जेडीयू को पोस्टर क्यों जारी करना पड़ा, क्या बिहार एनडीए में घमासान है?

07:24 pm Jan 03, 2025 | सत्य ब्यूरो

जेडीयू ने '2025 से 2030 फिर से नीतीश' पोस्टर जारी किया है। इस पोस्टर को उस संदर्भ में देखा जा सकता है जिसमें अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बिहार में एनडीए के नेता का फ़ैसला बीजेपी संसदीय बोर्ड लेगा। फिर अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय सिन्हा ने कह दिया था कि जब तक बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार नहीं बनती तब तक हम अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दे पाएंगे। हालाँकि बाद में सिन्हा ने सफाई देते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनने की बात कही थी। तो क्या जेडीयू और बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है और क्या गठबंधन में आपसी विश्वास में कमी आई है?

बीजेपी और जेडीयू के बीच क्या चल रहा है, बिहार की राजनीति में किस तरह की हलचल है और किस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, यह आरजेडी नेताओं के बयान से भी पता चलता है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने एक दिन पहले ही कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाजे हमेशा खुले हैं। लालू ने कहा, 'अगर नीतीश कुमार हमारे साथ आने का फैसला करते हैं, तो उनका हमेशा स्वागत है। हम साथ मिलकर काम करेंगे।' इससे पहले राजद प्रवक्ता भाई बीरेंद्र ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि नीतीश का फिर से महागठबंधन में स्वागत किया जाएगा।

वैसे, नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने इस बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा, 'क्या कह रहे हैं?' यह पहली बार है जब बिहार के सीएम ने अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हाल के राजनीतिक कयासों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी, नीतीश हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए। इस बीच सीएम के साथ मौजूद नवनियुक्त राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस तरह के सवाल पूछने का यह सही समय नहीं है। इस दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी मौजूद थे।

ऐसे ही घटनाक्रमों के बीच राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले क्या बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे? क्या फिर से जेडीयू और आरजेडी के बीच में कुछ पक रहा है? बिहार की राजनीति को लेकर ऐसे ही कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, हाल में कुछ घटनाएँ ही ऐसी घटी हैं कि ऐसे कयासों को हवा मिली है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एक ओर नीतीश कुमार इस बात से नाराज़ बताए जा रहे हैं कि बीजेपी उनको सीएम का चेहरा नहीं बता रही है। वहीं, जब तब बीजेपी नेताओं के ऐसे बयान आ रहे हैं जिससे इन कयासों को और बल मिल जा रहा है। 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर हुए कार्यक्रम में बिहार के डिप्टी सीएम और बिहार बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा था कि जिस दिन बिहार में बीजेपी की सरकार बनेगी वही अटल बिहारी वाजपेयी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

उन्होंने खुले मंच से ऐलान किया था कि 'बिहार में भाजपा की सरकार बनाना हमारा मिशन है। हमारी आग और तड़प तभी शांत होगी जब बिहार में अपनी सरकार होगी।' उन्होंने कहा था कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बिहार को जंगलराज से मुक्ति दिलायी है, लेकिन अब भी मिशन पूरा नहीं हुआ है। विजय सिन्हा ने कहा था कि 'बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार हो तभी हम अटल बिहारी वाजपेयी को सच्ची श्रद्धांजलि दे पायेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में जब भाजपा की सरकार बन जाएगी तभी भाजपा के कार्यकर्ताओं के मन के अंदर की आग और तड़प शांत होगी।'

हालाँकि, यह बोलने पर राजनीतिक कयासबाज़ी शुरू हो गई थी और इसके कुछ ही देर बाद विजय सिन्हा ने अपने बयान में सुधार किया था। उन्होंने सफ़ाई में कहा था, 'बिहार में अटल बिहारी वाजपेयी के सोच के अनुकूल सरकार बनेगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार आगे भी रहेगी।'

इसके बावजूद नीतीश कुमार को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे। इसकी वजहें भी कुछ रहीं। पिछले हफ़्ते आंबेडकर मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी हमलों के बीच अमित शाह और जेपी नड्डा ने एनडीए गठबंधन सहयोगियों के नेताओं के साथ जो बैठक की उसमें नीतीश शामिल नहीं हुए थे। 

अमित शाह के आंबेडकर पर बयान के बाद नीतीश कुमार ने बोला तो कुछ खास नहीं लेकिन अपनी तबीयत खराब बताकर कार्यक्रम रद्द तक कर दिए थे।

मोदी सरकार ने बिहार में अब केरल के राज्यपाल रहे आरिफ मोहम्मद खान को राज्यपाल बना दिया है। इसके बाद कांग्रेस ने कहा है कि आश्चर्य है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह ने एक आरएसएस कैडर को बिहार के राज्यपाल से हटाकर एक अल्पसंख्यक को बिहार का राज्यपाल क्यों बनाया है? कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले नीतीश को किनारे कर देगी। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि नीतीश कुमार को निपटाने का जाल बिछ चुका है।

तो इस बीच अब जेडीयू द्वारा पोस्टर जारी करने का क्या मतलब है? वरिष्ठ पत्रकार शैलेश कहते हैं कि बिहार बीजेपी का जो नेतृत्व है वह चाहता है कि बीजेपी इस बार ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़े। वह कहते हैं कि बीजेपी चाहेगी कि वह चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मांझी की पार्टी को ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ाए। 

तो सवाल है कि क्या बीजेपी महाराष्ट्र जैसी स्थिति बनाना चाहती है जिसमें शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की सीटें बढ़ गईं और बीजेपी बेहतर स्थिति में पहुँच गई? शैलेश कहते हैं कि बिहार में महाराष्ट्र जैसी स्थिति होना बेहद मुश्किल है क्योंकि राज्य में जो राजनीतिक समीकरण है, उसके बीच में नीतीश कुमार हैं। नीतीश आरजेडी और बीजेपी दोनों के साथ सरकार बना सकते हैं। नीतीश को नेता मानकर चलना बीजेपी की मज़बूरी है। ये दो बड़ी वजहें हैं जिससे नीतीश के सामने महाराष्ट्र जैसी स्थिति आने की संभावना बहुत कम है।