मुख्य न्यायाधीशों के तबादले से रेड्डी को अनुचित लाभ हुआ: आंध्र हाई कोर्ट
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के द्वारा बीते साल अक्टूबर में सीजेआई एसए बोबडे को लिखे पत्र के बाद से जारी विवाद काफी गंभीर हो चुका है। रेड्डी ने पत्र में आरोप लगाया था कि राज्य की हाई कोर्ट का इस्तेमाल उनकी सरकार को गिराने और अस्थिर करने के लिए किया जा रहा है। उनके इस पत्र के बाद हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस जेके माहेश्वरी का सिक्किम हाई कोर्ट में तबादला कर दिया गया था। इसके अलावा तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान का भी उत्तराखंड हाई कोर्ट में तबादला किया गया था।
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के तबादलों के कारण तीन बड़े मामलों और मुख्यमंत्री रेड्डी के ख़िलाफ़ लंबित सीबीआई के द्वारा दर्ज मामलों की प्रक्रिया में देर होगी और इससे उन्हें अनुचित लाभ होगा।
यह बात हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने आंध्र प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। यह याचिका गुंटूर और विशाखापटनम में सरकारी ज़मीन की ख़रीद से संबंधित थी और इसमें मुख्यमंत्री रेड्डी द्वारा ख़ुद की कोई भूमिका होने से इनकार किया गया था। जस्टिस राकेश कुमार ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस राकेश कुमार ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सत्ता में बैठे लोगों के निशाने पर हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘अदालत को इस बात की जानकारी नहीं है कि मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी द्वारा लिखे गए पत्र को लेकर सीजेआई द्वारा किसी तरह की अवमानना की कार्रवाई की गई है या नहीं लेकिन यह बात सच है कि 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के कॉलीजियम द्वारा आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की सिक्किम हाई कोर्ट और तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की उत्तराखंड हाई कोर्ट में तबादले की सिफ़ारिश की गई।’
उन्होंने कहा कि ऐसा होने से मुख्यमंत्री रेड्डी अनुचित लाभ हासिल करने में सफल रहे हैं क्योंकि जजों के तबादले होने से सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेड्डी और अन्य के मामलों में की जा रही मॉनिटरिंग में कुछ वक़्त के लिए देरी हो सकती है।
गूगल की ली मदद
जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रेड्डी के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की जानकारी के लिए गूगल की मदद ली तो उन्हें बेहद हैरानी भरी जानकारी मिली। उन्होंने अपने आदेश में रेड्डी के ख़िलाफ़ सीबीआई और ईडी के द्वारा दर्ज मामलों से संबंधित लेखों को भी नत्थी किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलीजियम सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए।
जस्टिस रमन्ना पर आरोप
जगनमोहन रेड्डी की चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रमन्ना पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। चिट्ठी में कहा गया था कि जस्टिस रमन्ना की दो बेटियों के नाम अमरावती भूमि घोटाले में हैं और इसलिए वह इससे जुड़े मामले में न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं, इससे जुड़े दूसरे कई और मामले भी कुछ ख़ास जजों के पास ही भेजे जा रहे हैं।
जस्टिस रमन्ना ने की थी टिप्पणी
जगनमोहन रेड्डी के सीजेआई को चिट्ठी लिखने के बाद जस्टिस एनवी रमन्ना ने स्वतंत्र न्यायपालिका की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा था कि सभी दबावों और बाधाओं का सामना करना और सभी बाधाओं के ख़िलाफ़ बहादुरी से खड़ा होना न्यायाधीश का एक महत्वपूर्ण गुण है और वर्तमान समय में एक जीवंत और स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता है।
सीएम रेड्डी के ख़िलाफ़ 31 मामले
जगनमोहन रेड्डी पर कुल मिलाकर 31 मामले चल रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव का पर्चा भरते समय खुद यह जानकारी दी थी। ये मामले ईडी और सीबीआई ने दर्ज किए हैं और इनसे जुड़ी एफ़आईआर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अलग-अलग थानों में दर्ज कराई गई थीं। रेड्डी पर भारतीय दंड संहिता के तहत 20 तरह के आरोप लगाए गए थे।
रेड्डी पर आय से अधिक संपत्ति के मामलों में कई मुक़दमे चल रहे हैं। ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिन्ग के मामले में पांच केस जगनमोहन के खिलाफ दर्ज किए हुए हैं। कांग्रेस विधायक शंकर राव की याचिका पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 10 अगस्त, 2011 को सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह रेड्डी पर लगे भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की जांच करे।