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रिश्तों की उधेड़बुन और नोटबंदी को क़रीब से दिखाती फ़िल्म 'चोक्ड'

रिश्तों की उधेड़बुन और नोटबंदी को क़रीब से दिखाती फ़िल्म 'चोक्ड'

फ़िल्म 'चोक्ड' में संयमी खेर और रोशन मैथ्यू लीड रोल में हैं और कहानी साल 2016 में देश में हुई नोटबंदी को दिखाती है।

  • फ़िल्म- 'चोक्ड : पैसा बोलता है'
  • डायरेक्टर- अनुराग कश्यप
  • स्टार कास्ट- संयमी खेर, रोशन मैथ्यू, अमृता सुभाष, राजश्री देशपांडे
  • स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स
  • शैली: सस्पेंस-थ्रिलर
  • रेटिंग- 3.5/5

5 जून को नेटफ्लिक्स पर फ़िल्म रिलीज़ हुई, नाम है 'चोक्ड'। फ़िल्म का डायरेक्शन बॉलीवुड के जाने-माने डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने किया है। इस फ़िल्म की कहानी निहित भावे ने लिखी है। 'चोक्ड' मतलब होता है कुछ फंसा हुआ और इस फ़िल्म का नाम यह क्यों रखा गया है ये आपको फ़िल्म देखने के बाद ही समझ आयेगा।

क्या हो गया 'चोक्ड'

फ़िल्म 'चोक्ड' में संयमी खेर और रोशन मैथ्यू लीड रोल में हैं और कहानी साल 2016 में देश में हुई नोटबंदी को दिखाती है। लेकिन सिर्फ नोटबंदी तक ही फ़िल्म की कहानी सीमित नहीं है, बल्कि और भी कई चीजें दिखाई गई है।

मानवीय रिश्तों के ताने-बाने को उधेड़ती इस फ़िल्म में यह भी दिखाया गया है कि मध्यवर्गीय परिवारों पर नोटबंदी का क्या असर पड़ा, इस वर्ग ने नोटबंदी को कैसे झेला और कितना कष्ट उठाया।

क्या है कहानी

कहानी शुरू होती है मुंबई में रहने वाली मध्यवर्ग परिवार से, जिसमें सरिता पिल्लई (संयमी खेर) और सुशांत पिल्लई (रोशन मैथ्यू) हैं और दोनों का एक बच्चा समीर भी है। सुशांत बेरोज़गार है और काम की तलाश करता रहता है, लेकिन वह अपना करियर म्यूजिक में ही बनाना चाहता है।

सरिता बैंक में नौकरी करती है और उसके ऊपर ही घर की पूरी ज़िम्मेदारी होती है। सरिता पहले गाना भी गाती थी लेकिन फिर किसी वजह से उसने छोड़ दिया। सुशांत बेरोज़गार है और उसके ऊपर क़र्ज़ भी है, जिससे सरिता काफी परेशान रहती है और दोनों के बीच काफी झगड़े होते रहते हैं।

 - Satya Hindi

नाली में नोटों के बंडल!

इसी बीच सरिता के घर की नाली ‘चोक्ड’ हो जाती है और उसमें से अजीब से आवाज़ आने लगती है। जब सरिता देखती है तो उसे 500 और 1,000 के नोटों के बंडल मिलते हैं।

यहीं से यह सिलसिला शुरू होता है और रोज़ रात में सरिता को नोटों के बंडल मिलते है और वह इसे लक्ष्मी जी की कृपा मानकर बिना किसी को बताए रख लेती है। कुछ दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में नोटबंदी की घोषणा कर देते हैं। सभी के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। सरिता भी परेशान हो जाती है कि अब क्या होगा

सरिता नोटबंदी के दौरान कैसे उन नोटों को बदलेगी वे नोट नाली में कैसे और कहाँ से आ रहे थे क्या सरिता किसी मुसीबत में फँस जाएगी

नोट में चिप की तलाश

फ़िल्म 'चोक्ड' में नोटबंदी और उसके बाद होने वाली कई चीजों को भी दिखाया गया है। जैसे बैंकों और एटीएम में लगी लंबी लाइन और 2,000 के नए नोट मिलने पर लोगों का सेल्फी खींचना। कुछ लोग नए नोटों में चिप ढूंढ़ रहे होते हैं। इसके अलावा नोटबंदी के बाद मिड्ल क्लास, शादी वाले घरों में आई मुश्किलें भी दिखाई गई है। पति-पत्नी के बीच होने वाली सामान्य सी बातें और नोक-झोंक को भी दिखाया गया है।

फ़िल्म में सबसे अहम यह दिखाया जाना है कि नोटबंदी के समय मध्यवर्गीय परिवार और ग़रीब लोगों को ही दिक्क़त हुई थी। अमीर परिवार पर इसका ख़ासा असर नहीं पड़ा था।

डायरेक्शन

किसी भी फ़िल्म की ज़ान उसकी कहानी होती है और 'चोक्ड' की कहानी को निहित भावे ने काफी अच्छे तरीके से लिखा है। अनुराग कश्यप ने काफी अच्छे से फ़िल्म का डायरेक्शन किया है। इस तरह की कहानी सिर्फ अनुराग ही सलीके से सामने ला सकते हैं। हर पहलुओं को दिखाते हुए फ़िल्म की कहानी लिखी गई है। बेहतरीन स्क्रीनप्ले और उसके साथ डायलॉग सब ने मिलकर फ़िल्म को दमदार बना दिया।

एक्टिंग

संयमी खेर ने मध्यवर्ग की महिला के तौर पर काफी शानदार एक्टिंग की है। इससे पहले कभी संयमी ने ऐसा कोई किरदार नहीं निभाया है और इस रोल को उन्होंने काफी अच्छे तरीके से निभाया। तो वहीं मलयाली एक्टर रोशन मैथ्यू ने भी काफी अच्छी एक्टिंग की है और एक अलग छाप छोड़ी है। दूसरे किरदार राजश्री देशपांडे और अमृता सुभाष ने भी काफी दमदार एक्टिंग की है।

अनुराग कश्यप की और फ़िल्मों की तरह अगर आप इस फ़िल्म से भी किसी राजनीतिक विवाद और टिप्पणी की उम्मीद लगाकर देखेंगे तो आपको निराशा होगी। इसके अलावा फ़िल्म में ज्यादा कठोर भाषा का भी प्रयोग नहीं किया गया है। काफी साधारण और सुलझी हुई भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

नोटबंदी और पारिवारिक पहलुओं को यह फ़िल्म नज़दीक से दिखाती है और इससे आप ख़ुद को आसान से कनेक्ट कर पाएंगे। सिर्फ डेढ़ घंटे की यह फ़िल्म है और एक बार देखने बैठेंगे तो खत्म किए बिना नहीं उठ पाएंगे।

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