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फाइजर, मॉडर्ना राज्यों को वैक्सीन क्यों नहीं दे रहीं? केजरीवाल से जानिए

फाइजर, मॉडर्ना राज्यों को वैक्सीन क्यों नहीं दे रहीं? केजरीवाल से जानिए

फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों ने सीधे राज्यों को कोरोना टीके बेचने से इनकार क्यों किया? जानिए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा है।

कोरोना वैक्सीन की कमी से कई टीकाकरण केंद्रों के बंद किए जाने की दिक्कतों का सामना कर रही दिल्ली को फाइजर और मॉडर्ना से टीके मिलने की उम्मीदों को झटका लगा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि जब राज्य सरकार ने इन कंपनियों से संपर्क किया तो इन कंपनियों ने साफ़ तौर पर कह दिया कि वे केंद्र सरकार से सौदा करेंगे, राज्यों से नहीं। एक दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ऐसा ही आरोप लगाया था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का यह बयान तब आया है- जब दो दिन पहले ही वैक्सीन की कमी के कारण 18-44 वर्ष के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान को रोकना पड़ा है। दिल्ली सहित देश के क़रीब-क़रीब सभी राज्य टीके की कमी का सामना कर रहे हैं। 

इस बीच अरविंद केजरीवाल ने आज कहा, 'हमने वैक्सीन के लिए फाइजर और मॉडर्ना से बात की है और दोनों ने सीधे हमें टीके बेचने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वे केंद्र सरकार से सौदा करेंगे। हम केंद्र से टीके आयात करने और राज्यों को वितरित करने की अपील करते हैं।'

एक दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी यही बात कही थी। उन्होंने कहा था जब मॉडर्ना कंपनी से संपर्क किया गया तो उसने सीधे राज्य को बेचने से इनकार कर दिया। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने भी आज कहा कि वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना ने सीधे पंजाब सरकार को वैक्सीन भेजने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए और टीकों की खरीद में राज्य सरकार का समर्थन करना चाहिए।

बता दें कि दो दिन पहले ही शनिवार को अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना टीके की सप्लाई बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली को हर महीने 80 लाख टीके की खुराक चाहिए, लेकिन मई में अब तक सिर्फ़ 16 लाख खुराक ही मिली हैं। उन्होंने कहा कि जून महीने के लिए दिल्ली का कोटा और घटाकर अब 8 लाख कर दिया गया है। 

केजरीवाल ने अपने पत्र में चार सुझाव दिए थे। उनमें से एक यह भी था कि केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माण करने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से खरीदे और राज्यों के बीच में बाँटे।

ऐसा ही सुझाव पहले राहुल गाँधी दे चुके हैं। उन्होंने 14 मई को ट्वीट कर केंद्र पर निशाना साधते हुए वैक्सीन नीति की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति समस्या को और बिगाड़ रही है। राहुल ने ट्वीट में सरकार को एक सुझाव दिया था।

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वैक्सीन बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में टीके बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को बनाने के लिए 24 घंटे के अंदर टीके निर्माण की इजाजत दी जानी चाहिए। 

बता दें कि कई राज्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से टीके खरीदने को उत्सुक हैं। लेकिन अब यह नयी बाधा खड़ी हो गई है। 

भारत में शुरुआत में दो टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। इसमें से एक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है और दूसरी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका से क़रार करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड। अब देश में तीसरी वैक्सीन को भी मंजूरी मिल चुकी है। यह तीसरी कंपनी है रूस की स्पुतनिक वी। इन कंपनियों के पास सीमित संख्या में वैक्सीन निर्माण की क्षमता होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के टीके के लिए पैरवी की जा रही है। 

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