकत का कहना था कि रात लगभग 10 बजे आधा दर्जन लोगों ने उसे रोका और उनमें से एक व्यक्ति ने उससे कहा कि इस इलाक़े में ऐसी धार्मिक टोपी (छोटी टोपी) पहनना पूरी तरह मना है। बरकत के मुताबिक़, ‘जब मैंने उस आदमी को बताया कि मैं मसजिद से नमाज पढ़कर लौट रहा हूँ तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया। उसने मुझसे भारत माता की जय और जय श्री राम का नारा लगाने को कहा। जब मैंने ऐसा करने से मना किया तो उसने मुझे सुअर का मांस खिलाने की धमकी दी।’ बरकत ने कहा कि उस आदमी ने रॉड से उसे मारा और गालियाँ भी दीं। धार्मिक आधार पर घृणा फैलाने और मारपीट की यह ख़बर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
पूर्वी दिल्ली सीट से नवनिर्वाचित सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट कर इस घटना की निंदा की। गौतम ने लिखा - गुरुग्राम में एक मुसलिम युवक को उसकी टोपी उतारने और जय श्री राम का नारा लगाने के लिए कहना बेहद चिंताजनक बात है। गुरुग्राम के अधिकारियों को इस घटना पर कार्रवाई करनी चाहिए। हम एक धर्मनिरपेक्ष मुल्क हैं, जहाँ मशहूर लेखक जावेद अख़्तर ने भगवान का भजन लिखा था - ओ पालन हारे, निरगुण और न्यारे।’
“In Gurugram Muslim man told to remove skullcap,chant Jai Shri Ram”.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) May 27, 2019
It is deplorable. Exemplary action needed by Gurugram authorities. We are a secular nation where @Javedakhtarjadu writes “ओ पालन हारे, निर्गुण और न्यारे” & @RakeyshOmMehra gave us d song “अर्ज़ियाँ” in Delhi 6.
गंभीर के इस ट्वीट पर जब कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल किया और उन पर सलेक्टिव होने का आरोप लगाया तो गंभीर ने एक और ट्वीट कर कहा - पीएम मोदी का मंत्र है - सबका साथ, सबका विकास, सब का विश्वास। गंभीर ने लिखा कि वह सिर्फ़ गुरुग्राम मामले की बात नहीं कर रहे हैं। सहिष्णुता और समावेशी विकास का विचार ही भारत का आधार है।
My thoughts on secularism emanate from honourable PM Mr Modi’s mantra “सबका साथ, सबका विकास, सब का विश्वास”. I am not limiting myself to Gurugram incident alone, any oppression based on caste/religion is deplorable. Tolerance & inclusive growth is what idea of India is based on.
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) May 27, 2019
लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को शायद गंभीर का यह बयान रास नहीं आया। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी के एक नेता ने गंभीर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें सोच-समझकर बयान देना चाहिए था, विशेषकर यह देखते हुए कि हरियाणा में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। एक अन्य नेता ने भी कहा कि गंभीर को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए क्योंकि इस मामले में जाँच चल रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस तरह के बयानों का इस्तेमाल हरियाणा की राज्य सरकार के ख़िलाफ़ कर सकता है।
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि गंभीर का इस मामले में दिया बयान मासूमियत भरा था। उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे मामलों में बयान देते समय ख़ासी सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि अब बीजेपी सत्ता में आ गई है और समाज का एक वर्ग ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करेगा।दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने कहा कि गंभीर के बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उनके मुताबिक़, यह साधारण सा ट्वीट है जिसमें अधिकारियों से कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
इसके बाद बयान देने का नंबर आया दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा का। बग्गा ने कहा, 'कुछ लोग गुरुग्राम में हुई इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। दो समूहों में होने वाली हर लड़ाई को हिंदू-मुसलिम का रंग देकर देश को बाँटने की कोशिश की जा रही है। मुसलिम पक्ष की ओर से पुलिस को दी गई सूचना में कहीं भी हिंदू-मुसलिम विवाद का जिक्र नहीं था लेकिन बाद में इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया गया।'
सोशल मीडिया पर बीजेपी का पुरजोर समर्थन करने वाले फ़िल्म निर्माता अशोक पंडित ने ट्वीट कर गंभीर को सलाह दी कि वह चारों तरफ़ ख़ान मार्केट और टुकड़े-टुकड़े गैंग से घिरे हैं और वे लोग उन्हें सेक्युलरिज़्म के माया जाल में उलझा देंगे।
ए भाई ज़रा देख के चलो
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) May 27, 2019
आगे ही नहीं, पीछे भी
दाएँ ही नहीं , बाएँ भी
ऊपर ही नहीं, नीचे भी
ए भाई !
क्यूँकि चरो तरफ़ खान मार्केट और टुकड़े टुकड़े गैंग से घिरे हो जो तुम्हें सेक्युलरिज़म के माया जाल में उलझा देंगे ! ‘छपास और दिखास’ को याद रखिए ! 🙏 https://t.co/Zpo8uJnyMp
ट्विटर पर आलोचना का शिकार होने के बाद गंभीर ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि उन्हें ट्रोल किए जाने और आलोचना होने से कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि झूठ के पीछे छुपने से बहुत आसान सच बोलना है।
अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या गंभीर को बरकत के साथ हुई मारपीट की निंदा नहीं करनी चाहिए थी। अगर उन्होंने निंदा कर दी तो आख़िर क्यों बीजेपी के नेता और समर्थक उनकी राय के पूरी तरह ख़िलाफ़ हो गए। और ऐसा तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतने के बाद संविधान को नमन करते हुए कहा था कि वह अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की कोशिश करेंगे। जबकि पिछले कुछ दिनों में ही बरकत के अलावा मध्य प्रदेश के सिवनी इलाक़े में कथित गोरक्षकों के द्वारा महिला समेत तीन लोगों को बेरहमी से पीटने, बिहार के बेगूसराय में एक मुसलिम को उसका नाम पूछने के बाद उसे गोली मार देने और उससे पाकिस्तान जाने को कहने की घटनाएँ सामने आई हैं।
इससे पहले इसी साल हरियाणा के ही भोंडसी इलाक़े में कुछ लोगों ने होली के मौक़े पर एक मुसलिम परिवार के सदस्यों को घर में घुसकर बेरहमी से पीट दिया था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ था। आरोपियों ने लाठी-डंडों, तलवारों, लोहे की छड़ों और हॉकी स्टिक से परिवार के लोगों पर हमला किया था। आरोपियों ने उन लोगों से कहा था कि वे पाकिस्तान चले जाएँ और गालियाँ दी थीं। इस साल गुरुग्राम में कुछ हिंदूवादी संगठनों ने मुसलिमों के सार्वजनिक जगह पर नमाज पढ़ने को लेकर ख़ासा हंगामा भी किया था।
सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी में इस तरह की घटनाओं को लेकर बोलना मना है। अगर मना है, जैसा कि गंभीर को ट्रोल किए जाने के बाद दिखता है तो फिर तो प्रधानमंत्री के बयान का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।
आख़िर प्रधानमंत्री यह क्यों नहीं कहते कि इस तरह की अगर एक भी घटना बीजेपी शासित राज्य में होती है तो वहाँ की सरकार इसके लिए ज़िम्मेदार होगी। सवाल यह भी है कि अगर गौतम गंभीर तक को आवाज़ उठाने पर ट्रोल किया जा सकता है तो उस पार्टी में आम कार्यकर्ता की क्या बिसात है जो इस तरह की घटनाओं पर अपनी राय रख सके। इस तरह की घटनाओं को लेकर सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद कड़ा रुख अपनाने की ज़रूरत है क्योंकि प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उन्होंने ‘सबका विश्वास’ की बात कही है और यह तब होगा जब इसमें देश के 17 करोड़ से ज़्यादा मुसलमानों का विश्वास भी शामिल होगा। और यह विश्वास मुसलमान उन्हें तभी दिला पायेंगे जब उन्हें इस धर्मनिरपेक्ष मुल्क में उनके धर्म के कारण निशाना नहीं बनाया जाएगा।