अनुच्छेद 370: विश्व मीडिया ने लिखा, कश्मीर में हालात बदतर होंगे
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने का दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने हालात बिगड़ने के संकेत दिए हैं। ‘द गार्जियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अख़बारों ने लिखा है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। कुछ अख़बारों ने यह भी लिखा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने ‘हिंदू राष्ट्र’ की दिशा में एक और क़दम बढ़ा दिया है।
‘द गार्जियन’ के लिए ब्रिटिश पत्रकार और दक्षिण एशिया के पूर्व संवाददाता जेसन बर्क ने अपने लेख में लिखा है कि कश्मीर में सबसे ख़राब दौर से इसकी तुलना की जाए तो राज्य में इंसर्जेंसी, हत्या, अत्याचार और अपहरण के भयावह स्तरों से काफ़ी नीचे है, लेकिन डर यह होना चाहिए कि इसमें अब बदलाव आएगा। यानी बर्क यह मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों से स्थिति बदलेगी और ज़ाहिर है वह बदलाव बुरे दौर की तरह ही होंगे।
हिंदू-बहुल राज्य में बदलेगा कश्मीर : वाशिंगटन पोस्ट
‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए लफ़ेयेट कॉलेज में दक्षिण एशियाई इतिहास के सहायक प्रोफ़ेसर हफ़्सा कंजवाल ने इस क़दम को असंवैधानिक बताया। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय अब कश्मीर में संपत्ति और भूमि ख़रीद सकते हैं, और स्थानीय आबादी को बाहर निकाल सकते हैं। इस प्रकार, इस असंवैधानिक क़दम में जो कुछ भी दाँव पर लगा है वह है कश्मीर में बसने वाली औपनिवेशिक परियोजना की शुरुआत जो कि इज़राइल के फ़लीस्तीनी क्षेत्रों के समान है। ...यहाँ आशय यह है कि कश्मीर के जनसांख्यिकी को मुसलिम-बहुल राज्य से बदलकर एक हिंदू-बहुल राज्य में बदल दिया जाए।’
हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र की ओर क़दम : अल जज़ीरा
उत्तरी कोलोराडो ग्रीले विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर अथर ज़िया ने अल जज़ीरा के लिए लिखा कि मोदी सरकार का अनुच्छेद 370 को रद्द करने का क़दम न केवल हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र की ओर बढ़ता एक कदम है, बल्कि पाकिस्तान और दुनिया के बाक़ी हिस्सों को भी ताक़त दिखाने का प्रयास है।
उन्होंने लिखा, ‘अनुच्छेद 370 को रद्द करने का निर्णय बीजेपी के लिए लोगों को खु़श करने का तरीक़ा है। इसने प्रधानमंत्री मोदी को अपने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के संबोधन में कुछ अलग करने के लिए दिया, क्योंकि इसने सरकार के इस दावे को पुष्ट किया कि यह हिंदू राष्ट्र के अपने दृष्टिकोण को पाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। इससे उन्होंने यह भी दिखाया कि पाकिस्तान से भिड़ने से वह डरते नहीं हैं, तब भी जब वाशिंगटन उनकी तरफ़ नहीं है।’
जेरूसलम पोस्ट के लिए अपने लेख में प्रसिद्ध पत्रकार और पश्चिम एशिया विशेषज्ञ सेठ फ्रांत्ज़मैन लिखते हैं कि कश्मीर का मुद्दा केवल अनुच्छेद 370 के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें व्यापक वैश्विक संबंध हैं।
कश्मीरियों में डर: डॉन
पाकिस्तान के अख़बार ‘डॉन’ ने लिखा है कि भारत की सत्तारूढ़ बीजेपी ने सोमवार को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से सात दशकों तक रही ‘विशेष स्वायत्तता’ को कश्मीरियों से छीन लिया है।
अख़बार ने लिखा, ‘संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद शेष भारत के लोगों को अब ‘अधिकृत कश्मीर’ में संपत्ति प्राप्त करने और स्थायी रूप से बसने का अधिकार होगा। कश्मीरी और भारत के हिंदू राष्ट्रवादी नेतृत्व वाली सरकार के आलोचकों ने इस क़दम को मुसलिम-बहुल कश्मीर की जनसांख्यिकी को हिंदू निवासियों के साथ ‘घालमेल’ करने के प्रयास के रूप में देखा है।’
अख़बार ने यह भी लिखा है कि अब कश्मीरियों को यह डर सता रहा है कि यह इलाक़ा मुसलमान बहुल होने के बजाय हिंदू बहुल हो जाएगा।
एक अन्य पाकिस्तानी अख़बार ‘एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के कारण फ़लस्तीनियों की तरह कश्मीरी भी बिना मुल्क़ के हो जाएँगे। अख़बार ने लिखा है कि यह ऐसा इसलिए होगा क्योंकि करोड़ों की संख्या में ग़ैर-कश्मीरी वहाँ बस जाएँगे और उनकी ज़मीन, संसाधनों और नौकरी पर अधिकार जमा लेंगे।
परमाणु युद्ध के ख़तरे में डाला: 'पाकिस्तान टुडे'
'पाकिस्तान टुडे' ने लिखा है कि अमित शाह के एलान के बाद जम्मू-कश्मीर में तनाव फैल गया है। अख़बार ने लिखा, ‘कथित रूप से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का मज़ाक बनाते हुए भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को एक राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अधिकृत क्षेत्र की विशेष स्थिति को रद्द करके, कश्मीरियों में स्वतंत्रता-समर्थक भावनाओं को ठुकराकर और पूरे उपमहाद्वीप में एक परमाणु युद्ध के ख़तरे में डालकर विवादित जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति को बदल दिया है।’
पाकिस्तान के एक अन्य अख़बार 'द नेशन' ने ‘भारत सरकार ने अपने संविधान से अनुच्छेद 370 ख़त्म करने का एलान किया’ नाम के शीर्षक से ख़बर दी है और लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर में स्थिति और ख़राब होगी।