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अमृतसर के सराय कल्चर पर हमला, 12 फीसदी जीएसटी बना मुद्दा 

अमृतसर के सराय कल्चर पर हमला, 12 फीसदी जीएसटी बना मुद्दा 

सराय पर 12 फीसदी जीएसटी का मुद्दा पंजाब में गरमा उठा है। उसकी वजह है अमृतसर में गोल्डन टेंपल के दर्शन को आने वाले लोग सस्ती दरों पर सराय में ठहरते हैं लेकिन अब उनका किराया बढ़ गया है। अमृतसर में सराय कल्चर पर हुए इस हमले को तमाम राजनीतिक दलों ने भी लपक लिया है। अमृतसर के सराय कल्चर के बारे में जानिए।

अमृतसर में गोल्डन टेंपल के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान इस शहर में बनी सराय का है। सराय उस जगह को कहते हैं, जहां जाकर आप रात बिताते हैं। मुगल काल में सराय अस्तित्व में आईं। लेकिन अमृतसर में बनी तमाम सराय का धार्मिक महत्व है। दरअसल, अमृतसर में पंजाब ही नहीं पूरी दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं में सराय कल्चर मशहूर है। सराय में ठहरना और गोल्डन टेंपल में दर्शन के बाद लंगर चखना सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में आता है। लेकिन इस सराय पर केंद्र सरकार की नजर पड़ गई है और उसने इस पर 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। पंजाब में इसका जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है।

अमृतसर में सराय के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुरु रामदास जिस जगह रहते थे, उसे भी सराय में बदला गया और वो अब रामदास सराय कहलाती है। पिछले दिनों जब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसकी जगह मॉर्डन सराय बनाने की कोशिश की थी तो उसका जबरदस्त विरोध हुआ था। तमाम सिख संगठनों ने कहा था कि वे गुरु रामदास सराय का मूल स्वरूप नहीं बिगड़ने देंगे। अमृतसर में कई तो बहुत विशालकाय सराय हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा संचालित अकेले सारागढ़ी सराय में 226 कमरे और कई वीआईपी सूट हैं। एसजीपीसी तीन सराय संचालित करता है। जिनका किराया होटल के मुकाबले सस्ता है। 

गुरु नानक देव को लेकर प्रचलित कहानियों में सराय का जिक्र बहुत आता है। कुछ सरायों का अस्तित्व अब मिट चुका है, लेकिन कुछ के अवशेष आज भी मिल जाते हैं। यही वजह है कि पंजाब के सुल्तानपुर लोधी में भी आपको ऐतिहासिक सराय मिल जाएगी तो कस्बा नूरमहल भी उससे अछूता नहीं है। जीटी रोड अमृतसर के पास से होकर अटारी होते हुए पाकिस्तान जाती है। जीटी रोड अमृतसर की जिन्दगी को भी प्रभावित करती है। अमृतसर का इतना महत्व है कि 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने सराय अमानत खां का निर्माण इसी जीटी रोड पर कराया था। अब इस भव्य सराय का संचालन पंजाब सरकार करती है।

 - Satya Hindi

सराय अमानत खान, इसका संचालन पंजाब सरकार करती है

अमृतसर शहर में तमाम लोगों ने धर्मार्थ सराय भी बनवा रखी हैं, जो एक तरह से धर्मशाला का ही स्वरूप हैं, जहां गांवों से आने वाले श्रद्धालु नाममात्र के पैसे पर रुकते हैं। लेकिन सराय चूंकि अमृतसर कल्चर का हिस्सा है तो महंगे होटल वाले भी अपने होटल का नाम सराय पर रखते हैं लेकिन वहां होटल वाली सारी आधुनिक सुविधाएं मिलती हैं। इनके कमरे भी महंगे हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने इन्हीं महंगे होटलों के मद्देनजर 12 फीसदी जीएसटी लगाया है लेकिन उसने होटल के साथ-साथ सराय शब्द भी अधिसूचना में जोड़ दिया है तो पंजाब के लोग इस पर नाराज हो गए हैं। 

आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद ने बुधवार को एक नोटिस देकर इस पर चर्चा की मांग की है। दरअसल, आप इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक हो गई है। यह एक रणनीति के तहत है। पंजाब के सीएम भगवंत सिंह ने इस पर मंगलवार को पहला हमला बोला था।  हालांकि आप नेता उस वक्त चुप थे, जब जीएसटी का नोटिस जारी हुआ था। लेकिन अब जब अमृतसर में होटल वाले, सराय वाले इस जीएसटी पर जमकर आपत्ति कर रहे हैं तो आप ने फौरन ही इस मुद्दे को लपक लिया। हालांकि शिरोमणि अकाली दल ने भी सराय पर जीएसटी लगाने पर तीखा हमला मोदी सरकार पर किया है लेकिन आम आदमी पार्टी ने फिलहाल यह मुद्दा बाकी दलों से छीन लिया है। 

भक्ति पर टैक्स

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को ट्वीट किया, मैं गोल्डन टेंपल के पास स्थित सरायों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। यह टैक्स तीर्थयात्रियों की भक्ति पर लगाया गया है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी सरायों पर टैक्स लगाने के लिए सरकार की आलोचना की है।इसने कहा कि जीएसटी परिषद से एक अधिसूचना प्राप्त करने के बाद, एसजीपीसी ने स्वर्ण मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रदान किए गए इन सराय के कमरे के शुल्क पर 12 फीसदी जीएसटी लगाना शुरू कर दिया है।

एसजीपीसी ने कहा कि दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्री हर दिन मत्था टेकने के लिए गोल्डन टेंपल (स्वर्ण मंदिर) आते हैं और हम उनके यहां ठहरने की व्यवस्था करते हैं।एसजीपीसी के सहायक सचिव (मीडिया) कुलविंदर सिंह ने कहा, लेकिन दुख की बात है कि भारत सरकार ने सरायों पर जीएसटी लगाकर संगत पर अतिरिक्त बोझ डाला है।

एसजीपीसी ने कहा कि गुरुद्वारों में आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए SGPC द्वारा बनाई गई सराय व्यावसायिक संपत्ति नहीं है और इसलिए, उन पर किसी भी तरह का टैक्स अन्याय है।

बठिंडा की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जीएसटी वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इस कदम से सिख समुदाय हैरान है। उन्होंने कहा कि श्री दरबार साहिब परिसर के बाहर एसजीपीसी द्वारा संचालित 3 'सरायों' में आवास शुल्क पर 12% जीएसटी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले ने सिख समुदाय को झकझोर दिया है। ये सराय दुनिया भर के भक्तों को ठहराती हैं और गैर-लाभकारी संस्थाएं हैं। मैं पीएम से अनुरोध करती हूं @NarendraModi तीर्थयात्रियों की भक्ति पर टैक्स नहीं लगाएं। इस पूरी तरह से अनुचित निर्णय को रद्द करे।

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