एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो शरीर का इम्युन कोरोना को याद रखता है: शोध
कोरोना संक्रमण से उबरने या फिर वैक्सीन लगाने से शरीर में आई एंटीबॉडी के तीन महीने में धीरे-धीरे ख़त्म होने से जो चिंताएँ उठ रही थीं, वह दरअसल, ज़्यादा चिंता की बड़ी वजह नहीं है। यदि शरीर में एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो हमारे इम्युन सिस्टम में बी सेल और टी सेल ऐसे हैं जो कोरोना वायरस को याद रख लेते हैं। फिर जब शरीर पर ऐसे वायरस का हमला होता है तो प्रतिक्रिया में इम्युन सिस्टम तुरत काम शुरू कर देता है और मरीज को गंभीर स्थिति में नहीं पहुँचने देता है। यानी तीन महीने में एंटीबॉडी ख़त्म भी हो जाए तो इम्युन सिस्टम उस वायरस को 6 महीने बाद भी याद रखता है। यानी इसे इम्युन सिस्टम का बैक-अप प्लान कह सकते हैं। इसे बूस्टर खुराक की ज़रूरत भी नहीं होती है।
पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। यहाँ पर एमआरएनए टीकों के लिए तकनीक विकसित की गई थी। इसी ने शोध के आधार पर यह बात कही है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 61 लोगों पर टीके लगाने के छह महीने तक अध्ययन किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने नोट किया कि एंटीबॉडी धीरे-धीरे कम हो गई, लेकिन शॉट्स ने बी और टी कोशिकाओं के रूप में SARS-CoV-2 के प्रति टिकाऊ प्रतिरक्षा मेमरी पैदा की जो समय के साथ बढ़ी और इससे बीमार के गंभीर नहीं होने में मदद मिली।
इसको आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं। जब किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होता है तो उससे लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बनती है। यही काम वैक्सीन भी करती है। यह किसी संक्रमण से पहले ही शरीर को संकेत देती है कि उसे कोरोना संक्रमण हो गया है और इस तरह एंटीबॉडी बनती है। यह एंटीबॉडी शरीर में वायरस फैलने के साथ ही उसको ख़त्म कर देती है। यह एंटीबॉडी धीरे-धीरे तीन महीने में कम होने लगती है और फिर यह इतना कमज़ोर हो जाती है कि वायरस शरीर को संक्रमित करने लगता है। जबकि बी सेल और टी सेल एंटीबॉडी से अलग हैं। ये इम्युन सिस्टम को उस वायरस को याद रखते हैं। जब वायरस हमला करता है तो ये सेल उसे पहचान लेते हैं और फिर इम्युन सिस्टम उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। यानी एंटीबॉडी शरीर को संक्रमित ही नहीं होने देती है जबकि बी सेल और टी सेल शरीर के संक्रमित होने के बाद काम करते हैं।
इस तरह से कहा जा सकता है कि एंटीबॉडी के कमजोर पड़ने के कारण ही संक्रमण से ठीक हुए लोग दोबारा संक्रमित हो रहे हैं और जिन्होंने दोनों खुराक ले ली है वे भी संक्रमित हो रहे हैं।
तीन महीने में एंटीबॉडी के कमजोर पड़ने पर दुनिया भर के कई देश तीसरी खुराक बूस्टर देने पर विचार कर रहे हैं। कई देशों ने तो इसको लगाना शुरू भी कर दिया है।
पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अध्ययन से जुड़े ऋषि गोयल ने इसको ट्वीट के थ्रेड से समझाया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि 'इम्युन मेमरी समय के साथ बेहतर होती है (वैरिएंट के ख़िलाफ़ भी)। बूस्टर खुराक अल्पावधि में एंटीबॉडी को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है लेकिन पहले से ही टिकाऊ मेमोरी बी व टी कोशिकाओं पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं डालती है।'
Lots of data here so I’ll only focus on the highlights. TLDR: immune memory looks great and improves over time (even against variants). Boosting existing immunity w/ vaccine significantly increases antibody in the short-term but w/o much effect on already durable memory B/T cells
— Rishi Goel (@rishirajgoel) August 24, 2021
रिपोर्ट में कहा गया है कि बी सेल मुख्य तौर पर कोरोना संक्रमण की स्थिति में त्वरित रूप से एंटीबॉडी बनाने में कारगर होता है जबकि टी सेल एक तरह का ह्वाइट ब्लड सेल है और यह वायरस से संक्रमित सेल को ढूंढ कर ख़त्म करने का काम करता है।
ऋषि गोयल ने लिखा है कि कोरोनो वायरस के अलग-अलग वैरिएंट के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी समय के साथ कम हो जाती हैं, लेकिन बी सेल समय के साथ बढ़ते जाता है। अल्फा, बीटा और डेल्टा के ख़िलाफ़ हल्का कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति से ज़्यादा एमआरएनए वैक्सीन कारगर है।
We also looked at memory B cells against different variants and compared w/ natural infection. Turns out the majority of memory B cells induced by mRNA vax can bind Alpha, Beta, AND Delta… mRNA vax also slightly better against variants than mild COVID-19 (panels E/F) pic.twitter.com/HBsooYYcDo
— Rishi Goel (@rishirajgoel) August 24, 2021
शोध से जुड़े और इंस्टीट्यूट फॉर इम्यूनोलॉजी के निदेशक जॉन वेरी ने कहा, 'जब आप केवल यह मापते हैं कि क्या लोग संक्रमित होते हैं तो हम एफिकेसी में गिरावट देखते हैं, लेकिन यदि वास्तव में गंभीर बीमारी के परिणामों को माप रहे हैं तो मज़बूत इम्युनिटी मिलेगी।' वेरी ने कहा, 'यह इस विचार के साथ फिट बैठता है कि एंटीबॉडी आपको संक्रमण से बचाने जा रहे हैं, लेकिन मेमोरी बी कोशिकाएँ और मेमोरी टी कोशिकाएँ आपकी नाक में कुछ वायरस होने की संभावना को समाप्त नहीं कर सकती हैं, पर वे वास्तव में गंभीर बीमारी को रोकेंगी।'
उन्होंने कहा कि यह इम्युन बैकअप भी कोविड के लक्षणों की अवधि को कम करेगा, उन्हें बिगड़ने से रोकेगा, और अन्य लोगों को कोरोना संक्रमित करने की संभावना को कम करेगा।