सुप्रीम कोर्ट में 24 को अतीक-अशरफ मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट पूर्व विधायक अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्याओं की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए आज मंगलवार को तैयार हो गया। मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। इस याचिका में उत्तर प्रदेश में 184 एनकाउंटर की भी जांच की मांग की गई है।
इलाहाबाद में पिछले शनिवार को अतीक अहमद और अशरफ को पत्रकारों की आड़ में तीन लोगों ने गोली मार दी थी। हथकड़ी में बंधे दोनों भाइयों को शनिवार को प्रयागराज में मेडिकल जांच के लिए जाया गया था। अतीक उस समय ऑन कैमरा मीडिया के लोगों से बात कर रहे थे, उसी समय यह घटना हुई। यूपी पुलिस बस तमाशा देखती रह गई।
यह घटना ऐसे समय हुई जब झांसी में 13 अप्रैल को पुलिस एनकाउंटर में अतीक अहमद के बेटे असद सहित दो लोगों को मार डाला गया था। शनिवार को उन्हें कब्रिस्तान में दफन किए जाने के बाद जब अतीक और अशरफ लौटे तो यह घटना हो गई। असद और उनके साथ मारे गए गुलाम का एनकाउंटर पहले ही सवालों के घेरे में है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में तमाम हत्याओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की मांग की गई है। वकील विशाल तिवारी की याचिका में कहा गया है कि 2017 के बाद से हुए 183 एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन करके कानून के शासन की रक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी करें। इसके साथ ही अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत में हुई हत्या की जांच भी की जाए।
याचिका में एक्स्ट्रा जूडिशल मर्डर्स का जिक्र करते हुए कहा गया है - पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक गंभीर खतरा है और एक पुलिस राज्य की ओर ले जाती है। एक लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम न्याय देने या दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दंड की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया था कि राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के छह साल के शासन में असद और उनके सहयोगी सहित 183 अपराधी मुठभेड़ों में मारे गए हैं।
वकील विशाल तिवारी के अलावा यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी अतीक-अशरफ मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के तीन हत्यारों की पहचान पुलिस ने लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य के रूप में की है। सभी हमलावर 20-22 साल के हैं। डबल मर्डर के बाद पुलिस द्वारा काबू पाने से पहले तीनों आरोपियों ने "जय श्री राम" के नारे लगाए।
तीनों को अदालत में पेश करने के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन्हें शुरू में प्रयागराज की नैनी जेल में रखा गया था, लेकिन सोमवार को सुरक्षा चिंता के मद्देनजर उन्हें प्रतापगढ़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया।