असंवैधानिक नहीं है राज्यों में डिप्टी सीएम की नियुक्ति: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न राज्यों में डिप्टी सीएम की नियुक्ति को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों में डिप्टी सीएम या उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति असंवैधानिक नहीं है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह सिर्फ एक ओहदा है जो पार्टियों के गठबंधन या दूसरे वरिष्ठ नेताओं को दिया जाता है। इस पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को कोई अतिरिक्त लाभ भी नहीं मिलता है।
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न राज्यों में उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गलत मानते हुए इस पर विचार करने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता 'पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी' ने विभिन्न राज्यों में उप मुख्यमंत्रियों या डिप्टी सीएम की नियुक्ति को असंवैधानिक नियुक्ति बता कर सुप्रीम कोर्ट से इसको लेकर आदेश मांगा था।
इस याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई ने कहा कि एक उपमुख्यमंत्री भी पहले एक मंत्री होता है और 'उपमुख्यमंत्री' का पद "केवल एक लेबल" है। उन्होंने आगे बताया कि उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति का संवैधानिक अर्थों में कोई संबंध नहीं है, यह लेबल उच्च वेतन जैसे कोई अतिरिक्त लाभ प्रदान नहीं करता है।
लाइव लॉ की यह रिपोर्ट कहती है कि, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है। उपमुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम नियुक्त करने की प्रक्रिया अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। ऐसी नियुक्ति एक गलत उदाहरण पेश करती है।
इस पर सुप्रीम ने कहा कि एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होता है। यह पद संवैधानिक उल्लंघन नहीं करता है।
याचिका में इस बात का भी दावा किया गया था कि डिप्टी सीएम को मुख्यमंत्री की मदद के लिए नियुक्त किया जाता है। वह मुख्यमंत्री के बराबर होता है और उसे समान वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।
देश में अभी 26 डिप्टी सीएम हैं
देश के 14 राज्यों में इस समय कुल 26 डिप्टी सीएम हैं। कुछ राज्यों में दो डिप्टी सीएम भी है। वहीं आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 5 डिप्टी सीएम हैं।याचिकाकर्ता ने कहा था कि इन डिप्टी सीएम की नियुक्ति से जनता का कोई लेना-देना नहीं होता है। इससे राज्य की जनता को कोई अतिरिक्त फायदा भी नहीं मिलता है।
हाल के वर्षों में देखा गया है कि राजनैतिक तोड़ जोड़ के लिए और असंतुष्ट नेताओं को जिन्हें मुख्यमंत्री का पद नहीं दिया जाता उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया जाता है।
राजनैतिक दल जाति समीकरणों को साधने के लिए भी डिप्टी सीएम की नियुक्ति करते हैं।