गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को बारपेटा की जिला व सेशन कोर्ट से जमानत मिलने के मामले में की गई कुछ टिप्पणियों पर गुवाहाटी हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है।
बता दें कि असम पुलिस की महिला कर्मचारी के साथ बदसुलूकी के आरोपों के मामले में मेवाणी को गिरफ्तार किया गया था। यह उनकी एक ही हफ्ते के भीतर दूसरी गिरफ्तारी थी। इस मामले में बारपेटा की अदालत ने सख्त टिप्पणियां की थी और मेवाणी को जमानत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे को मैन्युफैक्चर्ड केस बताया था।
बारपेटा की अदालत ने कहा था कि ऐसे हालात में हमारा लोकतंत्र पुलिस स्टेट में बदल जाएगा। अदालत ने कहा था कि असम हाई कोर्ट राज्य में दर्ज हो रहीं फर्जी एफआईआर को लेकर पुलिस को सुधार करने के लिए निर्देश देने पर विचार करे।
असम सरकार ने बारपेटा की अदालत के द्वारा मेवाणी को दी गई जमानत और अपने फैसले में की गई टिप्पणियों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। असम के एडवोकेट जनरल देबजीत सैकिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बारपेटा की अदालत ने अपने फैसले में कुछ टिप्पणियां की हैं जो असम पुलिस के कामकाज पर असर करती हैं और उसका मनोबल गिराने वाली हैं, इसलिए हमने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
सैकिया ने हाई कोर्ट में भी दलील दी कि ऐसी टिप्पणियों से असम पुलिस के मनोबल पर बेहद खराब असर होगा।
असम हाई कोर्ट के जज जस्टिस देवाशीष बरुआ ने अपने फैसले में कहा कि असम पुलिस के बारे में की गई कुछ टिप्पणियों का मेवाणी की जमानत याचिका पर विचार किए जाने से कोई संबंध नहीं था।
अदालत ने कहा कि ये टिप्पणियां रिकॉर्ड पर बिना किसी विषय सामग्री के की गई हैं इसलिए हाई कोर्ट बारपेटा की अदालत के द्वारा की गई टिप्पणियों पर अगले आदेश तक रोक लगाती है।
बारपेटा की अदालत के द्वारा मेवाणी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को मैन्युफैक्चर्ड केस बताए जाने पर हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी भी पहली नजर में सेशन कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इसलिए इस टिप्पणी पर भी रोक लगाई जाती है।
हालांकि हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके आदेश को मेवाणी को दी गई जमानत पर रोक नहीं समझा जाना चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
मोदी सरकार पर बोला था हमला
जिग्नेश मेवाणी ने उन्हें जमानत मिलने के बाद केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला था और कहा था कि उनकी गिरफ्तारी के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे गोडसे भक्तों का हाथ है। उन्होंने कहा था कि गुजरात के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी छवि को खराब करने के लिए ऐसा किया गया।