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अर्जेन्टीना के चैनल ने मोदी की तुलना कार्टून कैरक्टर से की

अर्जेन्टीना के चैनल ने मोदी की तुलना कार्टून कैरक्टर से की

अजेंटीना के एक टीवी चैनल ने मोदी की तुलना एक कार्टून कैरेक्टर से की है, उस पर नस्लीय दुर्भावना का आरोप लगाया जा रहा है। 

अर्जेंटीना के एक टेलीविज़न चैनल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना एक कार्टून कैरेक्टर से की है, जिस पर काफ़ी बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हालाँकि चैनल ने इसके लिए माफ़ी माँग ली है, पर मामला शांत नहीं हो रहा है। ’मोदी जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्वेनस आइरीज़ गए हुए हैं। उनके जहाज़ के वहां उतरने पर क्रोनिका टीवी ने हेडलाइन लगाई - अपू पहुँच गया।अपू नाहासापीमापेटीलन एनिमेशन सिरीज़ का एक हिस्सा है, जो उस टीवी चैनल पर 1990 से ही चल रहा है। अपू भारतीय मूल का एक दुकानदार है जो बहुत ही भारी लहज़े में बोलता है।  इसे गोरे अभिनेता हैंक अज़ारिया आवाज़ देते हैं।

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कुछ लोगों ने इसे नस्लीय क़रार देते हुए विरोध किया है। भारतीय हास्य कलाकार हरी कोन्डाबोलू ने 2017 में एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी और बताया था कि किस तरह अपू के रूप में नस्लीय दुराग्रहों पर आधारित एक चरित्र बनाया गया है। उन्होंने क्रोनिका टीवी के क़दम पर ट्वीट कर विरोध जताया।

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सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा हो रही है। बड़ी तादाद में लोगों ने ट्वीट कर क्रोनिका टीवी की आलोचना की है। इसमें स्थानीय लोग बड़ी तादाद में हैं। अमरीका और आसपास के देशों में नस्लीय हमला एक बड़ा मुद्दा रहा है। वहाँ अश्वेतों के अलावा एशियाई मूल के लोगों का मख़ौल उड़ाने की बात असामान्य नहीं है। उन लोगों पर कई बार हमले भी हुए।नए विवाद के बाद यह सवाल उठ सकता है कि जब किसी देश के प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ाया जा रहा है तो आम लोगों के बारे में क्या कहते होंगे। इस घटना ने वहां एक नई बहस छेड़ दी है। अर्जेंटीना के पत्रकार पैट्रिक जिलस्पी ने मोदी को मज़ाक उड़ाए जाने के लिए क्रोनिका टीवी की आलोचना की है। उन्होंने यह माना है कि यह नस्लीय दुर्भावा से ग्रस्त है। इसी तरह फेद अरोयो ने ट्वीट कर माफ़ी माँगी है। उन्होंने कहा है, 'हमारे राष्ट्रपति भारत जाएँ तो भारतीय भी उनका मज़ाक उड़ाएं, बुरा नही लगेगा।' इसके जवाब में एक भारतीय ने ट्वीट किया, 'ठीक है। अर्जेटीना के राष्ट्रपति भारत जाएंगे तो मैं कहूंगा, देखो मैराडोना आ गय।' मैराडोना फ़ुटबॉल खिलाड़ी हैं, ने नाटे और गुलथुल हैं। इस विवाद ने नस्लवाद को बहस के केंद्र में ला दिया है। 

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