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हैदराबाद में क्यों ताकत दिखा रहे अमित शाह और केसीआर?

हैदराबाद में क्यों ताकत दिखा रहे अमित शाह और केसीआर?

तेलंगाना में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और बीजेपी यहां अपनी सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। लेकिन क्या वह टीआरएस को चुनौती दे पाएगी?

हैदराबाद में सरकार चला रही तेलंगाना राष्ट्र समिति और बीजेपी शनिवार को आमने-सामने हैं। तेलंगाना की केसीआर सरकार तेलंगाना राष्ट्रीय एकता दिवस मना रही है जबकि बीजेपी ने इसे हैदराबाद मुक्ति दिवस का नाम दिया है। बताना होगा कि 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद की रियासत का भारतीय संघ में विलय हुआ था। 

तेलंगाना में अगले साल मई में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है। बीजेपी हैदराबाद का नाम भाग्यनगर रखे जाने की मांग उठाती रही है। 

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने बीजेपी के द्वारा हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाए जाने को विभाजनकारी एजेंडा करार दिया है। केसीआर ने जहां तेलंगाना के नामपल्ली में राष्ट्रीय ध्वज फहराया तो यहां से 7 किलोमीटर दूर सिकंदराबाद में अमित शाह ने हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया। शाह के साथ इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी मौजूद रहे।

केसीआर ने पूछा है कि बीजेपी 9 नवंबर को जूनागढ़ के गुजरात में शामिल होने को एकीकरण दिवस के तौर पर क्यों नहीं मनाती है और क्यों वह हैदराबाद पर ही अपना ध्यान फोकस करना चाहती है। इस मौके पर केसीआर सरकार की ओर से साल भर तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जबकि केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव नाम से देश की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रही है। केसीआर सरकार की ओर से तेलंगाना के सभी विधानसभा क्षेत्रों में रैलियां निकाली जाएंगी जबकि बीजेपी भी हैदराबाद मुक्ति दिवस को लेकर कई कार्यक्रम आने वाले दिनों तक करती रहेगी। 

17 सितंबर, 1948 को तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल के नेतृत्व वाले भारतीय संघ ने ऑपरेशन पोलो की पुलिस कार्रवाई के जरिये हैदराबाद को अपने कब्जे में ले लिया था और इस रियासत के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान से सत्ता को छीन लिया था। 

तेलंगाना पर है नजर 

इस साल जुलाई में बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हैदराबाद में ही रखी थी। इस बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही तेलंगाना के विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई थी। बीजेपी ने साल 2018 में भी तेलंगाना में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगाई थी लेकिन तब उसे सफलता नहीं मिल सकी थी। 

2018 के विधानसभा चुनाव में 119 सीटों वाले तेलंगाना में टीआरएस को 88 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस को 19 सीटों पर, बीजेपी को एक और तेलुगू देशम पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 8 सीटों पर चुनाव लड़कर 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। 

नगर निगम के नतीजे 

साल 2020 के अंत में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। वह 4 सीटों से 48 सीटों पर पहुंच गई थी जबकि तेलंगाना में सरकार चला रही टीआरएस 99 से 56 सीटों पर आ गई थी।

नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी और उसे इसका अच्छा नतीजा भी मिला था। इस नतीजे से यह संदेश निकला था कि तेलंगाना में टीआरएस की लड़ाई अब बीजेपी से ही होगी। क्योंकि कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी तेलंगाना में बेहद कमजोर हो गई हैं।

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