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अविश्वास प्रस्ताव में एक वोट से गिर गई थी अटल सरकार 

अविश्वास प्रस्ताव में एक वोट से गिर गई थी अटल सरकार 

लोकसभा में विपक्षी दलों मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं हैं। 

भारतीय संसदीय इतिहास में अब तक लोकसभा में दो दर्जन से अधिक बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं लेकिन इसमें सिर्फ दो बार सरकार गिरी है। पहली बार जहां 1978 में मोरारजी देसाई सरकार अविश्वास प्रस्ताव में गिर गई थी वहीं 1999 में अटल बिहारी सरकार भी इसके कारण गिर चुकी है।

 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से जयललिता की पार्टी ने जब समर्थन वापस ले लिया तब उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार मात्र एक वोट के अंतर से गिर गई थी। इसके बाद 2003 में भी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर विपक्ष आया था। तब एनडीए ने बड़े आराम से विपक्ष को वोटों की गिनती में हरा दिया था। इसमें एनडीए को जहां 312 वोट मिले वहीं विपक्ष को 186 वोटों ही मिले थे।   

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था, वहीं जब वह विपक्ष में थे तब वह भी दो बार दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश कर चुके थे। 

 कुछ वोटों से ही बची थी  मनमोहन सरकार 

 वर्ष 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ सीपीएम अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी. यह प्रस्ताव अमेरिका के साथ हुए परमाणु समझौते के कारण लाया गया था। हालांकि कुछ वोटों के अंतर से मनमोहन सरकार गिरने से बच गई थी। 

वहीं वर्ष 2018 में  मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी जो कि पास नहीं हो पाया था। इसमें आसानी से मोदी सरकार ने बहुमत साबित कर दिया था और अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था। इसके बाद अब जाकर 2023 में एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।  

अभी कांग्रेस और बीआरएस ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस 

लोकसभा में विपक्षी दलों मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं हैं।  कांग्रेस और बीआरएस की ओर से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के पास अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है।  कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के उप-नेता और सांसद गौरव गोगोई ने और बीआरएस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के नेता नमा नागेश्वर राव ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा और वोटिंग होगी।

लोकसभा में कांग्रेस के पास 50 और बीआरएस के पास नौ सांसद हैं। वहीं सभी विपक्षी दलों के मिलाकर करीब 150 सांसद हैं। माना जा रहा है कि यह अविश्वास प्रस्ताव संयुक्त विपक्ष इंडिया का मोदी सरकार पर मिलकर किया जाने वाला हमला है। इसमें विपक्ष अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेगा।   

मणिपुर पर पीएम की चुप्पी तुड़वाने की कोशिश है यह 

विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ संसद में भले ही अविश्वास प्रस्ताव ले कर आई हैं लेकिन उनके पास इतने सांसद नहीं हैं कि वे इसे लोकसभा में पास करवा पाएं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि वे इस बात को जानते हैं कि उनके इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार गिरने वाली नहीं है। इसके बावजूद इस प्रस्ताव को लाने का मकसद मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को तुड़वाना है। ऐसा इसलिए कि अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जब चर्चा होगी तो प्रधानमंत्री को बोलना ही पड़ेगा। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि उनका मकसद सरकार को गिराना नहीं बल्कि प्रधानमंत्री की चुप्पी को तुड़वाने है।    

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