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सीएए- विरोधी आंदोलन के नेता गोगोई की रिहाई के लिए सीएम को साहित्यकारों का ख़त

सीएए- विरोधी आंदोलन के नेता गोगोई की रिहाई के लिए सीएम को साहित्यकारों का ख़त

असम के लेखकों ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को पत्र लिखकर अखिल गोगोई और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए उचित चिकित्सा की माँग की है। 

असम के 100 से अधिक साहित्यकारों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र लिख कर सीएए विरोधी आंदोलन के नेता अखिल गोगोई की रिहाई और उनका इलाज कराने का अनुरोध किया है। 

इससे पहले जेल में जब गोगोई के दो सहयोगी कोरोना से संक्रमित पाये गए,  गोगोई  के समर्थकों ने उनकी रिहाई के लिए एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया था। गोगोई 11 जुलाई को कोरोना संक्रमित पाये गए और इसके साथ ही जेल से उनकी रिहाई की माँग तेज़ हो गई।

क्या है मामला?

असम के किसान नेता और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अखिल गोगोई को पिछले साल एनआईए ने हिंसक प्रदर्शन में कथित भूमिका के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था।

गोगोई 12 दिसंबर, 2019 से जेल में हैं। गिरफ़्तारी के अगले ही दिन गुवाहाटी के चाँदमारी थाने में पुलिस ने मामला दर्ज किया और उसी दिन यह केस राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया। 

यूएपीए लगाया

एनआईए ने अखिल गोगोई को ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हिरासत में लिया था। उनके संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और उसके छात्र विंग के तीन सदस्यों को भी गिरफ़्तार किया गया और उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया।

गोगोई के क़ानूनी सलाहकार और केएमएसएस के सदस्यों ने पहले कहा था कि गुवाहाटी सेंट्रल जेल में 1,200 क़ैदियों में से कई संक्रमित हो चुके हैं और किसान नेता भी इनमें हो सकते हैं।

केएमएसएस के संयुक्त सचिव मुकुट डेका ने कहा,

‘आखिल गोगोई को लंबे समय तक जेल में रखा गया तो उनके संक्रमित होने का ख़तरा है। वह पहले से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे हैं और उनको इलाज की ज़रूरत है।’


मुकुट डेका, संयुक्त सचिव, कृषक मुक्ति संग्राम समिति

सोशल मीडिया अभियान

अखिल गोगोई अनुरागी मंच असम (फैन क्लब) ने गोगोई की रिहाई के लिए फ़ेसबुक और ट्विटर अभियान शुरू किया है। समूह ने लोगों से अपील की है कि वे जेल में बंद कार्यकर्ता के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में दो वाक्य लिखें।

लोकप्रिय असमिया गायक-गीतकार मनीष रॉबिन सोशल मीडिया अभियान में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए लॉकडाउन का फ़ायदा उठाया है। गोगोई की रिहाई के लिए अब ऑनलाइन अभियान एकमात्र विकल्प है, जो न तो राष्ट्रविरोधी है और न ही लोकतंत्र-विरोधी है।’

मुख्यमंत्री को ख़त

असम के लेखकों ने 12 जुलाई को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक खुला पत्र लिखकर अखिल गोगोई और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए उचित चिकित्सा की माँग की, जो कोरोना संक्रमित हैं और अस्पतालों में भर्ती हैं।

सौ से अधिक लेखकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और उन सभी राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई की माँग की है, जिन्हें पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान गिरफ़्तार किया गया था।

क्या लिखा है चिट्ठी में?

मुख्यमंत्री को लिखे ख़त मेें कहा गया है, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि लोगों के आंदोलन और अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही गोगोई और उनके साथियों का कोविड-19 परीक्षण किया गया, नागरिक चिंतित हैं कि कहीं राजनीतिक कैदियों के मानवाधिकारों को नज़रअंदाज़ तो नहीं किया जा रहा है।’

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रख्यात लेखक नीलमणि फुकन, हिरेन गोहाईं, प्रभात बोरा, अपूर्ब शर्मा, ज्ञान पुजारी, अरूपा पतंगिया कलिता, समीर तांती के साथ-साथ मौसमी कंदली, निलिम कुमार, रत्ना भराली तालुकदार, कमल कुमार तांती, दलीम दास, अंकुर रंजन फुकन, मैत्रेयी पातर, कुकिल सैकिया, पंचानन हजारिका आदि शामिल हैं।

सीएए का विरोध

ग़ौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में अखिल गोगोई की गिरफ़्तारी के बाद ही पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा था। वर्ष 2018 के 7 मई को नागरिकता संशोधन विधेयक की सुनवाई के लिए बीजेपी सांसद राजेंद्र अगरवाला के नेतृत्व में जेपीसी की टीम असम आई थी, तब अखिल गोगोई ने जेपीसी के प्रतिनिधियों से लंबी बहस की थी।

उनके संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया था। असम में उग्रवादी संगठन उल्फा की लोकप्रियता खत्म होने के बाद हाल के दिनों का इतिहास अखिल गोगोई और उनके संगठन के चर्चा के बगैर अधूरा है।

अखिल गोगोई ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही समान रूप से नापसंद करती हैं। कभी पुराने तो कभी नए आरोप में अखिल को समय-समय पर जेल भेजा जाता रहा है।

आन्दोलन का इतिहास

अखिल की राजनीति से सरोकार न रखने वाले मध्यवर्ग ने भी वर्ष 2010 में बांध विरोधी आंदोलन के दौरान अखिल के साथ मिलकर कई विशाल रैलियों में भागीदारी की थी। 

वर्ष 2005 में किसान के 29 वर्षीय बेटे अखिल ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति की स्थापना की थी। इससे पहले अखिल ने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करते हुए कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल की स्थापना की थी। अखिल  ने उस साल सभी दोस्तों को एकजुट कर कहा था कि हमारी राजनीतिक सोच कार्य में तब्दील होनी चाहिए, और इस तरह कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल का जन्म हुआ। 

छात्र आन्दोलन

अखिल गोगोई की पत्नी गीताश्री और पूर्व सहयोगी बताते हैं कि किसान नेता के रूप में अखिल का उभरना यकायक हुआ। अखिल हमेशा छात्र नेता बनना चाहते थे। उन्होंने गुवाहाटी स्थित जज़ेज फ़ील्ड में एक विशाल सम्मेलन के आयोजन का सपना देखा था, जहाँ से एक नए क्रांतिकारी छात्र संघ का जन्म होता। मगर वह सम्मेलन कभी नहीं हुआ।

अखिल ने सांस्कृतिक मार्ग चुना और ज्योति प्रसाद अगरवाला की जन्म शताब्दी मनाने का फैसला किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कॉटन कॉलेज के सुदमर्शन हॉल में किया गया था, इसमें भूपेन हजारिका शामिल हुए थे।

इस आयोजन के बाद अखिल अब लोकप्रिय चेहरा बन चुके थे।  केएमएसएस के सदस्यों की सही जानकारी तो पता नही, पर संगठन के नेता अशरफुल इसलाम के अनुसार इस संगठन के लगभग 12 लाख सदस्य  हैं।  

हाल के कुछ वर्षों में संगठन ने कई आंदोलन किए हैं। बस किराए में बढ़ोतरी से लेकर बड़े बांध या टॉलगेट का विरोध, सबमें संगठन ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वर्ष 2015 में संगठन ने काजीरंगा एंड ऑर्किड एंड बायोडाईवर्सिटी पार्क की स्थापना की। छात्रों और किसानों के समर्थन के बावजूद अखिल कभी चुनाव मैदान में नहीं उतरे।

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