+
आंबेडकर के ख़िलाफ़ कभी नहीं बोलता, कांग्रेस ने मेरा बयान तोड़ा-मरोड़ा: शाह

आंबेडकर के ख़िलाफ़ कभी नहीं बोलता, कांग्रेस ने मेरा बयान तोड़ा-मरोड़ा: शाह

राज्यसभा में आंबेडकर पर दिए अपने बयान को लेकर अमित शाह सफ़ाई क्यों देते फिर रहे हैं? जानिए, कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने क्या जवाब दिया और कांग्रेस पर क्या आरोप लगाया।

राज्यसभा में डॉ. बीआर आंबेडकर पर अपनी टिप्पणी को लेकर अमित शाह अब सफाई देते फिर रहे हैं। उन्होंने सफाई में कहा कि वह एक ऐसी पार्टी से आते हैं जो कभी भी आंबेडकर की विरासत का अपमान नहीं करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। विपक्ष के हमले के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अपना बचाव करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 

इस मुद्दे और विपक्ष के हमलों ने बीजेपी को किस कदर आघात पहुँचाया है यह इससे जाहिर होता है कि अमित शाह चार केंद्रीय मंत्रियों- जेपी नड्डा, किरन रिजिजू, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुँचे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से अपनी पूरी टिप्पणी की रिपोर्ट करने की अपील की। अमित शाह की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग के बाद हुई।

संविधान पर बहस के दौरान राज्यसभा में दिए गए अपने बयान पर उठे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित शाह ने कहा, 'मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। कांग्रेस फर्जी खबरें फैलाती है। मैं आंबेडकर जी के खिलाफ कभी नहीं बोल सकता।' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने मेरी टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर जनता के सामने पेश किया। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि मेरी पूरी टिप्पणी सुनें, इससे सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। मैं ऐसी पार्टी और समाज से आता हूं जो सपने में भी डॉ. बीआर आंबेडकर का अपमान नहीं कर सकता।'

गृहमंत्री ने कहा, 'कल से कांग्रेस ने जिस तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखने का प्रयास किया है, ये अत्यंत निंदनीय है और मैं इसकी निंदा करना चाहता हूं।'

उन्होंने आगे कहा, '...कांग्रेस आंबेडकर जी की विरोधी पार्टी है, कांग्रेस आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने सावरकर जी का भी अपमान किया, कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान के सारे मूल्यों की धज्जियां उड़ा दीं, नारी सम्मान को भी वर्षों तक दरकिनार किया, न्यायपालिका का हमेशा अपमान किया, सेना के शहीदों का अपमान किया और भारत की भूमि तक को संविधान तोड़कर दूसरे देशों को देने की हिमाकत कांग्रेस के शासन में हुई।'

अमित शाह ने कहा, 'जहां तक भारत रत्न देने का सवाल है, कांग्रेस के नेताओं ने कई बार खुद ही अपने आप को भारत रत्न दिए हैं। 1955 में नेहरू जी ने खुद को भारत रत्न दे दिया, 1971 में इंदिरा जी ने खुद को भारत रत्न दे दिया। लेकिन बाबा साहेब को भारत रत्न 1990 में तब मिला जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी और भाजपा के समर्थन वाली सरकार थी। 1990 तक कांग्रेस बाबा साहेब को भारत रत्न न मिले, इसके लिए प्रयास करती रही। यहां तक कि बाबा साहेब की 100वीं जयंती को मनाने की मनाही कर दी गई।'

यह बयान मंगलवार को संसद में अमित शाह की उस टिप्पणी पर उठे विवाद के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था, 'अभी एक फैशन हो गया है - आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।'

इस बयान पर विपक्षी सांसदों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आज संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की।

खड़गे ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दलित नेता पर भरोसा है तो उन्हें आधी रात तक केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए। खड़गे ने शाह से उनकी टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की और कहा कि अगर पीएम मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया तो लोग सड़कों पर उतर आएंगे।

खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, 'मुझे ताज्जुब है कि जब कोई व्यक्ति बाबासाहेब के बारे में टीवी पर ऐसी अपमानजनक बातें बोल रहा है, तो उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलाकार टोका तक नहीं। इसके विपरीत गृह मंत्री को समर्थन देने के लिए उन्होंने 6 ट्वीट कर दिए। जबकि आंबेडकर जी के लिए ऐसी अपमानजनक बात करने वाले व्यक्ति को कैबिनेट से निकाल देना चाहिए था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों गहरे दोस्त हैं, इसलिए दोनों एक दूसरे के पाप को छिपाते हैं।'

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, 'बीजेपी-आरएसएस और उनके राजनीतिक पूर्वजों ने कभी संविधान को सम्मान नहीं दिया। इनके राजनीतिक पूर्वजों ने कभी संविधान को स्वीकार नहीं किया, उसकी प्रतियां जलाईं। इन लोगों ने तिरंगे को भी नहीं अपनाया। उनका कहना था कि संविधान में मनुस्मृति की बातें नहीं हैं, इसलिए इसे नहीं मानेंगे। इसके विरोध में उन लोगों ने नेहरू और आंबेडकर जी का पुतला भी जलाया।'

उन्होंने आगे कहा कि 'अगर बीजेपी और उनके नेताओं के मन में आंबेडकर जी के लिए श्रद्धा होती तो वे कभी ऐसी बातें नहीं बोलते। इसलिए हम चाहते हैं- अमित शाह अपने पद से इस्तीफा दें। अगर पीएम मोदी के मन में बाबासाहेब के प्रति थोड़ी सी भी श्रद्धा है, तो रात 12 बजे से पहले अमित शाह को उनके पद से बर्खास्त करें।'

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें