पाकिस्तान: राज कपूर, दिलीप कुमार के घरों की होगी मरम्मत, बनेंगे संग्रहालय
भारतीय सिने जगत के दो नामी सितारों राज कपूर और दिलीप कुमार के पाकिस्तान के पेशावर में मौजूद घरों को लेकर अहम फ़ैसला हुआ है। ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग ने मंगलवार को इन दोनों अज़ीम कलाकारों की पैतृक हवेलियों को अपने अधिकार में ले लिया है। ये हवेलियां 1918 से 1922 के बीच बनवाई गई थीं।
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की सरकार ने पिछले साल सितंबर में इस बात का एलान किया था कि वह इन दोनों संपत्तियों को अपने कब्जे में लेगी और इनकी मरम्मत कर इन्हें संग्रहालय बनाएगी। उसके बाद पेशावर के उप आयुक्त ने शहर में मौजूद इन दोनों हवेलियों के मालिकाना हक के ट्रांसफ़र को लेकर नोटिफ़िकेशन जारी किया था।
पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने ‘द डॉन’ को बताया कि निदेशालय ने इन दोनों संपत्तियों पर काबिज इनके मालिकों से इनका मालिकाना हक ले लिया है। उन्होंने कहा कि अब ये दोनों ही संपत्तियां आधिकारिक रूप से पुरातत्व निदेशालय की हैं। उन्होंने कहा कि मालिकाना हक लेने का काम पूरी तरह क़ानून के मुताबिक़ ही किया गया है और इन संपत्तियों के लिए तय की गई रकम भी इनके मालिकों को चुकाई गई है।
उन्होंने ‘द डॉन’ से कहा कि निदेशालय बहुत जल्द इनकी मरम्मत का काम शुरू करेगा और उसके बाद इन्हें संग्रहालय में बदल देगा। उन्होंने कहा कि मरम्मत के लिए राज कपूर और दिलीप कुमार के परिवारों से भी संपर्क किया जाएगा।
डॉ. अब्दुल समद ने कहा कि इन दोनों संपत्तियों की मरम्मत और उन्हें संग्रहालय में बदलने का काम पेशावर को बॉलीवुड से जोड़ने के मक़सद से किया जा रहा है।
राज कपूर और दिलीप कुमार दोनों का ही जन्म पेशावर में हुआ था। दोनों के ही पैतृक घर अब बेहद जर्जर हालत में हैं और सरकार द्वारा इन्हें मरम्मत कराकर संग्रहालय बनाने के बाद हो सकता है कि बॉलीवुड में इन दोनों परिवारों से जुड़े लोग या फिर बाक़ी लोग भी वहां जाएं।
पेशावर बहुत पुराना शहर है और ये दोनों हवेलियां किस्सा ख़्वानी बाज़ार के ढाकी दिलगरां और मोहल्ला खुदादाद में है। दिलीप कुमार के नाम से मशहूर मोहम्मद युसूफ़ खान का जन्म 1922 में पेशावर में हुआ था और 1930 के आसपास उनका परिवार मुंबई चला गया था।
2016 में राज कपूर के पैतृक घर को वहां रह रहे मालिक ने बहुत नुक़सान पहुंचाया था और तब इस मामले में पुरातत्व विभाग ने दख़ल दिया था। लेकिन इसके बाद भी इसका ऊपरी हिस्सा तबाह कर दिया गया था।