क़ानूनी हक़ के लिए लड़ रहे थे मुसलिम, ख़ैरात नहीं चाहिए: ओवैसी
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि 'मैं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हूँ।' उन्होंने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तर्कों का हवाला देते हुए कहा कि मुसलिम पक्ष क़ानूनी हक़ के लिए लड़ रहा था। उन्होंने मसजिद बनाने के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने को लेकर कहा कि मुसलमानों को खैरात नहीं चाहिए। ओवैसी ने कहा कि मुसलमान मसजिद के लिए ज़मीन ख़रीद सकते हैं।
ओवैसी ने कहा कि 'जिन्होंने बाबरी मसजिद को शहीद किया, कोर्ट ने उन्हें ही ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है।' उन्होंने सवाल किया यदि बाबरी मसजिद नहीं ढहाई जाती तो कोर्ट क्या फ़ैसला देता?
अयोध्या पर बीजेपी और संघ के रुख पर ओवैसी ने कहा कि बीजेपी ने 1989 में पालमपुर में राम मंदिर का प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने आशंका जताई कि अब डर है कि ऐसी कई जगहों पर संघ परिवार के लोग दावा करेंगे, जहाँ वे कहते रहे हैं कि यहाँ पहले मंदिर था। ओवैसी ने कहा कि मुझे डर है कि कल संघ परिवार के लोग काशी, मथुरा को भी मुद्दा बनाएँगे।
मसजिद के लिए पाँच एकड़ ज़मीन दिए जाने के फ़ैसले पर ओवैसी ने कहा, 'मुसलमान इतना ग़रीब नहीं है कि वह 5 एकड़ ज़मीन नहीं ख़रीद सकता। यदि मैं हैदराबाद की जनता से ही भीख माँगू तो 5 एकड़ ज़मीन ले सकेंगे। हमें किसी की भीख की ज़रूरत नहीं है।'
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा कि हम अपनी कौम की आने वाली पीढ़ियों को यह बताते जाएँगे कि 500 साल से यहाँ मसजिद थी, लेकिन 6 दिसंबर, 1992 को गिरा दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ परिवार ने कांग्रेस की साज़िश की मदद से ऐसा किया।
बता दें कि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से असहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे आगे की कार्रवाई के लिए आगे फ़ैसला लेंगे।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फ़ारूक़ी ने कहा, 'इसके बदले हमे 100 एकड़ ज़मीन भी दें तो कोई फ़ायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ ज़मीन पहले से ही अधिग्रहित की हुई है तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ ज़मीन लेने के बाद 5 एकड़ दे रहे हैं। ये कहाँ का इंसाफ़ है?'
ये प्रतिक्रियाँ सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या विवाद पर फ़ैसले पर आई हैं। फ़ैसले में विवादित स्थल रामलला को और मसजिद के लिए मुसलिम पक्ष को दूसरी ज़मीन देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्टी बोर्ड गठित करे। मंदिर के ट्रस्टी बोर्ड में निर्मोही अखाड़ा को उचित प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने का इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को भी ग़लत बताया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए वह 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। कोर्ट ने मुसलिमों को भी अयोध्या में 5 एकड़ दूसरी ज़मीन देने का आदेश दिया है।