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असमः मिया संग्रहालय सील करने के पीछे क्या राजनीति है

असमः मिया संग्रहालय सील करने के पीछे क्या राजनीति है

असम की पुरातन संस्कृति को जिन्दा रखने के लिए समर्पित एक मिया संग्रहालय को गोलपाड़ा जिले में सील कर दिया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान के बाद प्रशासन ने यह कार्रवाई की। सरमा की नजर 2020 से ही मिया संग्रहालयों पर है। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार के रहते असम में मिया संग्रहालय नहीं चल सकते। जानिए पूरा घटनाक्रम इस रिपोर्ट सेः

असम में मिया म्यूजियम राजनीति का शिकार हो गया है। राज्य में मिया म्यूजियम असम की पुरातन संस्कृति को जिन्दा रखने की कोशिश है। लेकिन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ऐसा नहीं सोचते। उनका कहना है कि राज्य में बीजेपी सरकार के रहते मिया म्यूजियम नहीं चल सकते। गोलपाड़ा जिले में जिला प्रशासन ने दो दिन पहले शुरू हुए मिया म्यूजियम को आज मंगलवार 25 अक्टूबर को सील कर दिया।

 - Satya Hindi

गोलपाड़ा में मिया संग्रहालय पर लगा नोटिस।

असम में मिया शब्द बांग्लादेश से आए मुसलमानों के लिए इस्तेमाल होता है। अखिल असम मिया परिषद राज्य के अल्पसंख्यक लोगों की संस्कृति से जुड़ी वस्तुओं को संरक्षण देने के लिए राज्य में कई स्थानों पर मिया म्यूजियम खोल रहा है। उनसे संबंधित कार्यक्रम करती है।  असम में जब गैर बीजेपी सरकार रही हैं तो इस संस्था को संस्कृति विभाग से सरकारी फंड भी मिलता था। लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद संस्था को फंड मिलना बंद हो गया तो संस्था ने अपने संसाधनों से मिया संग्रहालय खोलना शुरू कर दिया। मिया परिषद में राज्य के तमाम लेखक, कवि, लोक कलाकार, फिल्मकार आदि सदस्य हैं। लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार इसे कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों की संस्था मानती है।

असम की तमाम मीडिया और समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक गोलपाड़ा जिले में मिया संग्रहालय के दरवाजे पर मंगलवार को एक नोटिस चस्पा कर इसे सील कर दिया। यह मिया म्यूजियम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मोहर अली पुत्र सोमेश अली के घर में पिछले रविवार को खोला गया था।

दरअसल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार 25 अक्टूबर की सुबह बहुत कड़ा बयान दिया कि राज्य पुलिस उस फंड के स्रोत की जांच करेगी जिसका इस्तेमाल राज्य में मिया संग्रहालय स्थापित करने के लिए किया गया था। सीएम का यह बयान हाल ही में गोलपाड़ा जिले में खोले गए मिया संग्रहालय के लिए था। सरमा के बयान के बाद प्रशासन ने मिया म्यूजियम पर नोटिस लगा दिया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नए मिया संग्रहालय के फंडिंग की जांच कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी। मिया संग्रहालय की स्थापना में शामिल लोग जांच के दायरे में आएंगे।

सीएम सरमा ने कहा कि मिया संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुएं वास्तव में असमिया संस्कृति से संबंधित हैं। मिया संग्रहालय की स्थापना करके असमिया संस्कृति को बंधक बनाने का संभावित प्रयास है। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि मिया संग्रहालय में प्रदर्शित होने वाली सभी वस्तुओं का उपयोग असमिया लोग कर रहे हैं। मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हल के सामान, सभी असमिया समुदाय के हैं। केवल लुंगी (जो पुरुष पहनते हैं) संग्रहालय में प्रदर्शित होने वाली एक वस्तु है जो वास्तव में मिया समुदाय से संबंधित है। सरमा ने कहा कि इसमें नया क्या है? वहां रखे गए उपकरण और 'लुंगी' को छोड़कर सब कुछ असमिया लोगों के हैं। मिया संग्रहालय को साबित करना होगा कि 'नंगोल' का इस्तेमाल केवल मिया लोग करते हैं, अन्यथा मामला दर्ज किया जाएगा। 

राज्य के बुद्धिजीवियों को इसके बारे में सोचना चाहिए। जब मैंने मिया शायरी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने मुझे सांप्रदायिक कहा। अब मिया कविता, मिया स्कूल और यहाँ तक कि एक मिया संग्रहालय भी यहाँ है।


- हिमंत बिस्वा सरमा, मुख्यमंत्री असम, 25 अक्टूबर को

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि अगर मिया संग्रहालय का प्रबंधन संतोषजनक जवाब देने में विफल रहता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।

राज्य के मिया म्यूजियम पर असम के सीएम सरमा की नजर 2020 से ही थी। 28 अक्टूबर 2020 में उनका पहला बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में जब तक बीजेपी सत्ता में है, वो मिया म्यूजियम न खुलने देगी और न रहने देगी। 

एक सरकारी कमेटी ने श्रीमंता शंकरादेवा कलाक्षेत्र में एक मिया म्यूजियम का प्रस्ताव किया था। इस कमेटी में बीजेपी के विधायक भी सदस्य थे। लेकिन मुख्यमंत्री सरमा ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया। कांग्रेस विधायक शरमन अली अहमद ने मिया परिषद के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया था। सरमा का 2020 का ट्वीट बताता है कि वो मिया संग्रहालय को बांग्लादेश से कथित घुसपैठिए या मुसलमानों का प्रतीक मानते हैं।

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