अदालत ने किस आधार पर दी आशीष मिश्रा को जमानत?
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को जमानत मिलने के बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर मिश्रा को जमानत कैसे मिली। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस के द्वारा मिश्रा पर लगाए गए आरोपों पर सवाल उठाए और उसकी जांच को भी खारिज कर दिया।
अजय मिश्रा टेनी की केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग को किसानों से लेकर विपक्षी दलों ने जोर-शोर से उठाया था। ऐसे में आशीष मिश्रा को जमानत मिलने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मांग को फिर से उठाया है।
पुलिस के आरोपों पर सवाल
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को आशीष मिश्रा के द्वारा प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने के पुलिस के आरोप पर सवाल खड़े किए। अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच के दौरान किसी भी मृतक या घायल शख्स के शरीर पर बंदूक की गोलियों के निशान नहीं मिले हैं।
अदालत ने कहा कि घटनास्थल पर हजारों लोग मौजूद थे और ऐसा हो सकता है कि थार एसयूवी के ड्राइवर ने खुद को बचाने के लिए गाड़ी तेज रफ्तार में भगा दी हो और इस वजह से यह घटना घटी हो।
अदालत ने कहा कि आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के लिए एसयूवी गाड़ी के ड्राइवर को भड़काने का आरोप है। लेकिन उस गाड़ी में मौजूद ड्राइवर और दो अन्य लोगों की प्रदर्शनकारियों ने हत्या कर दी थी। अदालत ने यह भी कहा कि आशीष मिश्रा इस मामले में जांच अधिकारी के सामने पेश हुआ और मामले में चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है।
ऐसे हालात में अदालत का मत यह है कि अभियुक्त या याचिकाकर्ता आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में थार एसयूवी मैं बैठे तीन लोगों की हत्या पर आंखें बंद नहीं कर सकती क्योंकि इस घटना के जो फोटो सामने आए हैं उन से पता चलता है कि प्रदर्शनकारियों ने कितनी बर्बरता की थी।
लखीमपुर खीरी की घटना में किसानों को गाड़ियों से रौंद दिया गया था। घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 4 किसान भी थे।
किसानों के साथ ही बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा, श्याम सुंदर निषाद और हरि ओम मिश्रा की भीड़ ने जान ले ली थी। एक पत्रकार की भी मौत इस घटना में हुई थी।
अदालत ने कहा कि उस दौरान हो रहे प्रदर्शन के आयोजनकर्ताओं को जांच में मदद करनी चाहिए और बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीटने वालों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में अभी तक सिर्फ चार ही लोगों को अभियुक्त क्यों बनाया गया है।
आशीष मिश्रा को जमानत ऐसे वक्त में मिली है जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान शुरू हो चुका है। मिश्रा को जमानत मिलने के बाद कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूछा है कि अब तक मंत्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त क्यों नहीं किया गया है। टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस पर सवाल उठाया है कि आशीष मिश्रा को जमानत कैसे मिल गई।