+
चेन्नई: अन्ना यूनिवर्सिटी में छात्रों को ‘श्रीमद भगवद्गीता’ पढ़ाने का सुझाव, विवाद

चेन्नई: अन्ना यूनिवर्सिटी में छात्रों को ‘श्रीमद भगवद्गीता’ पढ़ाने का सुझाव, विवाद

अन्ना यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में इंजीनियरिंग के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के छात्रों को ‘श्रीमद भगवद्गीता’ पढ़ाये जाने का सुझाव दिया गया है।

बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यह आरोप लगता रहा है कि वे शिक्षा का भगवाकरण करना चाहते हैं और अपना एजेंडा लोगों पर थोपना चाहते हैं। इसी तरह का कुछ मामला चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी से सामने आया है। यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में इंजीनियरिंग के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के छात्रों को ‘श्रीमद भगवद्गीता’ पढ़ाये जाने का सुझाव दिया गया है। इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हालाँकि यूनिवर्सिटी की ओर से कहा गया है कि इसे पढ़ना अनिवार्य नहीं है। 

ऑल इंडिया काउंसिल फ़ॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के मॉडल पाठ्यक्रम के अनुसार, अन्ना यूनिवर्सिटी ने जीवन विकास कौशल के माध्यम से व्यक्तित्व विकास सहित छह पाठ्यक्रम पेश किए हैं। पाठ्यक्रम में छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिए स्वामी स्वरूपानंद द्वारा ‘श्रीमद भगवद्गीता’ पढ़ाने का सुझाव दिया गया है। 

इस कार्यक्रम में कहा गया है कि गीता के पढ़ने से छात्रों को अपने व्यक्तित्व का विकास करने और जीवन में ऊँचे लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता मिलेगी। हालाँकि यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर्स ने कहा है कि यह क़दम हिंदू धर्म को थोपने की कोशिश है और यूनिवर्सिटी को सभी दर्शन की पुस्तकें छात्रों को देनी चाहिए। 

अंग्रेजी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के मुताबिक़, यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि यह कोर्स अनिवार्य नहीं है और यह दर्शन के विषय का एक हिस्सा है। अधिकारियों के मुताबिक़, अगर छात्र इसे चुनते हैं तो ही उन्हें यह पढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस पर विवाद खड़ा कर रहे हैं। 

मोदी सरकार की नयी शिक्षा नीति को लेकर भी सरकार के पहले कार्यकाल से ही सवाल उठते रहे हैं। यह आशंका जताई जाती रही है कि इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों के मुताबिक़ बनाया जाएगा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में क़ानून की पढ़ाई का 'हिन्दूकरण' करने की ख़बर भी सामने आई थी। नई शिक्षा नीति के पेज संख्या 484 पर यह सिफ़ारिश की गई है कि ‘क़ानूनी पढ़ाई को सुधारने के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि विधि शिक्षा सामाजिक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यों के अनुकूल हो। यह लोगों की संस्कृति और परंपराओं पर आधारित हो, यह भारतीय साहित्य और पौराणिक कथाओं में वर्णित अधर्म के ऊपर धर्म की विजय के बारे में बताए और क़ानूनी संस्थानों के इतिहास की जानकारी दे।’

कुछ साल पहले आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने आरएसएस के स्वयं सेवक दीनानाथ बत्रा की अध्यक्षता में एनसीईआरटी को शिक्षा के संबंध में कुछ सुझाव दिए थे जिनके बाद यह आरोप लगा था कि यह सीधे तौर पर आरएसएस और बीजेपी की सोच को प्रदर्शित करते हैं। दीनानाथ बत्रा ने यह भी कहा था कि वह वह न केवल हरियाणा में, बल्कि पूरे देश में शिक्षा का भगवाकरण करना चाहते हैं। 

कुछ समय पहले यह ख़बर आई थी कि नागपुर स्थित राष्ट्रसंत तुकदोजी महाराज विश्वविद्यालय ने छात्रों को आरएसएस का इतिहास पढ़ाने का फ़ैसला किया है। राजस्थान में भी बीजेपी की सरकार के दौरान वहाँ के पाठ्यक्रम में सावरकर की जीवनी को शामिल किया गया था। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें