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ASER रिपोर्टः प्राइमरी स्कूलों में तादाद बढ़ी, लड़कियां खूब पढ़ रहीं 

ASER रिपोर्टः प्राइमरी स्कूलों में तादाद बढ़ी, लड़कियां खूब पढ़ रहीं 

देश में प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई में जबरदस्त सुधार हुआ है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों में बच्चों ने पहले के मुकाबले ज्यादा एडमिशन लिया है। लड़कियां भी खूब पढ़ाई कर रही हैं। यह रिपोर्ट उस सर्वे पर आधारित है, जिसे कोविड 19 महामारी के बाद प्रथम फाउंडेशन ने तैयार किया है।  

देश में प्राइमरी लेवल की शिक्षा के मामले में उत्साहजनक रिपोर्ट आई है। राइट टु एजुकेशन (शिक्षा का अधिकार) कानून लागू होने के बाद आई यह वार्षिक रिपोर्ट (ASER) बताती है कि 6 से 14 साल की उम्र वाले लगभग 98.4% छात्र अब स्कूलों में पढ़ रहे हैं। यह राष्ट्रीय सर्वेक्षण स्कूलों में सीखने के नतीजों पर प्रकाश डालता है। इसे प्रथम फाउंडेशन ने तैयार किया है। इससे पहले ASER रिपोर्ट 2018 में आई थी। अब चार साल बाद उसकी रिपोर्ट फिर से जारी की गई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एएसईआर 2022 में, 616 जिलों के 19,060 स्कूलों के लगभग 7 लाख छात्रों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया था। इसका मुख्य मकसद कोविड 19 महामारी के बाद स्कूली बच्चों के सीखने की क्या स्थिति है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन स्तर में सुधार हुआ है। 2010 में यह 96.6 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 96.7 प्रतिशत हो गया था। फिर 2018 में 97.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 98.4 प्रतिशत हो गया है। 2018 से 2022 की अवधि में सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले बच्चों की तादाद 7.3 प्रतिशत बढ़ी है।

लड़कियां खूब पढ़ रही हैं

ASER रिपोर्ट बता रही है कि 11 से 14 साल की जो लड़कियां स्कूलों से दूर हो रही थीं, उसमें गिरावट आई है यानी लड़कियां अब पढ़ रही हैं। 2018 में इस आयु वर्ग की लड़कियों का ड्रॉप आउट रेट 4 फीसदी था, जो 2022 में 2% रह गया। अकेले यूपी में ही ड्रॉप आउट रेट लगभग 4% है लेकिन अन्य सभी राज्यों में कम है। यूपी को लड़कियों की पढ़ाई के मामले में ज्यादा मेहनत करना होगी। उसे वो वजहें तलाशनी होंगी कि राज्य में लड़कियों का डॉप आउट रेट कम क्यों नहीं हो रहा है।

उत्साहजनक तस्वीर

15 से 16 साल वाली किशोरवय की लड़कियों को स्कूल भेजने से रोकने के अनुपात में भी कमी आई है। 2008 में राष्ट्रीय स्तर पर इस उम्र की 20% से अधिक लड़कियों को स्कूल में दाखिल नहीं किया गया था। दस साल बाद 2018 में यह आंकड़ा घटकर 13.5% रह गया था। लेकिन 2022 में यह आंकड़ा 7.9% पर जा पहुंचा है। इससे पता चलता है कि बड़ी लड़कियां भी खूब पढ़ रही हैं।

 - Satya Hindi

तीन फिसड्डी राज्य

अलबत्ता तीन राज्य ऐसे हैं जिनमें इस मामले में भी धब्बा लगा है। एमपी, यूपी और छत्तीसगढ़ में 15-16 की लड़कियों का तीनों राज्यों का कुलमिलाकर आंकड़ा 10% से ऊपर है। अलग से देखा जाए तो मध्य प्रदेश में 17%, उत्तर प्रदेश 15% और छत्तीसगढ़ 11.2% लड़कियों का एडमिशन नहीं हो रहा है। इस तरह एमपी और यूपी की हालत बहुत बुरी है। प्राइमरी क्लास और बड़ी क्लास को अगर जोड़कर देखा जाए तो यूपी और एमपी फिसड्डी साबित हो रहे हैं।

ट्यूशन ज्यादा पढ़ रहे बच्चे ट्यूशन क्लास के जरिए पढ़ाई करने वाले छात्रों की तादाद भी बढ़ी है। 2018 और 2022 के बीच, सभी राज्यों में, ट्यूशन क्लास में जाने वाले बच्चों के अनुपात में वृद्धि हुई है। सिर्फ गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और त्रिपुरा अपवाद हैं, जहां इसमें इजाफा नहीं हुआ है।

एएसईआर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में ट्यूशन क्लास लेने वाले पहली से आठवीं क्लास के 30.5% छात्र हो गए है, जबकि 2018 में यह 26.4% था। रिपोर्ट के मुताबिक यूपी, बिहार और झारखंड में प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले बच्चों के अनुपात में 2018 के मुकाबले 8 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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