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अग्निवीर को मुआवजे पर सेना का बयान, क्या राहुल गांधी को दिया जवाब?

अग्निवीर को मुआवजे पर सेना का बयान, क्या राहुल गांधी को दिया जवाब?

सियाचीन में एक अग्निवीर के शहीद होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उसके परिवार को मुआवजे का मुद्दा उठाया। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया रहा। सेना ने अब उसका जवाब दिया है। हालांकि सेना ने कहा सोशल मीडिया पर जो गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, उसका स्पष्टीकरण जरूरी है, लेकिन सेना ने दरअसल राहुल गांधी के सवाल का जवाब दिया है।

अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण सियाचिन में ड्यूटी पर शहीद हो गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीर लक्ष्मण की तस्वीर साझा की और कहा कि सियाचिन में उनकी मृत्यु की खबर दुखद है। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। एक जवान देश के लिए शहीद हो गया - उसकी सेवा के लिए कोई ग्रेच्युटी नहीं, कोई अन्य सैन्य सुविधाएं नहीं, और शहादत पर उसके परिवार को कोई पेंशन नहीं। राहुल ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा, "अग्निवीर भारत के नायकों का अपमान करने की एक योजना है।" भाजपा ने तमाम आरोपों से इनकार किया। लेकिन इस मुद्दे पर सेना ने भी मोर्चा संभाला और जवाब दिया।

लक्ष्मण के शोक संतप्त परिवार के लिए संवेदना जताते हुए, रक्षा मंत्रालय के IHQ के अतिरिक्त सार्वजनिक सूचना महानिदेशालय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "विरोधाभासी सूचनाओं को देखते हुए" निकटतम रिश्तेदारों को वित्तीय सहायता के संबंध में सारी बातों को स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना ने कहा कि अग्निवीर को मुआवजे में ₹48 लाख की इंश्योरेंस राशि, ₹44 लाख का अनुग्रह भुगतान (एक्सग्रेशिया), अग्निवीर से सेवा निधि योगदान (30%) और अर्जित ब्याज के साथ सरकार द्वारा एक समान योगदान शामिल है। इसमें सैनिक के निधन की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए उसका वेतन भी शामिल है। वर्तमान मामले में यह राशि ₹13 लाख से अधिक है।

सेना ने कहा कि सशस्त्र बल युद्ध कोष से ₹8 लाख का अतिरिक्त योगदान परिजनों को दिया जाएगा। सेना ने कहा कि तत्काल राहत प्रदान करने के लिए आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) 30 हजार रुपये की वित्तीय सहायता दे रही है।

भाजपा आईटी सेल से जुड़े अमित मालवीय ने राहुल गांधी के बयान पर कहा- आप प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं। फेक न्यूज फैलाना बंद करें।

हालांकि सेना और भाजपा ने राहुल गांधी को जवाब देने की कोशिश की है लेकिन राहुल गांधी ने अग्निवीरों की पेंशन और ग्रेच्युटी का मुद्दा उठाया है। सेना ने अपनी सफाई में पेंशन और ग्रेच्युटी का कोई जिक्र नहीं किया है। सेना अपनी जगह सही है, क्योंकि जो भी अग्निवीर सेना में भर्ती होता है, उसके सेवा नियमों में पेंशन और ग्रेच्युटी का कोई जिक्र नहीं होता है। 

अग्निवीरों से जुड़ा विवाद बढ़ रहा है। हाल ही में पंजाब के रहने वाले एक अग्विवीर ने खुदकुशी कर ली थी। पंजाब की आम आदमी पार्टी और सरकार ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उस अग्निवीर को सेना ने सम्मान नहीं दिया। इस पर सेना ने साफ किया कि खुदकुशी करने वाले को कोई सम्मान नहीं दिया जाता। लेकिन पंजाब सरकार जिद पर अड़ी रही। फिर उसने पंजाब सरकार की ओर से सम्मानित किया।

इस बीच कांग्रेस ने सेना के राजनीतिकरण को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर आईएएस अफ़सरों और सैन्य बलों के राजनीतिक इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के लिए सरकार की सभी एजेंसियां, संस्थान, हथियार, विंग और विभाग अब आधिकारिक तौर पर 'प्रचारक' हैं! खड़गे ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के नाम पर नौकरशाही और सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण किया है। उन्होंने पीएम को लिखे खत को एक्स पर साझा करते हुए लिखा है कि हमारे लोकतंत्र और हमारे संविधान की रक्षा के मद्देनजर, यह जरूरी है कि उन आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए जो नौकरशाही और हमारे सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण को बढ़ावा देंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने इससे पहले रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश का भी हवाला दिया है जिसमें सैन्य बलों के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा 9 अक्टूबर के एक आदेश का हवाला देते हुए खड़गे ने दावा किया कि इसमें वार्षिक छुट्टी पर जाने वाले सैनिकों को सरकारी योजनाओं को प्रोत्साहित करने में समय बिताने का निर्देश दिया गया है। 

उन्होंने कहा है, 'जिस आर्मी ट्रेनिंग कमान को हमारे जवानों को देश की रक्षा के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वह सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के तरीके पर स्क्रिप्ट और प्रशिक्षण मैनुअल तैयार करने में व्यस्त है। लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाए।' खड़गे ने लिखा, 'प्रत्येक जवान की निष्ठा राष्ट्र और संविधान के प्रति है। हमारे सैनिकों को सरकारी योजनाओं के विपणन एजेंट बनने के लिए मजबूर करना सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम है।'

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