आर्यन मिश्रा के पिता का सवाल- क्या मोदी सरकार ने गौ तस्कर समझकर गोली मारने का अधिकार दिया है?
दिल्ली के पास फ़रीदाबाद में गोरक्षकों और 12वीं कक्षा के छात्र की कथित तौर पर हत्या के बीच कार की टक्कर का एक सीसीटीवी वीडियो ऑनलाइन सामने आया है। गौरक्षकों ने छात्र आर्यन मिश्रा को पशु तस्कर समझकर गोली मार दी थी। पुलिस ने कहा कि सभी पांच आरोपियों--सौरभ, अनिल कौशिक, वरुण, कृष्णा और आदेश--को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन इस सिलसिले में आर्यन के पिता का बयान कम महत्वपूर्ण नहीं है। एएनआई ने आर्यन के पिता से बात की।
#WATCH | Faridabad, Haryana: A student of class 12th shot dead on suspicion of cow smuggling.
— ANI (@ANI) September 3, 2024
His father, Siyanand Mishra says, "My son named Aryan Mishra was a student of Class 12. I was not aware of anything...Later, I got to know my son was shot on suspicion of cow… pic.twitter.com/ALFp4m75BR
आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा ने एएनआई से कहा- "मेरा बेटा जिसका नाम आर्यन मिश्रा है वह 12वीं कक्षा का छात्र था। मुझे कुछ भी पता नहीं था...बाद में मुझे पता चला कि मेरे बेटे को गाय तस्करी के संदेह में गोली मार दी गई।...कौन देता है गौ तस्करी के शक में किसी को गोली मारने का अधिकार? अगर मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है तो क्यों?... मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है...सीबीआई प्रभारी ने मामले को सुलझा लिया है...।" बता दें कि आर्यन के पिता जिसको सीबीआई कह रहे और समझ रहे हैं, वो दरअसल फरीदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच है।
एनडीटीवी ने आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर गदपुरी टोल प्लाजा का सीसीटीवी वीडियो देखा है। उस वीडियो में आर्यन को अपने दोस्तों शैंकी और हर्षित के साथ लाल रंग की एसयूवी (डस्टर) में देखा जा सकता है। सीसीटीवी फुटेज 24 अगस्त सुबह करीब 3 बजे का है। इसके तुरंत बाद, आर्यन और उसके दोस्तों को टोल प्लाजा से भागते देखा जा सकता है, पांच आरोपियों को एक सफेद हैचबैक में उनका पीछा करते देखा जा सकता है।
Toll Booth CCTV Shows Faridabad Student Being Chased By Cow Vigilantes pic.twitter.com/HgZb03EQdi
— NDTV (@ndtv) September 3, 2024
इसके चंद सेकंड बाद ही गौरक्षक गुंडों ने कार पर गोलियां चला दीं, जिससे आर्यन मिश्रा की मौत हो गई।
इस घटना की पूरी जानकारी के लिए सत्य हिन्दी पर यह रिपोर्ट भी पढ़ें। क्लिक करें।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पुलिस के हवाले से बताया गया है कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें सूचना मिली थी कि दो एसयूवी चलाकर कुछ संदिग्ध पशु तस्कर शहर में रेकी कर रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपियों ने पीड़ित आर्यन मिश्रा और उसके दोस्तों को पशु तस्कर समझ लिया और दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गदपुरी टोल के पास लगभग 30 किलोमीटर तक उनकी कार का पीछा किया।
पीटीआई ने पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया है कि आरोपियों ने पुलिस को जानकारी दी कि जब उन्होंने पीड़ित की कार को रोकने के लिए कहा, तो चलाने वाले ने गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी, जिसके बाद उन्होंने गोलियां चला दीं और पलवल में गदपुरी टोल के पास मिश्रा की मौके पर ही मौत हो गई।
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आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा का यही सवाल है कि गौरक्षकों को किसी को गोली मारने का अधिकार किसने दिया। अगर (नरेंद्र) मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है तो क्यों दिया?
फरीदाबाद के पुलिस अधिकारी आरोपियों की बैकग्राउंड के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। वे न ही ये बता रहे हैं कि आरोपी क्या ऐसी वारदात पहले भी कर चुके हैं। क्योंकि गौरक्षा के नाम पर फरीदाबाद, पलवल, मेवात और गुड़गांव जिलों में कई हत्याएं हो चुकी हैं। इन्हीं चार जिलों में गौरक्षकों के कई ग्रुप सक्रिय हैं। ये गौरक्षक समूह राजस्थान तक वाहनों का पीछा करते हैं और वाहनों पर हमले करने से लेकर गोली तक चलाते हैं। हरियाणा और राजस्थान में तमाम पशु पालक गाय और भैंस खरीदकर एक इलाके से दूसरे इलाके जाते रहते हैं, ऐसे वाहनों को भी गौरक्षक निशाना बनाते हैं। राज्य में गौरक्षा के लिए सख्त कानून है और गौमांस पर पूरी तरह पाबंदी है। लेकिन भैंस के मांस पर कोई रोकटोक नहीं है। क्योंकि सरकार को इससे राजस्व मिलता है। लेकिन गौरक्षक भैंस के मीट को भी बीफ बताकर पशु पालकों को परेशान करते हैं।
हरियाणा में कथित गौरक्षकों का आतंकवाद बढ़ता जा रहा है। हाल ही में चरखीदादरी में कूड़ा बीनने वाले बंगाली मजदूर साबिर की हत्या गौमांस खाने के शक में कर दी गई। इस घटना पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बयान दिया था कि गांवों में गायों को लेकर काफी सम्मान है। अगर गांव वालों को पता चल जाता है तो उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है। पिछले हफ्ते हुए चरखीदादरी कांड को रफादफा कर दिया गया। इससे पहले मेवात में इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, जब कथित गौरक्षकों ने कानून हाथ में लेकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया है। बल्लभगढ़ में चलती ट्रेन में जुनैद नामक युवक की हत्या असामाजिक तत्वों ने इसी तरह की थी लेकिन मामले को ट्रेन की सीट विवाद से जोड़ा गया। गुड़गांव के कथित गौरक्षकों ने राजस्थान से पशु पालकों को उठाकर उन्हें भिवानी के पास उनकी गाड़ी के साथ जिन्दा जला दिया गया।