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ज्ञानवापी मामला- बड़ा हिंदू मंदिर पहले अस्तित्व में था: एएसआई

ज्ञानवापी मामला- बड़ा हिंदू मंदिर पहले अस्तित्व में था: एएसआई

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब इस पर विवाद बढ़ने की आशंका है। जानिए, सर्वे रिपोर्ट में क्या कहा गया है। 

हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई की रिपोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक बड़े हिंदू मंदिर ढांचे के अस्तित्व की बात कही गयी है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह बात कही। हिंदू पक्षकारों ने दावा किया है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी में मूल काशी विश्वनाथ मंदिर के विनाश के बाद उसके स्थान पर बनाई गई थी।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई सर्वेक्षण एक बड़े हिंदू मंदिर की उपस्थिति की ओर इशारा करता है जो वर्तमान संरचना से पहले का है। एएसआई को वाराणसी जिला अदालत ने जुलाई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का काम सौंपा था।

यह खुलासा वाराणसी की एक अदालत के उस फैसले के एक दिन बाद हुआ है जिसमें कहा गया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को दी जानी चाहिए।

पिछले साल एएसआई ने यह निर्धारित करने के लिए ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। अदालत ने एएसआई सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था।

एएसआई की रिपोर्ट में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर सर्वेक्षण शामिल है। इसमें साइट पर ऐतिहासिक परतों के बारे में सवालों के जवाब ढूंढे गए हैं। जैन के अनुसार मौजूदा संरचना पहले से मौजूद संरचना पर बनाई गई लगती है।

जैन ने एएसआई रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को कहा, 'एएसआई के निष्कर्षों से पता चलता है कि मस्जिद में संशोधन किए गए थे, स्तंभों और प्लास्टर को मामूली बदलाव के साथ पुन: उपयोग किया गया था। नई संरचना में उपयोग के लिए हिंदू मंदिर के कुछ स्तंभों को थोड़ा संशोधित किया गया था। स्तंभों पर नक्काशी को हटाने का प्रयास किया गया था।'

जैन ने दावा किया कि रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि प्राचीन हिंदू मंदिर के शिलालेख भी मिले हैं, जो देवनागरी, तेलुगु, कन्नड़ और अन्य लिपियों में लिखे गए हैं। जैन ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा, 'एएसआई ने कहा है कि सर्वेक्षण के दौरान मौजूदा और पहले से मौजूद संरचना पर कई शिलालेख देखे गए। वर्तमान सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए और 32 स्टांप वाले पेज लिए गए।'

उन्होंने कहा, 'वास्तव में ये पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के पत्थर पर शिलालेख हैं जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण और मरम्मत के दौरान पुन: उपयोग किया गया है।' वकील ने कहा, 'संरचना में पहले के शिलालेखों के पुन: उपयोग से पता चलता है कि पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके हिस्सों को मौजूदा संरचना की मरम्मत में पुन: उपयोग किया गया था। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम पाए गए हैं।'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फ़ारसी शिलालेख में उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल (1667-77) में किया गया था। इसलिए, ऐसा लगता है कि पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था और इसके कुछ हिस्से को संशोधित किया गया था और मौजूदा संरचना में पुन: उपयोग किया गया था।'

इसमें यह भी कहा गया है, "बादशाह औरंगजेब की जीवनी मासीर-ए-आलमगिरी में उल्लेख है कि औरंगजेब ने 'सभी प्रांतों के राज्यपालों को काफिरों के स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था' (जदुनाथ सरकार tr 1947, मासीर- आई-आलमगिरी, पीपी 51-52)। 2 सितम्बर 1669 को; 'यह बताया गया कि सम्राट के आदेश के अनुसार उनके अधिकारियों ने काशी में विश्वनाथ के मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।' (जदुनाथ सरकार (त्र.) 1947 मासीर-ए-आलमगिरी पृष्ठ 55)"

रिपोर्ट में कहा गया है, 'तहखाने S2 में फेंकी गई मिट्टी के नीचे हिंदू देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प दबे हुए पाए गए।' रिपोर्ट में कहा गया है कि चबूतरे के पूर्वी हिस्से में तहखाने बनाते समय पहले के मंदिरों के स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया था।

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