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जगन, शर्मिला में अब संपत्ति पर विवाद, जानें क्यों लड़ रहे हैं दोनों

जगन, शर्मिला में अब संपत्ति पर विवाद, जानें क्यों लड़ रहे हैं दोनों

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच आख़िर विवाद क्या है? पहले पारिवारिक विवाद हुआ, फिर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हुए और अब संपत्ति पर क़ानूनी लड़ाई शुरू हो गई। जानें क्या मामला है।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच संपत्ति को लेकर झगड़ा एक हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई में बदल गया है। जगन मोहन रेड्डी ने एनसीएलटी में अपनी बहन और आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जगन ने आरोप लगाया है कि उनके और उनकी पत्नी भारती की सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज के शेयरों को शर्मिला ने अवैध रूप से अपने और अपनी मां विजयम्मा के नाम पर स्थानांतरित कर लिया है।

जगन और शर्मिला के बीच संपत्ति का विवाद तब सामने आया है जब दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही है। इसी साल जनवरी में यह प्रतिद्वंद्विता तब और बढ़ गई जब वाईएस शर्मिला कांग्रेस में शामिल हो गईं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया। 

शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं। शर्मिला पहली बार 2012 में सुर्खियों में आईं जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग नहीं हुआ था। तब उनके भाई जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस में ही थे।

राज्य आंदोलन के जोर पकड़ने के बीच उनके भाई ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और वाईएससीआरपी का गठन किया। उनके साथ 18 विधायक भी शामिल हुए। भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद रेड्डी जेल में थे, उनकी मां वाईएस विजयम्मा और बहन वाईएस शर्मिला ने अभियान का नेतृत्व किया। वाईएससीआरपी ने चुनावों में जीत हासिल की। यानी शर्मिला और उनके भाई के बीच पहले एकजुटता थी और किसी तरह की अनबन की ख़बर नहीं थी।

उनके बीच अनबन की ख़बर क़रीब दो साल पहले ही आई। शर्मिला ने दो साल पहले कहा था कि उनके भाई के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वाईएसआरसीपी की तेलंगाना में कोई उपस्थिति नहीं है। उसी साल जुलाई में उन्होंने वाईएसआर तेलंगाना पार्टी के गठन की घोषणा की थी। शर्मिला का कांग्रेस को लेकर नरम रुख तब सामने आया जब उन्होंने पिछले साल तेलंगाना के चुनाव से पहले अपनी पार्टी के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी थी। वह अब कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई हैं और आँध्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं।

बहरहाल, जगन और शर्मिला के बीच विवाद ने कानूनी लड़ाई के रूप में एक नया मोड़ ले लिया है, जब पिछले महीने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की हैदराबाद पीठ में दायर याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए नवंबर की तारीख तय की गई है।

याचिका में जगन रेड्डी ने कहा है कि उन्होंने शर्मिला के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्यार और स्नेह के कारण वह अपनी और अपनी पत्नी की सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी गिफ्ट डीड के माध्यम से अपनी अलग हो चुकी बहन को हस्तांतरित करेंगे, जो ईडी द्वारा कुर्की सहित कुछ संपत्तियों के संबंध में लंबित मामलों के अधीन है।

अपनी बहन को लिखे पत्र में जगन ने कहा कि कानूनी दायित्वों को पूरा किए बिना और अदालत से मंजूरी के बिना शेयर हस्तांतरण संभावित रूप से प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

हालाँकि, उन्होंने समझौता ज्ञापन को रद्द करने की इच्छा जताते हुए कहा, 'यह कोई रहस्य नहीं है कि अब हमारे बीच अच्छे संबंध नहीं हैं, और इस बदली हुई स्थिति को देखते हुए मैं आपको औपचारिक रूप से बताना चाहता हूं कि मैं समझौता ज्ञापन में व्यक्त अपने मूल इरादे पर आगे कोई कार्रवाई करने का इरादा नहीं है।' जगन ने कहा कि उनके पिता, पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी और पैतृक लोगों द्वारा अर्जित संपत्तियों को परिवार के सदस्यों के बीच विभाजित किया गया था।

उन्होंने दावा किया है कि उनका इरादा शेयरों को हस्तांतरित करने का था, इसके अतिरिक्त 200 करोड़ रुपये भी थे, जो उन्होंने पिछले दशक के दौरान सीधे या अपनी मां के माध्यम से अपनी बहन को दिए थे। उन्होंने कहा कि लेकिन उनके स्नेह के बावजूद, शर्मिला ने सार्वजनिक रूप से कई झूठे बयान दिए जिससे व्यक्तिगत बदनामी हुई। उन्होंने ख़त में लिखा, 'आपके द्वारा किए गए इस और अन्य कार्यों को देखते हुए मैं दुविधा में हूँ कि आपके प्रति कोई प्रेम और स्नेह या लगाव क्यों होना चाहिए'। 

 - Satya Hindi

ख़त के जवाब में शर्मिला ने क्या कहा

12 सितंबर को पत्र का जवाब देते हुए शर्मिला ने लिखा कि श्री रेड्डी दिवंगत पिता की वसीयत के अनुसार काम नहीं कर रहे थे, जिसमें उन्होंने संपत्ति को अपने सभी चार पोते-पोतियों के बीच समान रूप से बाँटने की बात कही थी। उन्होंने कहा, 'हमारे पिता ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि उनके सभी चार पोते-पोतियों को उनके जीवनकाल के दौरान मौजूद सभी संपत्तियों में समान रूप से हिस्सा मिलना चाहिए, चाहे वे भारती सीमेंट्स, साक्षी या उनके निधन से पहले शुरू किए गए किसी अन्य उद्यम से संबंधित हों।' उन्होंने कहा कि शेयरों का हस्तांतरण संपत्ति बंटवारे के समझौते का हिस्सा था, 'चूंकि आपको तवज्जो मिली थी, इसलिए आपने अपना रास्ता बनाया और हम समझौता ज्ञापन में बताए गए समझौते पर सहमत हुए। चूंकि आप मेरे बड़े भाई हैं और पारिवारिक विवादों को सुलझाने के हित में, मैं अपना बराबर हिस्सा छोड़ने के लिए सहमत हो गई। इस प्रकार, 31.08.2019 को किए गए समझौते ज्ञापन के तहत केवल कुछ संपत्तियां मुझे सौंपी गईं।'

उन्होंने लिखा, 'आपने अब अपनी ही माँ के खिलाफ़ मामला दर्ज करने और अपनी ही बहन और उसके बच्चों को उन संपत्तियों से वंचित करने का विकल्प चुना है, जिनके वे समझौता ज्ञापन के तहत हकदार हैं। मैं इस बात से स्तब्ध हूँ कि आप हमारे महान पिता के मार्ग से किस हद तक भटक गए हैं।'

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