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मनोरंजन के नाम पर सिर्फ एक्शन सीन है एनिमल में  

मनोरंजन के नाम पर सिर्फ एक्शन सीन है एनिमल में  

संदीप रेड्डी वांगा निर्देशित फिल्म 'एनिमल' शुक्रवार को देश भर के थियेटरों में रिलिज हो गई। यह फिल्म पिता-पुत्र के प्रेम को दिखाती है। फिल्म के हीरो रणबीर कपूर इसमें जमकर मारधाड़ और हिंसक सीन करते दिखते हैं। 

संदीप रेड्डी वांगा निर्देशित फिल्म 'एनिमल' शुक्रवार को देश भर के थियेटरों में रिलिज हो गई। पहले ही दिन से इस फिल्म ने धुंआधार शुरुआत की है। देश के ज्यादातर मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थियेटरों में जहां कहीं यह रिलिज हुई है वहां पहले दिन इसकी ज्यादातर कुर्सियां फुल रही।

 

फिल्म की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दावा किया जा रहा है कि पहले दिन की एडवांस बुकिंग करीब 13 लाख टिकटों की रही। सिर्फ एडवांस बुकिंग से ही फिल्म ने करीब 34 करोड़ रुपये की कमाई की है। फिल्मों के कारोबार पर नजर रखने वालों का अनुमान है कि फिल्म पहले दिन करीब 50 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है। 

इन सब के बीच फिल्म एनिमल जिस बात से चर्चा में है वह है इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे रणबीर कपूर का गैंगस्टर वाला अवतार। इस फिल्म में उनके साथ अनिल कपूर, रश्मिका मंदाना और बॉबी देओल का भी अहम रोल है। 

लेकिन पूरी फिल्म रणबीर कपूर के ईद गिर्द घूमती नजर आती है। फिल्म पूरी तरह से रणबीर कपूर के कंधो पर सवार दिखती है। फिल्म में रणबीर अपनी अब तक की परंपरागत भूमिकाओं से अलग या कहे कि अपनी इमेज से अलग एक्टिंग करते दिख रहे हैं।

रणबीर कपूर के जो फैन उनकी चॉकलेटी हीरो की वाली छवि को पसंद करते हैं उन्हें इस फिल्म से निराशा मिल सकती है। पूरी फिल्म मार-काट और भरपूर हिंसा से भरपूर दिखती है। फिल्म के हीरो रणवीर कपूर पूरी फिल्म में बेहद क्रूर और हिंसक दिखते हैं। 

यही कारण है कि अपने एक्शन सीन और रणबीर कपूर के स्टारडम के बूते फिल्म भले सैकड़ो करोड़ रुपये की कमाई कर ले और सुपर हिट फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो जाए लेकिन यह फिल्म संवेदनशील दर्शकों को निराश करती है। 

फिल्म कहती है कि एक ताकतवर मर्द अपनी ताकत के बलबूते सब कुछ हासिल कर सकता है। पूरी फिल्म इसी विचार को आगे बढ़ाती नजर आती है। पुरुष प्रधान समाज की हिंसा से भरी और दकियानुसी सोच को फिल्म सही साबित करने की कोशिश करती है। 

फिल्म में महिला पात्रों के साथ नायक जब चाहे अपमानजनक व्यवहार करते दिखता है मानो वह उसकी जायदाद है। फिल्म जिस तरह की सोच को दर्शाती है वह विचलित करने वाली है।

फिल्म एनिमल कबीर सिंह जैसी ही है

बात निर्देशन की करें तो फिल्म के निर्देशक संदीप रेड्डी की प्रस्तुतिकरण शैली एनिमल में भी उनकी पुरानी फिल्मों की तरह ही है। जिस तरह से उन्होंने अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह में कहानी दिखाई थी एनिमल भी उसकी अगली कड़ी ही दिखती है। 

फिल्म में वह जो कुछ भी दिखाते हैं वह हद से ज्यादा होती है। चाहे वह नायक का प्रेम हो या उसकी नफरत या फिर हिंसा या एक्शन सीन। इन सभी में वे एक्स्ट्रीम लेवल पर जाते दिखते हैं। 

फिल्म देख कर लगता है कि इस फिल्म को लेकर जिस तरह का हाइप क्रिएट किया जा रहा था फिल्म का निर्देशन उस कसौटी पर खड़ा नहीं उतरता है और दर्शकों को निराश करता नजर आ रहा है। उन्होंने दर्शकों को मनोरंजन के नाम पर सिर्फ एक्शन सीन दिया है। 

इस फिल्म के संगीत और गानों की करें तो थियेटर से निकले के बाद वह याद नहीं रहता है। कुल मिला कर संक्षेप में कहे तो फिल्म एनिमल कबीर सिंह जैसी ही है। इस फिल्म में कबीर सिंह के शाहिद कपूर की जगह रणबीर कपूर हिंसक और क्रूर भूमिका में दिखते हैं। न तो फिल्म कोई बेहतर सामाजिक संदेश दे पाती है और न ही गुदगुदा पाती है। जिन लोगों को मारधाड़ और एक्शन मूवी पसंद है वे इसे देख सकते हैं।  

कहानी के केंद्र में बाप बेटे का प्यार है

फिल्म की कहानी के केंद्र में बाप बेटे का प्यार है। फिल्म के हीरो रणबीर कपूर अपने बेहद अमीर और व्यस्त रहने वाले उद्योगपति पिता के प्यार को पाने के लिए तरसते दिखते हैं। कहानी बॉलीवुड की पुरानी मसाला फिल्मों की तरह ही है। 

इसमें बाप बेहद अमीर है और अपने काम में व्यस्त रहता है। उसका बेटा यानी रणबीर कपूर अपने पिता की तवज्जो और प्यार पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। जब भी पिता पर संकट आता है तो यह बेटा ढाल बनकर खड़ा हो जाता है और हर हद से गुजर जाता है।

 इसे दिखाने के लिए ही जमकर हिंसक सीन को फिल्म में फिल्माया गया है।  पूरी फिल्म में बाप-बेटे का यह प्यार छाया रहता है। बाप-बेटे का यह प्यार एक समय दर्शकों के लिए सिरदर्द बनकर रह जाता है। फिल्म तीन घंटे और 21 मिनट लंबी होने के कारण उबाऊ लगने लगती है।

 फिल्म सेकेंड हाफ के बाद काफी सुस्त दिखती है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि फिल्म एनिमल की कहानी औसत है और पूरी तरह से पुरुषों की क्रूर दुनिया का महिमा मंडन करती है। फिल्म में खुद को मनोरोगी और जुनूनी दिखाने के लिए रणबीर कपूर ने अपने लुक और एक्टिंग पर काफी मेहनत की है।

करीब 3.30 घंटे की इस फिल्म में रणबीर कपूर के पिता बने अनिल कपूर की इंट्री 2.30 घंटे के बाद होती है। फिल्म में उनका रोल भी एक क्रूर इंसान और सख्त पिता का है। फिल्म में रश्मिका मंदाना और बॉबी देओल का रोल छोटा है लेकिन प्रभावी है। 

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