तवांग झड़प: भारत-चीन के कमांडर्स में बातचीत, शांति बहाली पर जोर
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद पहली बार दोनों देशों के कमांडर्स की बातचीत 20 दिसंबर को हुई। इस बातचीत में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएलसी पर सीमा विवाद और अन्य मुद्दों को लेकर दोनों पक्षों के कमांडर्स ने अपनी-अपनी बात रखी।
बातचीत के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि बातचीत बेहद स्पष्ट रही और दोनों देशों के नेताओं के द्वारा तमाम मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए दिए गए निर्देश के मुताबिक की गई।
9 दिसंबर को दोनों देशों के सैनिकों के बीच तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में झड़प हुई थी। इसमें दोनों देशों के जवान घायल हो गए थे।
विपक्ष के दबाव के बाद भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में संसद में कहा था कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई है और भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उनके इलाके में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
मुद्दों को सुलझाने की कोशिश
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख के पश्चिमी इलाके में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। बयान में आगे कहा गया है कि बातचीत के दौरान मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया गया जिससे एलएसी के पश्चिमी इलाके में शांति और स्थिरता की बहाली हो सके। दोनों ही पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि वे एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे और सैन्य और कूटनीतिक रास्तों के जरिए बातचीत करते रहेंगे जिससे जल्द से जल्द बचे हुए मुद्दों का समाधान निकाला जा सके।
सितंबर में भारतीय और चीनी सैनिकों ने गोगरा-हॉट स्प्रिंग क्षेत्र से डिसइंगेजमेंट किया था और इससे पहले दोनों देशों के कमांडर्स के बीच 16 दौर की बातचीत हुई थी।
याद दिलाना होगा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
सीमाओं का निर्धारण नहीं
बताना होगा कि दोनों देशों के बीच चार हजार किमी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कई इलाक़ों पर अकसर एक-दूसरे के सैनिकों के द्वारा अतिक्रमण की घटना होती है। अतिक्रमण की घटना इसलिए होती हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं निर्धारित नहीं हैं और दोनों की इसे लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं।
सीमाओं पर गश्त के दौरान जब सेनाएं एक-दूसरे के मान्यता वाले इलाक़े में जानबूझ कर या ग़लती से प्रवेश कर जाती हैं तो सैनिकों के बीच कुछ तनातनी होती है और फिर ध्वज बैठकों या फ्लैग मीटिंग के द्वारा मसलों को सुलझा लिया जाता है।