तनिष्क: सोशल हार्मनी टूटी? शाह ने अंग्रेज़ हमले का ज़िक्र क्यों किया?
ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क के विज्ञापन को लेकर धार्मिक नफ़रत फैलाने के मामले को अमित शाह ने 'ओवर एक्टिविज़्म' यानी अति सक्रियता बताया है और एक तरह से इसको लेकर चेताया है। इस विज्ञापन और सामाजिक तानेबाने को लेकर सवाल पर अमित शाह ने कहा कि ढेर सारे ऐसे हमले हुए हैं, लेकिन सामाजिक तानाबाना नहीं टूटा। इसी क्रम में गृह मंत्री ने इसकी तुलना तो अंग्रेज़ों के हमले से कर दी। हालाँकि इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस का भी नाम लिया। उन्होंने न्यूज़-18 को साक्षात्कार में ये बातें कही हैं।
गृह मंत्री ने तनिष्क विज्ञापन के विवाद पर तब प्रतिक्रिया दी जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया। वह विज्ञापन फ़िल्म दो अलग-अलग धर्मावलंबियों के बीच शादी पर आधारित है। इस विज्ञापन में देखा जा सकता है कि एक मुसलिम परिवार अपनी गर्भवती पुत्रवधू की गोदभराई के लिए परंपरागत हिंदू रीति रिवाज़ वाले कार्यक्रम की तैयारी कर रहा है। इस विज्ञापन के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल ने तनिष्क ब्रांड के बहिष्कार का अभियान चलाया, हिंदू-मुसलिम नफ़रत की बातें कीं और कई जगहों पर तनिष्क के कर्मचारियों को धमकी दिए जाने के मामले सामने आए।
इसी को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से उस साक्षात्कार में सवाल किया गया था कि आख़िर वह इस पूरे विवाद को किस तरह देखते हैं। सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा, 'देखिए, हमारे देश की सोशल हार्मनी को कोई इस प्रकार के छोटे-मोटे हमले तोड़ नहीं सकते। इसका तानाबाना इतना मज़बूत है...। ढेर सारे हमले ऐसे हुए हैं। अंग्रेज़ों ने भी बहुत प्रयास करके देखे, बाद में कांग्रेस ने भी बहुत प्रयास किए। मगर यह टूटने वाली चीज नहीं है। मैं मानता हूँ कि किसी भी प्रकार का ओवर एक्टिविज़्म नहीं होना चाहिए।'
गृह मंत्री ने साफ़ किया कि ऐसी छोटी-मोटी घटनाओं से सामाजिक तानेबाने पर कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। हालाँकि ऐसा होता तो नहीं दिखता है। ऐसी छोटी-छोटी घटनाएँ ही ऐसे माहौल तैयार कर रही हैं जो बड़े स्तर पर समुदायों के बीच दूरियाँ पैदा करने का काम कर रही हैं। तनिष्क के विज्ञापन में भी वैसा ही असर देखने को मिला। इसके ख़िलाफ़ ऐसा अभियान चलाया गया कि कई लोग तो तनिष्क के गहने नहीं खरीदने की बात करते हुए इस ब्रांड का बहिष्कार करने की माँग करने लगे। इसके बाद इस वीडियो विज्ञापन को तनिष्क के आधिकारिक यूट्यूब चैनल, फ़ेसबुक चैनल से हटा लिया गया। इसको लेकर जब उसने सफ़ाई जारी की तो उस पर भी ट्रोल हिंदू-मुसलिम करते रहे।
लोगों ने तनिष्क ब्रांड का तो बहिष्कार किया ही, इसके साथ ही हिंदू-मुसलिम नफ़रत के बीज भी बोए। कई लोगों ने इसे 'लव जिहाद' को बढ़ावा देने वाला बताया, तो कोई एंटी- हिंदू।
वीडियो में देखिए, ट्रोलिंग से डर गई टाटा की कंपनी
ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा है, 'तनिष्क दिखा क्या रही है- मुसलिम घर में हिंदू लड़की 100 फ़ीसदी सुरक्षित।
वास्तव में क्या हो रहा है- हिंदू लड़की लव जिहाद में फँसाई जाती है, हत्या की जाती है।
हिंदू लड़की दूसरे धर्मों के घरों में ज़ीरो फ़ीसदी सुरक्षित है। इसलिए कंपनी की इस बीमार मानसिकता को न मानें।'
What #tanishq is showing - HINDU girl 100% safe in Muslim house
— My Name is Sanghi🚩 (@bagga_daku) October 12, 2020
What actual happening - Hindu Girl trapped in love jihad and get killed.
Hindu girls are 0% safe in other religion houses. So Don't go by this sick company mindset 🙏#BoycottTanishq
प्रिंस तिवारी नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, 'इसे डिसलाइक और रिपोर्ट करें। वे हर बार क्यों लव जिहाद को बढ़ावा देते हैं कल एक हिंदू लड़के को मुसलिमों ने लिंच कर दिया।'
#BoycottTanishq
— Prince Tiwary 🇮🇳 (@pkt_india) October 12, 2020
Dislike it and report.
why every time they promote lavjihad
Tomorrow a hindu boy was lynched by muslim. pic.twitter.com/36M0yQagS7
अधिकतर ट्रोल दक्षिणपंथी विचारधारा के हिमायती हैं। ऐसे ही ट्रोल कोरोना को भी धर्म से जोड़ देते हैं, तब्लीग़ी जमात का मामला उठाते हैं, लिंचिंग को जायज ठहराते नज़र आते हैं और भीड़ हिंसा की वकालत करते दिखते हैं। और ऐसे ही ट्रोल हिंदू-मुसलिम एकता की बात करने पर उबल पड़ते हैं। तनिष्क का 'एकत्वम' विज्ञापन भी हिंदू-मुसलिम एकता को दिखाता नज़र आया था। विज्ञापन में संदेश दिया गया था- 'एक जो हुए हम, तो क्या ना कर जाएँगे।' लेकिन इसी धार्मिक एकता की बात कुछ लोगों को इतनी बुरी लगी कि इस पर विवाद खड़ा हो गया।