ब्रिटेन के प्रमुख पादरी ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर माँगी माफ़ी
ब्रिटेन के चर्च ऑफ़ कैंटरबरी के आर्च बिशप रेवरेंड जस्टिन वेलबी ने कहा है कि वह जलियाँवाला हत्या कांड पर बेहद शर्मिंदा और दुखी हैं। उन्होंने कहा कि वह ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते, न ही वह राजनीतिक व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि वह ईसाई हैं और ईश्वर से इसके लिए क्षमा माँगते है।
I feel a deep sense of grief, humility and profound shame having visited the site of the horrific #JallianwalaBagh massacre in Amritsar today.
— Archbishop of Canterbury (@JustinWelby) September 10, 2019
Here, a great number of Sikhs – as well as Hindus, Muslims and Christians – were shot dead by British troops in 1919. pic.twitter.com/p5fDprIMbr
अमृतसर के जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को रॉलट एक्ट का विरोध करने के लिए लोग एकत्रित हुए थे। कार्यवाहक ब्रिगेडियर जनरल रेजीनैल्ड डायर वहाँ सैनिकों के साथ पहुँचे, अंदर से पार्क का मुख्य दरवाजा बंद करवा दिया और बगैर किसी पूर्व चेतावनी के अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दीं। इसमें 41 बच्चों समेत कम से कम 400 लोग मारे गए थे और तक़रीबन 1200 घायल हो गए थे। बाद में डायर ने यह भी कहा था कि उन्होंने एकत्रित लोगों को तितर बितर करने के लिए नहीं, भारतीयो को सबक सिखाने के लिए गोलियाँ चलाने का हुक़्म दिया था।
पंजाब के सुनाम के रहने वाले उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में माइकल ओ डॉयर की हत्या गोली मारकर कर दी। जिस समय जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था, माइक डॉयर पंजाब के गवर्नर थे और उन्होंने हत्याकांड का समर्थन किया था। उधम सिंह पर मुक़दमा चला और 31 जुलाई, 1940 को उन्हें फ़ाँसी दे दी गई।
ब्रिटेन में डायर की आलोचना
जलियाँवाला हत्याकांड के बाद उसकी जाँच के लिए हंटर कमीशन का गठन किया गया था। उस आयोग ने रेजीनैल्ड डायर की आलोचना की थी। बाद में ब्रिटिश संसद में डायर की आलोचना की गई, उन्हें पद से हटा दिया गया, उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया। लेकिन डायर को अंत तक अपने किए पर कोई पछतावा नहीं हुआ, उनकी मौत 1927 में हो गई।इस हत्याकांड का विरोध पूरे देश में हुआ। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। महात्मा गाँधी ने इस कांड के बाद पहली बार घोषणा की कि अंग्रेजों को अब भारत छोड़ना होगा और उन्हें हटाने के लिए आंदोलन छेड़ा जाएगा। बांग्ला के कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने नाइटहुड का सम्मान ब्रिटिश सरकार को वापस कर दिया।
राक्षसी कार्रवाई!
उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल थे। उन्होंने इस कार्रवाई को 'राक्षसी' क़रार दिया था, ब्रिटिश सरकार ने डायर की भर्त्सना की थी, उन्हें वापस ब्रिटेन बुला लिया था। पर कभी भी ब्रिटेन ने इस पर माफ़ी नहीं माँगी थी।लेकिन बीच-बीच में यह माँग उठती रही कि ब्रिटिश सरकार इस कांड पर माफ़ी माँगे और पीड़ितों के परिजनों को हरज़ाना दे। सरकार ने माफ़ी तो नहीं माँगी, पर बीच बीच में ऐसा कई बार कहा गया जिससे दुख, और अफ़सोस प्रकट होता हो।
तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने अप्रैल 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर 'गहरा अफ़सोस' जताया था। उन्होंने उसके लिए माफ़ी नहीं माँगी थी, पर ब्रिटिश संसद में कहा था, 'जो कुछ हुआ, और उस हत्याकांड की वजह से लोगों को जो तकलीफ़ हुई, हम उस पर गहरा अफ़सोस जताते हैं।'लेकिन विपक्षी दल लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि मे को पूरी, स्पष्ट और बेलाग शब्दों में माफ़ी माँगनी चाहिए।
हत्याकांड पर सवाल
इस कांड की पूरी दुनिया में भर्त्सना हुई थी। ब्रिटिश सरकार ने उस समय से लेकर अब तक कभी इस पर माफ़ी नहीं माँगी थी। मौजूदा महारानी एलिज़ाबेथ 1997 में भारत आई थीं, तो उन्होंने इस कांड को 'परेशान करने वाली घटना' क़रार दिया था। लेकिन उनके पति फ़िलिप ने पूरे कांड की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि इस घटना को बढा-चढ़ा कर पेश किया गया है।
साल 2017 में लंदन के मेयर और पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक सादिक़ ख़ान ने कहा था कि ब्रिटिश सरकार को इस शर्मनाक वारदात के लिए बग़ैर किसी लाग-लपेट के माफ़ी माँगनी चाहिए।
शर्मनाक घटना
साल 2013 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत आए थे, वह जलियाँवाला बाग भी गए थे।
डेविड कैमरन ने कहा था, 'यह ब्रिटिश इतिहास की एक शर्मनाक घटना थी और इसे कभी नहीं भूला जाना चाहिए।' लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा था कि इतिहास में पीछे की ओर लौटना और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के किए काम के लिए माफ़ी माँगना ग़लत होगा।
सवाल यह उठता है कि आर्च बिशप जस्टिन वेलबी के ईश्वर से माफ़ी माँगने का क्या अर्थ है इसके लिए हमें उनकी स्थिति को समझना होगा।
चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के दो सर्वोच्च पादरी होते हैं-आर्चबिशप ऑफ़ कैंटरबरी और आर्चबिशप ऑफ यॉर्क। आर्चबिशप ऑफ़ कैंटरबरी ही ब्रिटेन के राजा-रानी को सिंहासन पर आरूढ़ होते समय मुकुट पहनाते हैं। उन्हें ब्रिटेन में राजा-रानी के बाद सबसे महत्वपूर्ण आदमी माना जाता है। उन्हें चर्च के एंग्लिकन कम्युनियन का आध्यात्मिक गुरु माना जाता है। एंग्लिकन कम्युनियन के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और इनकी तादाद 8.50 करोड़ से ज़्यादा है।
इसलिए आर्चबिशप ऑफ़ कैंटरबरी का माफ़ी माँगना काफी कुछ कहता है। ऐसा लगता है कि ब्रिटिश सरकार या उसकी रानी तो नहीं, उनके काफ़ी नज़दीक रहे और बेहद अहम आदमी ने माफ़ी माँगी है। यह बेहद महत्वूर्ण घटना है।