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शाह का बंगाल दौरा, टीएमसी में बड़ी टूट की ख़बर

शाह का बंगाल दौरा, टीएमसी में बड़ी टूट की ख़बर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। शाह के इस दौरे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के छह विधायक और एक सांसद बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। 

पिछले एक महीने से पश्चिम बंगाल की सियासत में चर्चा बटोर रहे टीएमसी के बाग़ी नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरूवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से इस्तीफ़ा दे दिया है। शुभेंदु का बीजेपी में जाना लगभग तय हो गया है। कुछ दिनों पहले हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर (एचआरबीसी) के अध्यक्ष पद से और उसके अगले दिन परिवहन मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले शुभेंदु ने बुधवार को टीएमसी के विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। 

गुरूवार शाम को एक और असंतुष्ट नेता और आसनसोल से टीएमसी के विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी पार्टी छोड़ दी। तिवारी ने दिन में विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था।

राज्य की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 19 दिसंबर को पश्चिम बंगाल आने के दौरान शुभेंदु बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। 

आगामी दौरे में अमित शाह पूर्वी मेदिनीपुर सहित तीन जिलों में रैलियां करेंगे। इन जिलों में पड़ने वाली लोकसभा सीटों से शुभेंदु के पिता और भाई सांसद हैं।  

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी के एक सूत्र ने कहा कि ऐसी पूरी उम्मीद है कि शुभेंदु अधिकारी पूर्वी मेदिनीपुर में होने वाली रैली में बीजेपी में शामिल हो जाएंगे और इससे पहले गुरूवार को वह दिल्ली आकर बीजेपी नेतृत्व से मुलाक़ात कर सकते हैं।

जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी 

शुभेंदु के बीजेपी में जाने की चर्चा इसलिए तेज़ हुई है क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी है। ज़ाहिर तौर पर यह अमित शाह की मर्जी के बिना नहीं हो सकता। इसके लिए राज्य के कुछ बीजेपी नेताओं ने ही शाह से कहा था कि शुभेंदु अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इसके बाद शाह ने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी। 

मंगलवार को शुभेंदु के जन्मदिन पर जब बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें शुभकामनाएं दीं तो इससे इस तरह की चर्चाओं को और बल मिल गया कि शुभेंदु बीजेपी में जाने वाले हैं। 

पूर्वी मेदिनीपुर सहित बंगाल के कई इलाक़ों में शुभेंदु अधिकारी का अच्छा जनाधार माना जाता है। शुभेंदु को मनाने की कई कोशिशें ममता बनर्जी की ओर से की गईं लेकिन अब वह टीएमसी में ज़्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं। बीजेपी उन्हें कई बार पार्टी में आने का न्यौता भी दे चुकी है। 

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बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई 

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को हटाने को बीजेपी ने नाक की लड़ाई बना लिया है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद राज्य की सियासत में पहले से जारी घमासान की आग में पेट्रोल पड़ गया है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है।

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संघ-बीजेपी सक्रिय

अमित शाह लगातार बंगाल के दौरे कर रहे हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपने लोगों को बंगाल में नियुक्त किया है और बीजेपी ने भी कई नेताओं को वहां चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। बिहार चुनाव में मिली जीत के बाद दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय पर हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा था। 

संघ-बीजेपी के मुक़ाबले टीएमसी में ममता बनर्जी अकेली स्टार प्रचारक हैं और पूरी ताक़त के साथ चुनावी प्रबंधन में जुटी हुई हैं। लेकिन शुभेंदु अधिकारी के अलावा कुछ और नेताओं के बाग़ी तेवरों ने ममता दीदी को परेशान किया हुआ है।

शुभेंदु अधिकारी मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट से विधायक हैं। नंदीग्राम का नाम तब चर्चा में आया था, जब 2007 में जमीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ हिंसक आंदोलन हुआ था और टीएमसी के सत्ता में पहुंचने का रास्ता साफ हुआ था।

शुभेंदु मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरूलिया और बांकुरा में टीएमसी के प्रभारी रहे हैं। इन जिलों में उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए काफी काम भी किया है। ऐसे में उनके नाराज़ होने का सीधा मतलब है कि इन इलाक़ों में टीएमसी को नुक़सान हो सकता है। 

शुभेंदु ने मंगलवार को कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से बाहरी लोगों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। यह ममता बनर्जी के उन हमलों का जवाब माना गया, जिसमें वह बीजेपी के नेताओं को बाहरी कहती रही हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले भारतीय हैं और उसके बाद बंगाली हैं। 

शुभेंदु अगर जाते हैं तो यह ममता बनर्जी के लिए झटका साबित हो सकता है क्योंकि टीएमसी में ममता दीदी के बाद शुभेंदु दूसरे नंबर के बड़े नेता माने जाते हैं।

प्रशांत, अभिषेक से नाराज़गी

शुभेंदु की नाराज़गी का कारण यह बताया जाता है कि वह टीएमसी में ममता के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बढ़ते दख़ल से नाराज़ हैं। ममता बनर्जी पर आरोप है कि वह टीएमसी के पुराने नेताओं को दरकिनार कर अभिषेक को मुख्यमंत्री पद के उत्तराधिकारी के तौर पर बढ़ावा दे रही हैं। 

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